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खालिदा बीबी की रेप के बाद हत्या की कोई चर्चा आपने सुनी!

Janjwar Team
21 Sep 2017 8:00 PM GMT
खालिदा बीबी की रेप के बाद हत्या की कोई चर्चा आपने सुनी!
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वह रोज कूड़ा इकट्ठा करने जाती थी और शाम को सात बजे तक घर आ जाती थी। उस दिन 9 बजे तक वह घर वापस नहीं आई...

दिल्ली के भलस्वा इलाके से लौटकर सुनील कुमार की रिपोर्ट

बाहरी दिल्ली के भलस्वा इलाके को हम कई तरह से जान सकते हैं। दिल्ली के बाहर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर से आने वाले लोगों को दिल्ली में प्रवेश करने के कुछ समय बाद ही पहाड़ सी आकृति दिखती है। इसमें से निकलते धुएं को देखकर लोगों के मन में कई सवाल खड़े होते हैं, जैसे कि इतना ऊंचा क्या है, यहां पर आग कैसे लगी-आदि, आदि।

रात के समय में आग की लपटें भी दिखती रहती हैं। दिल्ली में रहने वालों के लिए भलस्वा का नाम आते ही मन में कूड़े के पहाड़ और उसके पास बसी ‘गंदी बस्ती’ की तस्वीर सामने आती है, जो दिल्ली के विषय में ज्यादा जानकार हैं उनके लिए कबाड़ चुनने वाले, मेहनतकश आवाम की पुनर्वास कॉलोनी जेहन में आती है, जहां दिल्ली के अलग-अलग इलाके से लोगों को लाकर बसाया गया है।

दिल्ली के संभ्रांत कहे जाने वाले इलाकों को स्वच्छ रखने वाली जगह का नाम है भलस्वा। भलस्वा में 40 एकड़ में फैला लैंडफिल साइट है, जहां 1993 से ही दिल्ली कूड़ा फेंका जाता है। इसको लोकल भाषा में खाता भी कहते हैं। इस लैंडफिल साईट पर 45 मीटर ऊंचा 140 लाख टन कूड़े का पहाड़ है, जहां पर प्रति दिन 4000 टन और कूड़ा आता रहता है।

यहीं रहने वाले परिवारों में से एक परिवार खालिदा बीबी का था। खालिदा बीबी की उम्र 33 साल की थी। वह बंगाल के मेदनीपुर जिले की रहने वाली थी। वह अपनी बेटी रोजिना (13 साल), सलमान (10 साल) और शाहिल (8 साल) के साथ भलस्वा मुर्गा फार्म के पास किराये की झुग्गी में रहती थी। खालिदा बीबी की रेप के बाद 16 सितम्बर, 2017 की शाम हत्या कर दी गई।

खालिदा की शादी उनके ही गांव के राजू के साथ माता-पिता ने कम उम्र में ही कर दी थी। शादी के बाद पति के साथ वह हरियाणा के रेवाड़ी आ गई, जहां पर कूड़ा चुनकर उनके परिवार का पालन-पोषण होता था। वहीं पर खालिदा ने दो बच्चों-रोजिना और सलमान को जन्म दिया।

राजू खालिदा पर तरह-तरह का जुल्म करता था। खालिदा जुल्म से तंग आकर बच्चों के साथ अपनी बहन के पास दिल्ली की जहांगीरपुरी आ गई। कुछ समय बाद राजू भी माफी मांगते हुए दिल्ली आकर रहने लगे। राजू चूंकि पहले से ही कबाड़ चुनने का काम करता था तो वह दिल्ली में आकर भी यही काम करने लगा। उसने अपने परिवार के साथ भलस्वा लैंडफिल साईट के नीचे अपना आशियाना बनाया, जो किराये का था।

इसी दौरान खालिदा के पेट में तीसरे बच्चे का आगमन हुआ। जब वह नौ माह की गर्भवती थी, तभी राजू उसे छोड़कर कहीं भाग गया। उसके बाद वह कभी वापस नहीं लौटा।

गर्भवती खालिदा की उसकी बहन माजू और शादिया ने देखरेख की। खालिदा ने अपनी बहनों की आर्थिक हालत को देख एक दिन खुद उसने इस पितृसमाज से लड़ने का निर्णय लिया। खालिदा पढ़ी-लिखी नहीं थी, इसलिए वह कहीं नौकरी तलाश नहीं सकती थी। उसने एक दिन कूड़ा बीनने का थैला उठाया और वह चढ़ गई भलस्वा के उसी पहाड़ी पर, जहां से और परिवारों की जिन्दगी चलती है।

खालिदा तीनों बच्चों के साथ किराये की झुग्गी में रहने लगी और कूड़ा चुनकर अपना और अपने बच्चों का पेट भरने लगी। खालिदा अपने बच्चों को तो पढ़ा नहीं पाई, लेकिन उनको भरपेट भोजन दे सकी। खालिदा बीबी पित्त की थैली में पथरी होने के कारण दर्द से परेशान थी। पथरी के ऑपरेशन के लिए वह सरकारी अस्पतालों का चक्कर काट रही थी।

