हरियाणा में 4 लाख 56 हजार मजदूरों ने किया 1,000 के भत्ते के लिए आवेदन, 3.15 लाख आवेदन रिजेक्ट
इतने अधिक आवदेन रद्द क्यों हुए। फार्म जमा कराते वक्त क्यों नहीं सावधानी बरती गयी। अभी भी बड़ी संख्या में मजदूर आवेदन के लिये मारे मारे घूम रहे हैं। उनका कहना है कि पता ही नहीं चला कब फार्म जमा हुये..
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की आर्थिक मदद के लिए हरियाणा सरकार ने एक एक हजार रुपये देने का वायदा किया था। प्रति सप्ताह एक हजार रुपये के हिसाब से मजदूरों को मदद दी जानी थी। इस योजना के तहत प्रदेश में 4 लाख 56 हजार आवेदन जमा कराये गये। लेकिन सरकार ने 3.15 लाख आवेदन रिजेक्ट कर दिये हैं। तर्क दिया जा रहा रहा है कि बड़ी ंसंख्या में ऐसे लोगों ने आवेदन कर दिया जो मजदूर ही नहीं थे। इतना ही नहीं बहुत से ऐसे है, जो पहले ही सरकार की किसी न किसी योजना का लाभ ले रहे थे।
असंगठित मजदूर यूनियन के प्रदेशध्यक्ष मदल लाल ने बताया कि सरकार की इस योजना में इतनी खामी है कि मजदूर तो इसका लाभ उठा ही नहीं पा रहे हैं। पोर्टल पर उन्हें फार्म जमा कराना है। यह प्रक्रिया इतनी जटिल है कि अनपढ़ व्यक्ति इसे स्वयं तो भर ही नहीं सकता। इसके लिए उन्हें बाहर जाना पड़ेगा। लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह बाहर जा नहीं पाये। इस तरह से 70 प्रतिशत से ज्यादा मजदूर तो आवेदन ही नहीं कर पाये।
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गुड़गांव जो कि हरियाणा का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र है, लेकिन यहां से 8193 आवेदन ही आये हैं। इसमें से भी 4633 फार्म रिजेक्ट हो गये हैं। इसी तरह से यमुनानगर जो कि प्लाइवुड इंडस्ट्री के लिए देश में जाना जाता है, यहां एक लाख से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के मजदूर है यहां से मात्र 12320 आवेदन आये हैं, इसमें से भी 9304 आवेदन रिजेक्ट हो गये हैं। सोनीपत भी औद्योगिक क्षेत्र है, यहां से 26,400 आवेदन आये, इसमें से 17492 रिजेक्ट कर दिये गये हैं। इसी तरह से पानीपत से 29533 आवेदन आये इसमें से 16433 रिजेक्ट कर दिये गये।
पीपी कपूर ने बताया कि सरकार अपने वायदे के अनुसार सभी मजदूरों को एक एक हजार रुपये प्रति सप्ताह की राशि प्रदान करे। इससे लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को कुछ तो राहत मिलेगी।
मदन लाल ने बताया कि सरकार को चाहिये मजदूरों के आवेदन करने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाये। क्योंकि अभी उन्हें डीसी के पास आवेदन करना होता है। आवेदक को सारी जानकारी अपलोड करनी होती है। फिर आवेदक की जांच होती है। आधार से आवेदन को लिंक करना पड़ता है।
मदन लाल ने बताया कि इसमें कई खामी है। बहुत से मजदूरों को तो आधाकार्ड ही नहीं है। लॉकडाउन की वजह से उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिये कि मजदूरों को आवेदन करने का पूरा मौका दिया जाये। जिससे वह सरकार की इस योजना का लाठ उठा सके। इधर सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी उमाशंकर ने का कि अभी फार्मों की जांच हो रही है। हम आवेदनों की छंटनी कर रहे हैं। इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया अमल में लायी जाएगी ।