मजदूरों की बढ़ती बेरोजगारी और उनके हकों को लेकर मासा ने किया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
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जनज्वार। मोदी सरकार द्वारा मजदूरों पर बढ़ते हमले, निजीकरण, श्रम कानूनी अधिकारों को छीनने के लिए चार श्रम संहिताएं बनाने, बढ़ते दमन, गैरकानूनी छंटनी-बंदी आदि के खिलाफ मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के आह्वान पर 9 सितंबर को देशभर में विरोध—प्रदर्शन हुआ।
हालांकि मुहर्रम के कारण कई इलाकों में कार्यक्रम नहीं हो पाया, जो बाद में होगा। इसके बावजूद विभिन्न राज्यों के कई इलाकों में कार्यक्रम सफलतापूर्वक हुआ। विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन के साथ रैली निकली और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज गया।
राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर विभिन्न संगठनों द्वारा प्रदर्शन किया गया और सभा का आयोजन हुआ। इसमें इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, टीयूसीआई, आईएफटीयू (सर्वहारा), मजदूर पत्रिका, इंकलाबी मजदूर संगठन, क्रांतिकारी नौजवान सभा, कलेक्टिव आदि संगठनों ने भागीदारी की।
दिल्ली के मायापुरी में आईएफ टू सरहाह आईएफटीयू (सर्वहारा) की ओर से श्रमिक सहयोग केंद्र द्वारा मजदूर जुलूस और सभा का कार्यक्रम किया गया। वहीं तेलंगाना में मासा के घटक संगठन आईएफटीयू द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित। आईएफटीयू के नेतृत्व में कोठागुडम जिला हेडक्वार्टर में रैली निकली व जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।
तेलंगाना के वारंगल व खम्मम में भी आईएफटीयू के नेतृत्व में रैली निकली और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज गया। हरियाणा में जन संघर्ष मंच हरियाणा के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र के स्थानीय ताज पार्क से लघु सचिवालय तक जुलूस निकला और डीसी कुरुक्षेत्र कार्यालय पर धरना दिया गया तथा बीआरओ कुरुक्षेत्र के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। इस प्रदर्शन में जन संघर्ष मंच हरियाणा, मनरेगा मजदूर यूनियन, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के नेतृत्व में भारी संख्या में मजदूर शामिल थे। इसके समर्थन में आशा वर्कर्स यूनियन की कार्यकत्री भी शामिल हुईं।
जन संघर्ष मंच हरियाणा के नेतृत्व में कैथल में भी प्रदर्शन हुआ और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा गया। हरियाणा के गोहाना में जन संधर्ष मंच हरियाणा के नेतृत्व में रैली निकाली और एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।
हरियाणा के फरीदाबाद में इंकलाबी मजदूर केंद्र, औद्योगिक ठेका मजदूर यूनियन, आल वीनस वर्कर्स यूनियन के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए। बिहार में ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार और बिहार राज्य निर्माण कामगार यूनियन के नेतृत्व में सासाराम में जुलूस प्रदर्शन के साथ राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा गया।
गया में बिहार ग्रामीण मजदूर यूनियन, सर्वहारा जनमोर्चा, आईएफटीयू (सर्वहारा) ने जुलूस निकाला और विरोध प्रदर्शन किया। पटना में आईएफटीयू (सर्वहारा) व असंगठित भवन निर्माण मजदूर यूनियन की ओर से भिंड मजदूर चौक पर प्रदर्शन व सभा हुई तथा रैली निकली और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया।
पश्चिम बंगाल के हावडा जिले के फुलेस्वर औद्योगिक इलाके में स्ट्रगलिंग वर्कर्स कोऑर्डिनेशन कमेटी (एसडब्लूसीसी) के नेतृत्व में प्रदर्शन हुआ।
उत्तराखंड के रुद्रपुर में श्रम भवन पर इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र तथा श्रमिक संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुआ और डीएलसी के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम 10 सूत्री मांग पत्र भेजा गया। प्रदर्शन में नेस्ले कर्मचारी संगठन, एलजीबी वर्कर्स यूनियन, इंट्रार्क मजदूर संगठन, रॉकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ, भगवती श्रमिक संगठन, याज़ाकी वर्कर्स यूनियन, एडविक श्रमिक संगठन, महिंद्रा सीआईई श्रमिक संगठन आदि संगठन के प्रतिनिधि और मजदूर शामिल रहे।
हरिद्वार में इंकलाबी मजदूर केंद्र व भेल मजदूर ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुआ। पंतनगर में इंक़लाबी मज़दूर केंद्र व ठेका मज़दूर कल्याण समिति ने पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।
काशीपुर में इंकलाबी मजदूर केंद्र और रिचा श्रमिक संगठन द्वारा उपजिलाधिकारी काशीपुर के माध्यम से राष्ट्रपति को 10 सूत्रीय मांगों से सम्बंधित ज्ञापन सौंपा गया।
राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्र नीमराना में डाइकिन एयरकंडीशनिंग मजदूर यूनियन, मजदूर संघर्ष समिति अलवर व संग्रामी मजदूर यूनियन के नेतृत्व में मजदूरों ने प्रदर्शन किया और नीमराणा एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा।
जयपुर में मासा और जयपुर सफाई मजदूर यूनियन ने प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। उत्तर प्रदेश के बरेली में इंक़लाबी मज़दूर केन्द्र, मार्केट वर्कर्स एसोसिएशन, बरेली औद्योगिक मज़दूर यूनियन, ने दामोदर पार्क में सभा की और 7 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा।
विभिन्न इलाकों से राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन द्वारा वेज कोड-2019 को वापस करवाने सहित मजदूर विरोधी चारों संहिताओं को रद्द करवाने, लम्बे संघर्षों से हासिल श्रम कानूनी अधिकारों में हुए समस्त मजदूर विरोधी बदलाव रद्द करने, श्रम कानूनों को संगठित व असंगठित सभी मजदूरों के लिए लागू करवाने, ठेका प्रथा खत्म कर स्थाई काम पर स्थाई रोजगार देने, मासिक न्यूनतम वेतन रुपए 25000 करने, रुपए 15000 बेरोजगारी भत्ता 15000 रुपए और पेंशन 15000 रुपए देने, यूनियन गठित करने तथा संगठित होने के अधिकार पर हमले बंद करने, निगमीकरण के बहाने निजीकरण की मुहिम पर रोक लगाने तथा मंदी के बहाने लगातार छटनी पर रोक लगाने और सबके लिए रोजगार व सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने की माँग उठी। विरोध प्रदर्शन में मजदूर संगठनों ने कई स्थानीय माँगें भी उठायीं।