सरकारी अस्पतालों में ज्यादा समय लगते देख वह प्राइवेट अस्पताल से ऑपरेशन कराकर जल्द से जल्द ठीक होना चाहती थी। वह अपनी बहन और आसपास के लोगों से ऑपरेशन के लिए पैसा जुटाने की गुहार भी लगाई थी।

खालिदा का ऑपरेशन कराकर ठीक होने का सपना अधूरा ही रह गया और वह 16 सितम्बर, 2017 की शाम इस अमानवीय दुनिया का शिकार हो गई। खालिदा 16 सितम्बर की सुबह अपने बच्चों के साथ जहांगीरपुरी से भलस्वा आ गई। रोजिना बताती है कि घर आने के बाद उसने खाना बनाया, हम सब को खिलाया और खुद खाया। फिर तीन बजे वह थैला लेकर रोज की तरह लैंडफिल साईट के ऊपर चली गई।

रोजिना बताती है कि वह रोज कूड़ा इकट्ठा करने जाती थी और शाम को सात बजे तक घर आ जाती थी। उस दिन 9 बजे तक वह घर वापस नहीं आई तो उसने मुहल्ले वालों को बताया। तभी सोफी आया और उसने खालिदा की हत्या होने की सूचना दी।

खालिदा की बहन के बेटे हुसैन ने बताया कि जब वह ऊपर गये तो देखा कि खालिदा की लाश नग्न हालत में है, जो तिरपाल से ढकी हुई है और चेहरे को पत्थर मारकर कुचल दिया गया है। रात्रि 9.45 बजे 100 नं. पर फोन किया गया। इसके बाद पुलिस और अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और शव को ले जाकर पोस्टमार्टम किया।

पुलिस ने इस कांड में दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक को पूछताछ के बाद छोड़ दिया। इस घटना में सोफी को गिरफ्तार किया गया है, जिसने कत्ल होने की बात बताई थी। पुलिस के अनुसार उसने बलात्कार और हत्या करने का गुनाह कबूल कर लिया। खालिदा के परिजनों का कहना है कि सोफी अकेले बलात्कार और खालिदा की इतनी बुरी हालत नहीं कर सकता, इसमें और व्यक्ति भी शामिल है जिसको पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है। पुलिस ने अभी तक खालिदा के परिवार को एफआईआर की कॉपी तक नहीं दी है, मांगने पर कह रही है कि तुम कोर्ट से कॉपी ले लेना।

दिल्ली के अन्दर इस तरह की घटना घट जाती है-वह भी एक सफाईकर्मी के साथ, जिसको देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि सबसे पहले हक है वन्देमातरम बोलने का। यह घटना मीडिया में एक बहुत छोटी खबर बनकर रह जाती है और दिल्ली के बहुत कम लोगों को ही पता चल पाता है। देश के बाकी हिस्सों के वंचित लोगों पर होने वाले अत्याचार के विषय में पता कैसे चलेगा, सोचने की बात है।

यही उसी भलस्वा की घटना है जहां की लैंडफिल साईट आसपास रहने वालों के लिए प्रदूषण पैदा करती है। इससे वे कई बार इतना परेशान हो जाते हैं कि अग्निशमन की गाड़ी को बुलाना पड़ता है जो लगी हुई आग और धुंआ को कम करती है। इतना कूड़ा इकट्ठा होने के कारण इसके अन्दर कार्बन डाई आक्साईड और मिथेन जैसी खतरनाक गैसें बनाती हैं, इसलिए इसके आग को पूरी तरह से नहीं बुझाया जा सकता है।

खालिदा बीवी उसी भलस्वा में किसी तरह दो जून की रोटी का जुगाड़ कर रही थी जहां रात-दिन कूड़ा चुनकर परिवार जिलाने वाले लोग धूप, छांव, बारिस में डटे रहते हैं। यहां तक कि औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर वहां पर जाती हैं। वे एक छोटी सी लकड़ी गाड़कर उस पर कपड़े डाल देती हैं और उसके नीचे बच्चे को लिटा कर कूड़ा बीनने का काम करती रहती हैं।

खालिदा बीवी भी यहां मुश्किल से जीवन बसर कर रही थी, यहां कूड़ा बीनने वाले घर से ही पीने का पानी लेकर जाते हैं क्योंकि ऊपर कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक कि एमसीडी स्टाफ के चौकीदार भी परेशान रहते हैं क्योंकि उनको धूप व बारिश में छिपने के लिए सरकार ने कोई जगह उपलब्ध नहीं करायाी है। उनको खड़े-खड़े बिना किसी जरूरी व्यवस्था के ड्यूटी करनी पड़ती है। इन कर्मचारियों के दोस्त भी इन्हीं कूड़ा बीनने वाले परिवार के लोग होते हैं।

(सुनील कुमार पिछले 15 वर्षों से मजदूर आंदोलन में सक्रिय हैं और उनकी समस्याओं पर लगातार रिपार्टिंग करते हैं।)

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