Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

मजदूर संगठनों ने की अपील भाजपा सरकार द्वारा लगाए प्रतिबंध के खिलाफ एकजुट हो संघर्ष करें तेज

Janjwar Team
1 May 2018 12:06 AM IST
मजदूर संगठनों ने की अपील भाजपा सरकार द्वारा लगाए प्रतिबंध के खिलाफ एकजुट हो संघर्ष करें तेज
x

कहा आरएसएस—भाजपा गठजोड़ की मोदी सरकार चला रही है गरीब मजदूर-किसान विरोधी शासन, जिसके फलस्वरूप एक ओर ‘उग्र राष्ट्रवाद’ और ‘धर्मिक व साम्प्रदायिक भेदभाव’ इत्यादि विचारों को मिल रहा है बढ़ावा, दूसरी ओर अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ रही है भयंकर रूप से...

रांची से विशद कुमार

झारखंड में एक पर्चा जारी कर 'मजदूर एकता संघ' एवं 'मजदूर एकता संघर्ष समिति' ने अंतर्राष्ट्रीय सर्वहारा के महान शिक्षक कामरेड कार्ल मार्क्स का दो सौवां जन्मदिवस को 05 मई, 2018 को मनाने की अपील के साथ साथ झारखंड की रघुवर सरकार द्वारा ट्रेड यूनियन ‘मजदूर संगठन समिति (पंजीयन संख्या : 3113/89)’ को अलोकतांत्रिक तरीके से प्रतिबंधित किए जाने के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष तेज करने की अपील की गई है।

अपील करते हुए कहा गया है कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को याद करने व एक समाजवादी समाज बनाने का संकल्प लेने का दिन आ गया है। यह दिन मजदूर आंदोलन की उपलब्धियों और खामियों का लेखा-जोखा करने वाला दिन है। मई दिवस का इतिहास मजदूर वर्ग के निरतंर संघर्ष, बलिदान और उनके विकास का इतिहास है।

जब से दुनिया में फैक्ट्रियों, कारखानों और बड़े उद्योगों का निर्माण शुरू हुआ, तब से उनमें काम करने वाले मजदूरों को प्रतिदिन गुलामों की तरह 14-18 घंटे काम करना पड़ता था और सप्ताह में कोई भी छुट्टी नहीं होती थी। इस अमानवीय दशा के खिलाफ पूरी दुनिया में मजदूर संगठनों ने मजदूरों की राजनीतिक चेतना को उन्नत करने का काम किया। जिसके परिणामस्वरूप 1867 तक आते-आते मजदूरों का नारा हो गया- ‘‘8 घंटे काम, 8 घंटे आराम, 8 घंटे मनोरंजन और सप्ताह में एक दिन की छुट्टी हो।’’

इन्हीं नारों के इर्द-गिर्द 1 मई, 1886 के ऐतिहासिक दिन हे मार्केट, शिकागो (अमेरिका) में मजदूर बड़े पैमाने पर पूंजीपति मालिकों से अपने हक की लड़ाई लडऩे के लिए उठ खडे हुए थे। हक और इंसाफ की मांग कर रहे इन मजदूरों पर मालिकों की तलवाचाटू पुलिस ने बर्बर हमला कर बहुत सारे मजदूरों की हत्या कर दी थी। उस दिन बहे मजदूरों के खून से ही रंग कर दुनिया के मजदूरों का झंडा लाल हुआ। शिकागो के उन्हीं बलिदानी मजदूरों को श्रद्धांजलि देने और शपथ लेने के लिए कि यह लड़ाई तमाम तरह के शोषण को खत्म करने व एक शोषण मुक्त समाज कायम करने तक जारी रहेगी, दुनिया भर के मजदूरों ने लाल झंडे के साथ मई दिवस को मनाना शुरु किया।

इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस’ नाम यह बताने के लिए दिया गया कि दुनियाभर के मजदूर एक-दूसरे के भाई-बहन हैं और उनका दुश्मन है दुनिया का पूंजीपति वर्ग, जो उनकी लड़ाई को कमजोर करने के लिए उन्हें राष्ट्र, क्षेत्र, भाषा, धर्म, जाति आदि के नाम पर बांटकर आपस में लड़ाए रखना चाहता है। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय सर्वहारा के महान शिक्षक कामरेड कार्ल मार्क्स का दो सौवां जन्मदिवस 05 मई, 2018 को है।

सर्वहारा विचारधारा, राजनीति और वैज्ञानिक समाजवाद के संस्थापक और महान दार्शनिक कामरेड कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी में 05 मई 1818 को हुआ था। कामरेड कार्ल मार्क्स ने एक नयी और वैज्ञानिक सिद्धांत व कार्यपद्धति तैयार की और मानव को एक नयी दिशा दिखाई। 1848 ई0 में कामरेड कार्ल मार्क्स व कामरेड एंगेल्स द्वारा लिखित ‘कम्युनिस्ट घोषणापत्र (कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो)’ ने एक शोषण विहीन समाज का सैद्धांतिक आधार रखने का काम किया।

मार्क्सवादी विचारधारा का विकास तीखे वर्ग-संघर्ष की प्रक्रिया के दौरान तथा इसके अंग के रूप में बुर्जुआ व निम्न-बुर्जुआ विचारधारा, अर्थनीति, राजनीति और सस्कृति के खिलाफ संघर्ष में और मजदूर वर्ग के आन्दोलनों में से उभरे ‘दक्षिण’ व ‘वाम’ अवसरवादों के खिलाफ संघर्ष में हुआ। हजारों सालों से वर्ग-शोषण और उत्पीड़न के जंजीरों से बंधे मानव समाज के लिए मार्क्सवाद ने एक नये युग की शुरूआत की। कामरडे कार्ल मार्क्स की विचारधारा ने वर्ग विहीन समाज की तरफ संक्रमण को - और इस तरह समाज की मुक्ति को - एक वास्तविक संभावना में तब्दील की।

मजदूरों ने पर्चे के माध्यम से मांग की है कि भारत की केन्द्रीय सत्ता में आसीन आरएसएस -भाजपा के नरेन्द्र मोदी की सरकार गरीब मजदूर-किसान विरोधी शासन चला रही है, जिसके फलस्वरूप एक ओर ‘उग्र राष्ट्रवाद’ और ‘धर्मिक व साम्प्रदायिक भेदभाव’ इत्यादि विचारों को बढ़ावा मिलना जारी है और दूसरी ओर अमीर और गरीब के बीच खाई क्रमशः और भयंकर रूप से बढ़ती ही जा रही है।

महंगाई, बेरोजगारी बहुत तीव्र रूप धारण कर गयी है। काले धन पर अकुंश लगाने व भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का झूठा वादा कर मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के जरिए सारे गरीब व मध्यम वर्ग की संचित धनराशि को साफ कर दिया गया। कुटीर उद्योग, छोटे व मध्यम उद्योग-धंधे को भी बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं, बैंक पूंजी को बढावा मिलने के साथ-साथ भ्रष्टाचार भी दुगुनी हो गयी है।

गौ-हत्या के विरोध के नाम पर पूरे देश में अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिमों के साथ मारपीट व उनकी हत्या की जा रही है। पशु हत्या बदं करने के नाम पर बूचड़खाना बंद किया जा रहा है। फलस्वरूप पशु खरीद-बिक्री, पशु मांस की खरीद-बिक्री व चमड़ा उद्योग बंदी के कगार पर है। उक्त कामों से रोजी—रोटी चलाने वाली आम जनता बेरोजगार हो गयी हैं।

जाति भेद, धार्मिक मतांधता, छुआ-छूत, साम्प्रदायिकता आदि धड़ल्ले से बढ़ाया जा रहा है। ‘हिन्दी-हिन्दू-हिन्दुस्तान’ नारे के जरिये ब्राह्मणवादी अहंकार, बड़ी जाति के जैसे घमंड को स्थापित किया जा रहा है। महिलाओं पर जुल्म-अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढती जा रही हैं। ‘बेटी बचाओ,बेटी—पढ़ाओ' नारों की आड़ में विश्वविद्यालय के छात्राओं को छेड़खानी का शिकार होना पड़ रहा है व पुलिस की पिटाई खानी पड़ रही है।

दरअसल सभी प्रकार के प्रतिवाद-प्रतिरोध की आवाजों को पुलिस के बुटों तले रौदा जा रहा है। मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मैनुफैक्चरिंग हब, मोमेंटम भारत आदि नारे की आड़ में कार्पोरेट घराने को संसाधनों व सस्ते श्रम की लूट के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।

कहा जा रहा है कि कारपोरेट घरानों यानी पूंजीपति लोग ही लाखों-करोड़ों बेरोजगारों को नौकरी देंगे, जबकि अभी बड़े उद्योगों का हाल ऐसा है कि पहले एक मशीन से 4 मजदूरों को काम मिलता था और अभी एक मजदूर को ही 4/6 मशीन चलाना पड़ेगा। इसी तरह से सभी सार्वजनिक उद्योगों, सेवा संस्थानों (जैसे- रेलवे, बैंक, बीमा, शिक्षा-स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों आदि) को कारपोरेट घरानों को लगभग पूर्ण रूप से पानी के भाव में बेच दिया जा रहा है।

