केदारनाथ में किए सिर्फ 2 वादे पूरे कर दें मोदी, बदल जाएगी उत्तराखंड की तस्वीर
मोदी ने केदारनाथ यात्रा में जुमले तो बहुत छोड़े पर काम की भी 2 बातें कीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह महीने में दूसरी बार केदारनाथ पहुंचे। वे केदारनाथ दर्शन को गए थे कि शनिवार से केदारनाथ के कपाट बंद हो जाएंगे। पर उन्होंने मौका दे भाषण भी दे डाला और लंबे—लंबे वायदे भी किए। इनमें से ज्यादातार वायदे जुमलों के करीब हैं, पर कुछ बातें ऐसी हैं, जिनपर वाकई अगर मोदी सरकार काम करे तो उत्तराखंड की मुख्य समस्या पलायन में कमी आएगी और सही मायने में उत्तराखंड के विभाजन का मतलब भी निकलेगा।
जनज्वार ने मोदी जी की केदारनाथ यात्रा के दौरान किए वायदों को तीन हिस्सों में बांटा है। हाइट वाला जुमला, सामान्य जुमला, काम वाला जुमला और काम की बातें।
सबसे पहले मोदी जी का
हाइट वाला जुमला — जून 2013 में आई आपदा के दौरान अपने आपको मैं रोक नहीं पाया और यहां चला आया था। उस समय की सरकार से प्रार्थना की थी कि गुजरात सरकार को केदारनाथ के पुनर्निर्माण का कार्य दे दीजिए। वह मौका केदारनाथ जी ने आखिरकार दे ही दिया।
सामान्य जुमला
राज्य के हजारों परिवारों के यहां अभी बिजली जानी है। प्रदेश को हमने लकड़ी के चूल्हे से मुक्त करने का बीड़ा उठाया। अब हम चाहते हैं कि सभी के घरों में बिजली हो। गांव पूरे तौर पर खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। हिमालय में अलग-अलग जाने पर अलग अनुभूति होती है। मैं हिमालय में बहुत घूमा हूं। यहां जो पुनर्निर्माण किया जाएगा उसमें आधुनिकता होगी, लेकिन आत्मा वही होगी।
पुराना जुमला
आज उत्तराखंड में 5 परियोजनाओं की शुरुआत हो रही है। सड़क को चौड़ा कर दिया जाएगा। पुरोहितों की सुविधा का ध्यान रखा जाएगा। यहां पोस्ट ऑफिस, बैंक आदि का प्रबंध रहेगा । शंकराचार्य संग्रहालय समेत 5 योजनाओं का किया शिलान्यास।
काम का जुमला
उत्तराखंड के लोगों के गहरा अनुशासन है। जहां फौजी इतनी संख्या में हों वहां का अनुशासन होती ही है। यह यात्रियों के लिए भी उपयोगी है। रिटायर्ड फौजियों के लिए योजना शुरू करनी चाहिए।
काम की बात
लोग कहते हैं कि पहाड़ का पानी और जवानी कभी काम नहीं आता, लेकिन हमने इसे यहां के लिए उपयोगी बनाने का बीड़ा उठाया है। हिमालय में पर्यटन की अपार संभावना है। मैं राज्य सरकार को न्योता देता हूं कि उत्तराखंड में जागरुकता फैलाकर जैविक खेती को प्रोत्साहित करे। यहां के लोगों को आयुर्वेद की जो जानकारी है उसका उपयोग पूरी दुनिया के लिए किया जा सकता है।
अगर सरकार 'काम की बात' और 'काम के जुमले' को ही अपना ले तो उत्तराखंड के नवनिर्माण को संभव किया जा सकता है। पर खतरा यह है कि कहीं इन दोनों बातों को भी मोदी जी की जुमलेबाजी वाली श्रेणियों में नौकरशाह न समेट दें।