कहीं इन नेताओं के वर्चस्व की भेंट न चढ़ जाए हल्द्वानी आईएसबीटी
उत्तराखण्ड के दो नेताओं के चलते आईएसबीटी कांग्रेस और भाजपा के बीच बना है रार का विषय..
जनज्वार, हल्द्वानी। आईएसबीटी को लेकर दो नेताओें के बीच छिड़ी वर्चस्व की जंग के अब और लंबा होने के आसार नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां प्रदेश सरकार द्वारा आईएसबीटी को अन्यत्र स्थानांत्रित किये जाने से कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री डाॅ. इंदिरा हृदयेश आगामी 30 जनवरी से हजारों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ गौलापार में आमरण अनशन पर बैठने जा रही हैं, वहीं प्रदेश की त्रिवेन्द्र सरकार इस पूरे मसले पर साफ कर चुकी है कि आईएसबीटी का निर्माण हल्द्वानी में ही होगा, केवल इसका स्थल बदला जा रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गौलापार में बनने जा रहे आईएसबीटी स्थल से पिछले दिनों नरकंकाल मिलने की बात सामने आने पर इसे लोगों की धार्मिक भावनाओें से जुड़ा मामला बताते हुए यह स्पष्ट किया था कि आईएसबीटी का निर्माण हल्द्वानी क्षेत्र के अंदर ही होगा। हालांकि यह निर्माण कहा होगा इसके लिए अभी तक जगह पूरी तरह चिन्हित नहीं हो पायी है।
इतना जरूर है कि शासन स्तर से आईएसबीटी के निर्माण के लिए बरेली रोड तीन पानी स्थित यूओयू के पास जमीन जांचने के लिए अपर सचिव परिवहन सेथिल पांडियन हल्द्वानी का बीते दिवस दौरा कर चुके हैं। वहीं स्थानीय विधायक व नेता प्रतिपक्ष डाॅ इंदिरा हृदयेश आईएसबीटी के लिए गौलापार को ही उपयुक्त स्थान बताकर इसे अपनी नाक का सवाल बनाये हुए हैं।
सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्या कारण है कि आईएसबीटी के मुद्दे पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री इतना हो हल्ला मचाये हुए हैं, जबकि प्रदेश सरकार द्वारा साफ किया जा चुका है कि आईएसबीटी का निर्माण हल्द्वानी के ही अंदर होगा। कांग्रेस नेत्री इस पूरे मामले पर तीखा रुख अपनाऐ हुए हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मामला आईएसबीटी के निर्माण से ज्यादा हल्द्वानी क्षेत्र के दो दिग्गज नेताओें के वर्चस्व से जुड़ा हुुआ है, जिसके चलते हाल फिलहाल मामले के और उग्र होने के आसार हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री इंदिरा हृदयेश के लिए जहां आईएसबीटी उनके ड्रीम प्रोजेक्टों मेें शामिल रहा है और वे किसी भी सूरत में इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहती हैं, वहीं बताया यह भी जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले एक पूर्व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता किसी भी हाल में इंदिरा के ड्रीम प्रोजेक्ट को हथियाने पर आमादा थे।
इसी के चलते जब निर्माधीन गौलापार में खुदाई के दौरान कुछ नर कंकाल मिलने के बात सामने आई तो उक्त पूर्व कांग्रेसी नेता (अब भाजपा नेता) के हाथ बाजी लग गयी और इसी दौरान गौलापार में आईएसबीटी का काम पूरी तरह रोक दिया गया। तभी से कांग्रेस नेत्री इस पूरे मामले पर अपना कड़ा रुख अख्तियार किये हुए हैं।
हालांकि आईएसबीटी का निर्माण चाहे गौलापार में हो या हल्द्वानी के किसी अन्यत्र स्थल पर इससे क्या फर्क पड़ता है, मुख्य उद्देश्य तो जनता का हित होना चाहिए। लेकिन आज क्षेत्र के इन्हीं दो नेताओं के चलते आईएसबीटी कांग्रेस और भाजपा के बीच रार का विषय बना हुआ है।
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का कहना है कि 30 जनवरी को गौलापार आइएसबीटी स्थल पर वह 15 हजार कार्यकर्ताओं के साथ उपवास पर बैठेंगी। इंदिरा ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि आईएसबीटी के निर्माण को लेकर जो स्थल भाजपा के लोग बता रहे हैं, वहां पूर्व में उनकी सरकार के समय मंडी प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि वर्तमान मंडी छोटी पड़ गयी है, जिससे किसानों को परेशानी होती है। किसानों की परेशानी को देखते हुए नई मंडी के लिए इस स्थान का चयन किया गया था।
इंदिरा हृदयेश ने कहा कि मंडी की जगह पर आइएसबीटी प्रस्तावित करने की वह घोर निंदा करती हैं। उन्होंने कहा कि यह जगह आइएसबीटी की सुविधाओं के लिहाज से भी उपयुक्त नहीं है। इस प्रकार की योजनाओं से तो न ही मंडी बन पायेगी न ही आइएसबीटी। इंदिरा हृदयेश कहती हैं कि हल्द्वानी कुमाऊं का महत्वपूर्ण केंद्र है और उनके प्रयासों से यह महत्वपूर्ण योजनायें मिली हैं।