दिल्ली। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के 40 हजार बांध प्रभावित परिवारों के पूनर्वास के लिए उपवास पर बैठीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के उपवास का आज 9वां दिन है। उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। उनके साथ अन्य 12 लोग भी लगातार उपवास पर बैठे हैं, उनमें से तीन की स्थिति अच्छी नहीं।
बांध प्रभावितों के पूनर्वास के सवाल पर मध्य प्रदेश के शिवराज सरकार की बेपहरवाही के कारण मेधा की जान को खतरा बढ़ गया है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली के जंतर—मंतर पर भी दर्जनों आंदोलनकारी धरना दे रहे हैं।
धरने में शामिल पूर्व विधायक डॉक्टर सुनीलम के मुताबिक मेधा के उपवास का आज 9 वां दिन है लेकिन कोई भरोसेमंद आश्वासन नहीं दे रही है। बड़वानी में न सिर्फ मेधा की तबीयत बल्कि अन्य आंदोलनकारियों की भी तबीयत बिगड़ती जा रही है। सवाल है कि शिवराज सिंह चौहान उजाड़ना जानते हैं, बसाना क्यों नहीं।
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नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक 25 मई को जारी हुए गजट नोटीफिकेशन में सरकार की ओर से बताया गया है कि 141 गाँव के 18386 परिवार डूब क्षेत्र में निवासरत हैं। हालांकि यह संख्या भी कम थी लेकिन अब वैश्य ने उसको चार गुना घटाकर सरकार की मंशा को जाहिर कर दी है कि सरकार और उसके अधिकारी उचित पुनर्वास की बजाय हजारों परिवारों के साथ पुनर्वास का खेल—खेलना चाहते हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन का कहना है कि आज वैश्य जिस संख्या को 5 हजार बता रहे हैं, उसे की कुछ दिन पहले नर्मदा विकास प्राधिकरण और जिलाधिशों ने 8700 बताया था और कहा था 9300 परिवार पुनर्वासित हो निकल गए हैं। परंतु यह बात भी झूठी थी, क्योंकि 100 परिवार भी नहीं हटें हैं मूलगाँव से और अभी 40000 से ज्यादा परिवार डूब क्षेत्र में रह रहे हैं।