यूनियन गठन पर कोयंबटूर LGB रालोन में मजदूर दमन, अध्यक्ष सहित 6 पदाधिकारी गिरफ्तार
होंडा दमन दिवस की दूसरी वर्षगांठ पर प्रतिरोध दिवस आयोजित, भारी तादाद में शामिल हुए मजदूर
मजदूर दमन की खबरें आए दिन आती रहती हैं, ये और बात है कि इन खबरों को मीडिया में स्थान नहीं मिल पाता। प्रबंधन मजदूरों की यूनियनें नहीं बनने देना चाहता। हालिया मामला LGB रालोन से जुड़ा है।
मजदूर यूनियन बनाते ही LGB रालोन के कोयंबटूर प्लांट में मजदूरों का दमन तेज हो गया है। पिछले 13-14 फरवरी को प्रबंधन की मिलीभगत से फैक्ट्री गेट के निकट मजदूरों के लगे टेंट पर पुलिस ने हमला बोल उसे तोड़ दिया और नवगठित यूनियन के अध्यक्ष सहित 6 पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। कंपनी द्वारा कोर्ट से उसी दिन 100 मीटर दायरे में धरना-प्रदर्शन पर रोक का स्टे प्राप्त किया गया था।
दरअसल, LGB कोयंबटूर प्लांट में अभी नई यूनियन पंजीकृत हुई थी। 21 जनवरी को मजदूरों ने अपना मांग पत्र तैयार किया था। इसका पता लगने के बाद प्रबंधन ने पांच पदाधिकारियों सहित 6 मजदूरों का ट्रांसफर उत्तराखंड के पंतनगर प्लांट में कर दिया। इसके खिलाफ मजदूरों का संघर्ष शुरू हो गया। अभी मजदूर गैरकानूनी ट्रांसफर, गिरफ्तार श्रमिकों की रिहाई और यूनियन को मान्यता देने के सवाल पर संघर्षरत हैं।
इधर LGB के पंतनगर प्लांट में यूनियन द्वारा एक वर्ष पूर्व दिए गए मांगपत्र पर विवाद जारी है और मजदूर संघर्षरत हैं। पंतनगर प्लांट में भी सन 2012 में जब यूनियन बनी थी, तब मजदूरों को भारी दमन का सामना करना पड़ा था। उस वक्त यूनियन महामंत्री (वर्तमान अध्यक्ष) वीरेंद्र सिंह बर्खास्त हुए थे और अन्य पदाधिकारी इधर-उधर हटाए गए थे। लेकिन मजदूरों ने धैर्यपूर्वक अपनी एकता बनाए रखते हुए लगातार संघर्ष जारी रखा। वीरेंद्र कुमार की लेबर कोर्ट से जीत के बावजूद काफी रस्साकशी के बाद प्रबंधन द्वारा काम पर तो ले लिया गया, लेकिन स्थायीकरण का पत्र अभी तक नहीं दिया गया। प्रबंधन ने यह मामला हाईकोर्ट में डाल दिया।
यूनियन द्वारा पिछले साल 31 जनवरी, 2017 को वीरेंद्र सिंह को नियुक्ति पत्र देने सहित वेतन वृद्धि व सुविधाओं के संबंध में मांगपत्र दिया गया था। स्पोकेट चेन बनाने वाली LGB के कोयंबटूर में तीन, बेंगलुरु, पंतनगर, इरोड, गुडालोर व मैसूर में एक-एक प्लांट है। मैसूर में यूनियन को मान्यता मिल चुकी है, जबकि पंतनगर प्लांट में भी प्रबंधन को लंबे संघर्ष के बाद यूनियन को स्वीकार करना पड़ा था।
वहीं कल 16 फरवरी को होण्डा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर प्लांट, टपूकड़ा, राजस्थान में मज़दूर दमन और मज़दूरों के निकाले जाने की दूसरी वर्षगांठ को मज़दूरों ने प्रतिरोध दिवस के रूप में मनाया।
यह दमन इसलिए किया गया था क्योंकि यूनियन बनाने की भनक होंडा प्रबंधन को लग गई थी। विरोध में मज़दूर जब आंदोलित हुए तो राजस्थान पुलिस ने खाकी वर्दी का खौफ फैला दिया था। 16 फरवरी, 2016 को मज़दूरों ने भारी पुलिसिया दमन का सामना किया था। बड़े पैमाने पर मज़दूरों की गिरफ्तारियां हुई, मजदूरों का भारी उत्पीड़न किया गया। जयपुर से लेकर गुड़गांव तक प्रदर्शन तक पर रोक लग गई थी। अंततः राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल और धरना द्वारा आंदोलन को गति दी गई। हरियाणा, राजस्थान में यात्रा अभियान चला था। बिखराव के बावजूद मज़दूर आज भी संघर्षरत हैं।
इस दौरान हाल फिलहाल चल रहे कोर्ट केसो और आगे की होने वाली प्रक्रिया के बारे में चर्चा हुई।
कार्यक्रम में होंडा टपूकड़ा के मजदूरों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के मज़दूर शामिल रहे। यहाँ डाइकिन यूनियन की तरफ से दौलतराम, मजदूर सहयोग केंद्र से अमित, मजदूर बिगुल से अनंत, ऑटोमोबाइल कांट्रेक्ट यूनियन की तरफ से श्याम समेत अन्य लोगों ने इलाके के मजदूरों पर हो रहे शोषण और अत्याचारों पर बात रखी और होंडा मजदूरों के आंदोलन को आगे बढ़ाने पर सुझाव दिए।
मजदूर नेताओं ने कहा कि कोर्ट में चल रही कार्रवाई में समय जरूर लग रहा है, पर रिज़ल्ट मजदूरों के हित में आयेगा और अपने हकों के लिए जो भी लड़ाई चाहे वो क़ानूनी हो या कोई आंदोलन हो उसके लिए फिर से तैयारिया होंगी। आमसभा को रोकने की कोशिशें भी की गईं लेकिन सभा चलती रही। इस दौरान पुलिसकर्मी और प्रशासन के कुछ अधिकारी कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहे।