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आंदोलन

इस थाने से उस थाने भटकती रहीं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष

Janjwar Team
10 Nov 2017 2:38 AM IST
इस थाने से उस थाने भटकती रहीं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष
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अपराध रोकने की प्रथम कड़ी पुलिस ही होती है, जिसकी दिल्ली में भारी कमी है। हर रोज तीन लड़कियों का दिल्ली में बलात्कार होता है, क्योंकि आबादी के अनुसार हर थाने में पुलिस बल की भारी कमी है...

दिल्ली, जनज्वार। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जय हिंद ने दिल्ली पुलिस में लंबे समय से लंबित पड़े 66 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की कानून व्यवस्था सुधारने के लिए और दिल्ली की महिलाओं व बच्चियों की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के संसाधान बढ़ाने की जरूरत है।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह एक डेढ़ साल और सात साल की बच्ची के साथ रेप की घटना घटी है। इन बच्चियों से मिलने के बाद आयोग की चेयरपर्सन ने फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली को लिखा है कि दोनों बच्चियों की सर्जरी हुई है। दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन होने के नाते मैं उन बच्चियों से मिली हूँ, उनका दुःख और दर्द इतना बड़ा है कि उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती है। उनकी आंखें लाखों सवाल पूछ रही हैं। इस सबके लिए हमारा सिस्टम जिम्मेदार है।

इन बच्चियों को न्याय दिलाने के लिए और इस तरह की घटना दोबारा न हो, इसे रोकने के लिए पिछले 3 दिनों से दिल्ली महिला आयोग की चेयरपर्सन स्वाति जय हिन्द अपने आफिस से दिन रात काम करते हुए अपना विरोध प्रकट कर रही हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि बाल दिवस 14 नवंबर तक ऐसा प्रारुप तैयार किया जाए ताकि बच्चियों से रेप करने वालों को 6 महीने के अंदर फांसी की सजा हो। वे 14 नवंबर तक दिन रात काम करते हुए अपना विरोध प्रकट करेंगी।

स्वाति ने लिखा है कि दिल्ली में रोजाना 3 बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं हो रही हैं। दिल्ली को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। बच्चियों व महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे के मददेनजर सभी को आपस में मिल बैठकर इसका हल निकालने की आवश्यकता है।

वित्तमंत्री को लिखे अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि अपने विरोध के दूसरे दिन रात के करीब 3 बजे तक दिल्ली के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों का औचक निरीक्षण किया तो पता चला पुलिस स्टेशनों में एसएचओ ड्यूटी पर थे, लेकिन इन चारों थानों में पुलिस फोर्स बहुत ही कम थी। जब इतनी कम पुलिस फोर्स होने का कारण पूछा तो पता चला कि जितने पुलिसकर्मियों की पोस्ट थानों के लिए स्वीकृत की गई हैं, उनकी तुलना में पुलिसकर्मी बहुत कम हैं बाकि पोस्ट खाली पड़ी हैं।

रात के समय आयोग की चैयरपर्सन ने सबसे पहले जाफराबाद पुलिस स्टेशन का दौरा किया। इस पुलिस स्टेशन में 217 पुलिसकर्मियों की पोस्ट स्वीकृत हैं लेकिन वर्तमान में 124 पुलिसकर्मी ही इस थाने में तैनात है, बाकि पोस्ट खाली पड़ी हैं। जाफराबाद पुलिस स्टेशन में काफी बड़ा एरिया आता हैं और जनसंख्या बहुत अधिक है। इस पुलिस स्टेशन के अंतर्गत 10 बीट बनाई गई हैं लेकिन बीट के लिए 3 से 4 पुलिसवाले ही होते हैं क्योंकि बाकी पोस्ट रिक्त हैं।

कुछ ऐसा ही हाल वेलकम पुलिस स्टेशन का है, जहां डीसीडब्ल्यू चीफ ने अपने औचक निरीक्षण में पाया कि इस पुलिस स्टेशन में 208 पुलिसकर्मियों की पोस्ट स्वीकृत की गई हैं। लेकिन वर्तमान में सिर्फ 114 पुलिस वाले ही यहां पोस्टेड हैं। रोहिणी जिले में आने वाले प्रशांत विहार पुलिस स्टेशन में 236 पुलिस पोस्ट स्वीकृत हैं, लेकिन यहां भी मात्र 163 पुलिस वाले ही तैनात हैं बाकि पोस्ट खाली पड़ी हैं।

थानों में स्टाफ की कमी और केसों की अधिकता की वजह से पुलिस वाले क्राइम क्रंट्रोल करने के लिए पेट्रोलिंग, पीकेट चैकिंग और बीट पर जाने जैसे महत्वपूर्ण काम नहीं कर पाते हैं।

स्वाति ने लिखा है कि दिल्ली पुलिस में जितनी पोस्ट स्वीकृत हैं उसके लगभग 40 से 50 प्रतिशत पोस्ट खाली पड़ी हैं, ऐसे में दिल्ली का क्राइम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। थानों में महिला पुलिसकर्मियों की बहुत कम संख्या चिंता का विषय है। उपरोक्त तीनों पुलिस स्टेशनों में रात के समय कॉन्सटेबल रैंक की एक महिला पुलिसकर्मी थी। जबकि एक पुलिस स्टेशन में तो एक भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी।

आयोग की अध्यक्ष ने अपने पत्र में सदर बाजार का उदाहरण देकर बताया कि दिल्ली में पुलिसकर्मियों की कितनी कमी है। सदर बाजार के व्यापारियों ने दिल्ली महिला आयोग को सूचित किया कि उनके यहां बाजार में आये दिन छेड़छाड़ व चोरी की घटनाएं होती रहती हैं।

जब इस मामले में आयोग ने स्थानीय पुलिस को सदर बाजार में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस तैनात करने के लिए कहा तो स्थानीय पुलिस का कहना था कि उनके पास इतनी संख्या में पुलिसकर्मी नहीं है कि पर्याप्त संख्या में पुलिस वालों को पेट्रोलिंग के लिए सदर बाजार में तैनात किया जा सके। इसका नतीजा यह निकला कि इतने बड़े बाजार में एक महिला पुलिसकर्मी को तैनात किया गया वह भी कुछ घंटों के लिए।

एक तरफ पुलिसकर्मियों की भारी कमी है, वहीं काफी संख्या में पुलिस बल को वीआईपी सुरक्षा में तैनात कर दिया जाता है। जिसका खामियाजा दिल्ली की बच्चियों और महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है और उनकी सुरक्षा खतरे में है।

स्वाति जय हिंद ने अरुण जेटली से पत्र के माध्यम से सवाल किया है कि इतने कम पुलिस स्टाफ से क्या दिल्ली की बेटियों व महिलाओं की सुरक्षा की जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि केंद्र सरकार ने कहा है उसके पास पुलिसकर्मियों की भर्ती के करने के लिए 425 करोड़ रुपए का फंड नहीं है। केंद्र सरकार के इस रुख से साफ झलकता है कि ये सरकार न केवल महिलाओं को लेकर असंवेदनशील है, बल्कि महिला विरोधी भी है।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि उम्मीद करती हूं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त फंड सरकार रिलीज कर देगी। कहीं ऐसा न हो कि केंद्र सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिलाओं पर ही टैक्स लगाना न शुरू कर दें।

स्वाति ने लिखा है, वे उम्मीद करती हैं कि 14 नवंबर बाल दिवस तक फाइनेंस मिनिस्ट्री पुलिसकर्मियों की भर्ती के लिए लंबित फाइल को पास कर देगी। उन्होंने कहा कि इस मसले को अभी तक ब्यूरोक्रेटिक ढंग से डील किया गया है, लेकिन अब विश्वास है पुलिसकर्मियों की भर्ती की 10 साल पुरानी मांग को फाइनेंस मिनिस्ट्री जल्द से जल्द मानेगी। यदि मेरे पत्र मिलने के बाद भी इस पर कोई निर्णय नहीं लेंगे तो आपसे गुजारिश है कि एक बार उस 7 साल की बच्ची को अस्ताल में देख कर आयें और उसके सवालों का जवाब दें। मुझे पूरा विश्वास है कि आपको असली हकीकत का पता चल जाएगा।

अंत में उन्होंने लिखा कि 14 नवंबर बाल दिवस पर दिल्ली के बच्चे मजबूत और पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी उनकी सुरक्षा के लिए तैनात हो, इसके तो वे हकदार हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि फाइनेंस मिनिस्टर तुरंत एक्शन लेंगे और दिल्ली पुलिस को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएंगे। स्वाति जय हिंद ने लिखा है कि फाइनेंस मिनिस्टर उनके दर्द और क्रोध को सही अर्थों में समझेंगे।

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