मोदी सरकार के जमाना में व्यापक रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की ताजा मिसालें हैं, फिलहाल मोदी मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया सिंगल (एकल) ब्रांड यानी खुदरा व्यापार व निर्माण क्षेत्र में सौ-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति का निर्णय। साथ-साथ मजदूर-किसान विरोधी कानून बनाकर उनके आंदोलन को कुंद करने तथा पुलिस द्वारा मार-पीट, हत्या आदि के द्वारा मजदूर-किसानों पर दमन करने की कार्रवाई चलायी जा रही है। जिससे लाखों मजदूर बेरोजगार हो रहे हैं और किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

जीएसटी लागू करने के फलस्वरूप किसानों, छोटे-मध्यम किस्म के उद्योग-धंधों को झटका लगा है। इससे कृषि, औद्योगिक व सेवा क्षेत्र संकुचित होते जा रहे हैं। डिजिटलीकरण, नगदी रहित अर्थव्यवस्था, आधार कार्ड आदि लागू कराने के जरिए साम्राज्यवादी वित्तीय पूंजी के शिकंजे में आम जनता को और ज्यादा से ज्यादा फंसाया जा रहा है। ऐसा कि निजता के अधिकार सहित मानव जीवन के सारे डाटा उपलब्ध करवाकर साम्राज्यवादियों के खुफिया तंत्रों के हाथ को ही मजबूत किया जा रहा है।

इसके अलावा आरएसएस ने सत्ता की मदद से ब्राह्मणीय हिन्दुत्व फासीवादी गिरोह का निर्माण किया और उसे सत्ता का संरक्षण भी प्राप्त है। फिर, गरीब व दलितों के नरसंहार करने वाले तत्वों को भी सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। इस कारण से ही बिहार के दलित हत्याकाडं में संलिप्त रणवीर सेना के सभी अपराधियों को बाइज्जत रिहा कर दिया गया।

मालेगांव सीरियल ब्लास्ट कांड के शातिर अपराधी यानी साध्वी प्रज्ञा व कर्नल पुरोहित बाइज्जत रिहा हो गए। एस. सी./एस. टी. एक्ट में संशोधन के जरिये भी दलितों-आदिवासियों के हक-अधिकार पर खुल्लम-खुल्ला हमला बोल दिया गया है। श्रम कानूनों में व्यापक संशोधन कर कम्पनी मालिकों को मजदूरों के श्रम को लूटने की खुली छूट दे दी गई है।

झारखंड की फासीवादी भाजपा सरकार द्वारा यहां के आदिवासियों-मूलवासियों को उनके जल-जंगल-जमीन से उजाड़ने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। यहां की जमीन को देशी-विदशी पूंजीपतियों को औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है और इसकी खिलाफत करने वालों को जेल में डाल दिया जा रहा है या माओवादी बताकर गोलियों से भून दिया जा रहा है।

इसी कड़ी में 27-28 साल पुराने रजिस्टर्ड ट्रेड यूनियन ‘मजदूर संगठन समिति’ को भाकपा (माओवादी) का मुखौटा संगठन बताकर श्रम कानून का घोर उल्लंघन कर पिछले 22 दिसम्बर, 2017 को झारखंड सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया और इनके कई कार्यालयों को सील करते हुए इनके कई नेताओं पर देशद्रोह का मुकदमा लाद दिया गया व कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया है।

झारखंड में व्यापक पैमाने पर हो रहे विस्थापन के खिलाफ आंदोलन करने वाले ‘विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन’ के नेता दामोदर तुरी को भी झूठे आरोपों में जेल में डाल दिया गया है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि झारखंड में पुलिसिया राज कायम है।

पर्चे के माध्यम से कहा गया है कि तमाम मेहनतकश मजदूरों, छात्र-नौजवानों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलित-आदिवासियों, किसानों व प्रगतिशील देशवासियों से अपील है कि मोदी-रघुवर सरकार की विनाशकारी व मेहनतकश मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने व एक शोषण मुक्त समाज की स्थापना की लड़ाई को तेज करने का संकल्प लेने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 01 मई, 2018 एवं अंतर्राष्ट्रीय सर्वहारा के महान शिक्षक कामरेड कार्ल मार्क्स का दो सौवां जन्मदिवस 05 मर्इ, 2018 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर इसे सफल बनावें व रजिस्टर्ड ट्रेड यूनियन ‘मजदूर संगठन समिति (पंजीयन सं0: 3113/89)’ पर झारखंड की मजदूर-किसान विरोधी भाजपा सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष तेज करें।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध