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Lockdown में यूपी की इस 4 माह की बच्ची को नहीं मिल रहा दूध, मानसिक रोगी मां और पिता हैं 3 दिन से भूखे

Prema Negi
17 April 2020 5:22 PM GMT
Lockdown में यूपी की इस 4 माह की बच्ची को नहीं मिल रहा दूध, मानसिक रोगी मां और पिता हैं 3 दिन से भूखे
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4 माह की उस दुधमुंही बच्ची रानी की मानसिक रूप से बीमार मां मीरा ने घर में राशन न होने से तीन दिन से कुछ भी खाया-पिया नहीं है, इस वजह से उस बच्ची को भी एक बूंद दूध नहीं मिल पाया है, राशन कार्ड न होने से कोई कोटेदार अनाज भी नहीं देता....

आर. जयन की रिपोर्ट

बांदा, जनज्वार। कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए तीन मई तक लॉकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में तकरीबन सभी लोगों की जिंदगियां ठहर गयी हैं। इन्हीं में शामिल है अतर्रा तहसील कार्यालय की चंद कदम की दूरी पर सड़क किनारे झोपड़ी में अपनी मानसिक बीमार मां की गोदी में पड़ी चार माह की बच्ची रानी, जो हर आने-जाने वाले की ओर जैसे दूध के लिए निहार रही है।

हां चार माह की उस दुधमुंही बच्ची रानी की बात की जा रही, जिसकी मानसिक रूप से बीमार 26 वर्षीय मां मीरा ने घर में राशन न होने से तीन दिन से कुछ भी खाया-पिया नहीं है। इस वजह से उस बच्ची को भी एक बूंद दूध नहीं मिल पाया। बच्ची का अधेड़ पिता राजू शर्मा लॉकडाउन से पूर्व सड़क किनारे उबले अंडा बेचने की गुमटी चलाता था, जो अब बंद है। लिहाजा, इस तीन सदस्यीय परिवार को रोटी के लाले पड़े हैं।

बसे ताज्जुब की बात यह है कि पास में ही कई दफ्तर होने पर भी किसी अधिकारी की नजर इस दुधमुंही बच्ची पर नहीं पड़ी और गरीब-असहायों को राशन बांटने वाले समाजसेवी भी उसकी ड्योढ़ी तक नहीं पहुंच पाए।

55 वर्षीय राजू शर्मा ने बताया कि वह करीब 40 साल से अतर्रा कस्बे में रह रहा है। उसने तीन साल पहले सड़क किनारे घूम रही मानसिक रूप से बीमार महिला मीरा से शादी की थी, अब उसके एक 4 माह की बच्ची रानी भी है।

सने बताया कि उसके पास सिर्फ मतदाता पहचान पत्र है। तहसील कार्यालय की कुछ दूरी में सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रह रहा है और यहीं पर उबले अंडा बेचने का धंधा करता था, जो लगभग एक माह से बंद है। राशन कार्ड न होने से कोई कोटेदार अनाज भी नहीं देता। अगर कोई अनाज देगा भी, तो उसे खरीदने के लिए उसके पास एक भी पैसा नहीं है।

राजू ने बताया कि पिछले तीन दिनों से घर में चूल्हा नहीं जला। गुरुवार 16 अप्रैल को एलएलबी की पढ़ाई करने वाला संकल्प कुमार नामक एक अपरिचित छात्र यहां से गुजरा तो उनकी हालत देखकर उन्हें अपने घर से पांच-छह किलोग्राम राशन दे गया।

राजू ने पूछने पर बताया, दो बार तहसीलदार साहब के पास जाकर अपनी समस्या सुना चुका हूं, लेकिन साहब ने लंच पैकेट तक नहीं दिलवाए।

सकी पत्नी कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं है, लेकिन मां की गोद में लेटी चार माह की दुधमुंही बच्ची हर आने-जाने वाले की तरफ टुकुर-टुकुर निहारती है। मानो यह बच्ची हर किसी से एक बूंद दूध मांग रही हो।

स संबंध में शुक्रवार 17 अप्रैल को जब अतर्रा के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) जे.पी. यादव से जब इस रिपोर्ट के संवाददाता ने बात की तो उन्होंने कहा, हमें इस परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अब आपके माध्यम से जानकारी मिली है। मेरे व्हाट्सएप्प नम्बर में फोटो सहित पूरा डिटेल भेज दें, मैं किसी के माध्यम से राशन सामग्री भिजवाता हूं।

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