दार्जिलिंग। 'कुछ राजनीतिक दल पहाड़ पर अशांति फैलाकर बंगाल का विभाजन करने की साजिश रच रहे हैं, जिसे हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे। पहाड़ के लिए मैं अपनी जान भी दे सकती हूं, पहाड़ हमारा है और हमारा ही रहेगा। दार्जिलिंग हमारा गौरव रहा है, इसे हम किसी भी कीमत पर नष्ट नहीं होने देंगे।'
ये शब्द हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के। यह बातें ममता ने 1 अगस्त को दिनाजपुर जनपद स्थित चोपड़ा ब्लॉक के कालागछ में आयोजित एक जनसभा के दौरान कहीं।
ममता ने गोर्खालैंड के लिए हो रहे अनिश्चित बंद और यहां व्याप्त अशांति के लिए सीधे—सीधे केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि 'भाजपा वाले राज्य में दंगा कराके राजनीतिक फायदा लेना चाहते हैं, इसलिए आम जनता भाजपा से दूर रहे।'
ममता ने कहा कि, 'यहां हो रहे आंदोलन की वजह से पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हो रहा है। बच्चों के स्कूल बंद हैं जिस कारण उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है, उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है। यहां फैली अशांति के लिए पहाड़वासी नहीं, बल्कि कुछ राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं। वे पृथक गोर्खालैंड से अपने राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करना चाहते हैं।'
ममता ने पहाड़ के सभी राजनीतिक दलों से आहवान किया कि वे पहाड़ में शांति बहाली के लिए कदम उठाएं और आगे आएं और आपसी बातचीत के जरिये पहाड़ पर स्वाभाविक स्थिति को कायम करने की कोशिश करें, जिससे बाहरी आकर राजनीतिक लाभ न उठा पाएं। बाहरी ताकतें दंगा भड़काकर भाग जाती हैं जिसका खमियाजा स्थानीय जनता को भुगतना पड़ता है और यही हो भी रहा है। पहाड़ में आम जन को जिन परेशानियों का सामना बंद के कारण करना पड़ रहा है, उसके लिए बाहरी ताकतें जिम्मेदार हैं।
गौरतलब है कि अनिश्चितकालीन बंद की वजह से दार्जिलिंग के चाय बागान बंद पड़े हैं, मजदूरों को दो जून की रोटी तक नसीब नहीं हो पा रही है। रोजगार पर इसका सीधे—सीधे असर पड़ा है। यातायात व्यवस्था भी ठप है, जिससे आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ गोजजुमो केंद्रीय कमेटी ने ममता पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रस्तावित गोर्खालैंड क्षेत्र बंगाल का नहीं है, इसलिए पृथक गोर्खालैंड के गठन से बंगाल विभाजन का सवाल ही पैदा नहीं होता है। गोजमुमो केंद्रीय कमेटी के सदस्य मिरेन लामा ने गोर्खालैंड के समर्थन में रायगंज में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पृथक गोर्खालैंड बनने से सबसे ज्यादा लाभ सिलीगुड़ी और समतल के अन्य शहरों को ही होगा।