Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

भुखमरी और बेकारी की मार, भिवंडी से 1300 किलोमीटर दूर इलाहाबाद के लिए पैदल निकल पड़े मजदूर

Manish Kumar
24 April 2020 9:50 AM GMT
भुखमरी और बेकारी की मार, भिवंडी से 1300 किलोमीटर दूर इलाहाबाद के लिए पैदल निकल पड़े मजदूर
x

रास्ते मे कोई इन्हें रोके न और वापस न भेजे इसलिए लोग अब देर रात चुपके से शहर से निकल रहे है. जंगल और ग्रामीण पगडंडी का सहारा ले रहे हैं...

सुरेश यादव की रिपोर्ट

भिवंडी, जनज्वारः लॉकडाउन में भुखमरी और बेरोजगारी की मार झेल रहे भिवंडी के मजदूर अब पैदल ही चल पड़े हैं. इन्हें रास्ते मे रोककर पुलिस, समाजसेवी और पत्रकार समझा रहे हैं कि इस तहर जाना ठीक नहीं लेकिम मजदूर नहीं सुन रहे हैं. ये लोग उन्हें भोजन की व्यवस्था करने का भा आश्वासन दे रहे हैं लेकि न मजदूर अपने जाने के अपने फैसले पर अड़े हैं.

रास्ते मे कोई इन्हें रोके न और वापस न भेजे इसलिए लोग अब देर रात चुपके से शहर से निकल रहे है, मुबंई नासिक हाईवे पर खडे पुलिसकर्मियों की नजर से बचने के लिए ये लोग जंगल और ग्रामीण पगडंडी का सहारा ले रहे हैं.

मुबंई नासिक हाइवे पर लोग पैदल, साइकिल से और तीन पहिया वाली ट्राली लेकर भी गांव जाते देखे जा सकते हैं इनके साथ महिला और छोटे छोटे बच्चे भी हैं.

यह भी पढ़ें- हरियाणा में 4 लाख 56 हजार मजदूरों ने किया 1,000 के भत्ते के लिए आवेदन, 3.15 लाख हुआ रिजेक्ट

मजदूरों का कहना है कि इनके पास खाने के लिए कुछ भी नही है, पैसे खत्म हो चुके है, जिस कारखाने में काम करते थे उस कारखाने के मालिक ने लॉकडाउन के बाद से कारखाने में आना बंद कर दिया है और फोन भी नही उठा रहे हैं जबकि मजदूरों की मजदूरी बाकी है.

पावरलूम कारखाने मे कम से कम आठ से दस मजदूर काम करते है. भिवंडी के 90% कारखानों में 15 से 20 मजदूर तो काम करते ही हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद अब इन मजदूरों को खाना देना कारखाना मालिको को भारी पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें- कोरोना के कहर के बीच राशन वितरण में भ्रष्टाचार का बोलबाला, प्रशासनिक लूट में उलझ कर रह गए हैं ग्रामीण

कारखाना मालिक खुलकर तो नहीं बोल रहे है लेकिन मजदूर के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहे है की वह गांव जाने को मजबूर हो जाएं.

अधिकांश कारखाने के मालिक तो लॉकडाउन के बाद मजदूर को खाना देने की बात तो दूर मिलने तक नहीं आए हैं और मजदूर कम्युनिटी किचन या समाजसेवी संगठन द्वारा दिए जा रहे भोजन पर ही अभी तक निर्भर हैं.

इन्दिरा गांधी मेमोरियल उप जिला अस्पताल में सफाई कर्मचारियों को नही मिल रहा है वेतन

भिवंडी के इन्दिरा गांधी मेमोरियल उप जिला अस्पताल को पूरी तरह से कोविड 19 अस्पताल के रूप मे तब्दील कर दिया गया है कर दिया गया है. इस अस्पताल मे पिछले पांच साल से भी अधिक समय से ठेका पद्धति पर लगभग तीस सफाई कर्मचारी काम कर रहे है यह ठेका डिम्पल इंटरप्राइजेज नामक संस्था को दिया गया है जिसके ठेकेदार महेश शिर्के नामक व्यक्ति बताया जा रहा है.

इस अस्पताल को कोविड 19 अस्पताल मे तब्दील करने के बाद ठेका पद्धति पर काम कर रहे सफाई कर्मचारी को भी दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया था कि महामारी की गंभीरता को देखते हुए आप सभी सफाई कर्मचारी को पहले की तरह ही काम करते रहना है.

सफाई कर्मचारियों का कहना है कि हम दिशा-निर्देश का पालन करते हुए सरकार के साथ है और इस महामारी से निपटने के लिए काम कर रहे है लेकिन पिछले 6 माह से भी अधिक समय हो गए हमें वेतन नही मिला है.

एक महिला सफाई कर्मचारी ने बताया कि हमारे पति रिक्शा चलाते थे और दूसरे रोजगार करते थे ऐसे में अगर वेतन लेट भी मिले तो घर खर्च चलता रहता था लेकिन लाकडाऊन के चलते पति का भी कामकाज बंद है हम सभी के सामने भूखमरी की समस्या खड़ी हो गई है.

कर्मचारियों ने बताया कि जनवरी से पाच बार संबंधित अधिकारी को लिखित शिकायत कर वेतन की मांग कर चुके है लेकिन जनवरी से अभी तक हमे तारीख पर तारीख ही मिल रही है.

कर्मचारियों ने बताया कि कोविड 19 के चलते हमारे घर वाले नही चाहते की हम ड्यूटी पर जाये उन्हे भय बना रहता है फिर भी इस महामारी से निपटने के लिए हम देश हित मे काम पर डटे हुए है. कर्मचारीयों ने जल्द से जल्द वेतन की मांग की है.

Next Story

विविध