कानपुर में ठंड से 24 से भी ज्यादा लोगों की मौत, रैनबसेरों में भी नहीं मिल रही गरीबों को एंट्री
कानपुर में कड़ाके की ठंड से दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत, अस्पताल में मरीजों की संख्या में हुई बढोत्तरी, रैनबसरों में भी लोगों को नहीं मिल रही एंट्री....
कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। सर्दिकल स्ट्राइक ने शहर में कोहराम मचाया हुआ है। पारा दिसम्बर से लगातार लुढ़ककर आठ डिग्री पहुंच गया है। इसके चलते कानपुर में पंद्रह से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। इससे पहले भी करीब 8 से 10 लोगों की ठंड की वजह से मौत हो चुकी है। पहले प्रदूषण की अनदेखी और अब ठंड से बचने के कोई खास उपाय प्रशाशन द्वारा उपलब्ध न करवाये जाने से आये दिन लोगों की मौतें हो रहीं हैं।
कड़ाके की ठंड से जिन लोगों की मौतें हुई हैं उनमें कल्याणपुर के राधे (56 वर्षीय ), गंगा देवी (70 वर्षीय), काकादेव के राममिलाप (55 वर्षीय), आवास विकास के पुरुषोत्तम (48 वर्षीय), चकेरी की कुलसुम (62 वर्षीय), चमनगंज की निकहत (44 वर्षीय), ग्वालटोली के विनोद (58 वर्षीय), मंधना के राजेश कुमार (47 वर्षीय), पनकी के वल्लभ (65 वर्षीय), गोविंदनगर निवासी ब्रजेश पाल (59 वर्षीय), बिधनू निवासी सुनीता (50 वर्षीय), रौगांव निवासी संतोष, बद्री प्रसाद मौर्या, जरीब चौकी निवासी दयाल मिश्रा, बिल्हौर निवासी दलजीत सिंह आदि के नाम शामिल हैं।
ठंड के चलते मरीजों से अस्पताल पट गए हैं, वहीं उनके साथ आए तीमारदारों को रैनबसेरों में एंट्री नहीं मिल रही है। वह अलाव के जरिए ठंड भगा रहे हैं। साथ ही गरीब व भीख मांगकर गुजर-बसर करने वाले भीषण ठंड में सड़क के किनारे सोने को मजबूर हैं।
जनज्वार ने शहर के चार रैनबसेरों का रियलिटी टेस्ट किया। लायंस क्लब रैनबसेरे में रात पौने 12 बजे लोग कमरों की जगह बाहर आग सेककर सर्दी को दूर कर रहे थे, तो चुन्नीगंज में भी यहीं हाल देखने को मिला। रैनबसेरा तो खुला था लेकिन बिना पैसे के किसी को अंदर आने नहीं दिया गया। इसके अलावा एक्सप्रेस रोड में नगर निगम के रैनबसेरे का हाल भी जस के तस था। यहां पर कर्मचारी कब्जा जमाए हुए मिले, जबकि गरीब अलाव तापते हुए नजर आए।
चुन्नीगंज रैनबसेरे में विभागीय कर्मचारियों ने जमाया कब्जा
शहर में पिछले दस दिन से ठंड ने कहर ढाया हुआ है। इस दौरान दो दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है तो सैकड़ों लोग अस्पताल में भर्ती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी रैनबसेरों में लोगों को आश्रय देने के आदेश जिला प्रशासन को दिए थे। उनका यह आदेश जमीन पर कितना काम कर रहा है, इसके लिए हमने रात 11 बजे कानपुर के तीन रैनबसेरों का रियलिटी चेक किया। चुन्नीगंज में बने रैनबसेरे के बाहर गरीब ठंड को भगाने को अलाव ताप रहे थे तो वहां पर विभागीय आराम फरमा रहे थे।
इस मामले पर जब कर्मचारी से बाहर बैठे लोगों को अंदर प्रवेश नहीं देने के बारे में पूछा गया तो उसका जवाब था कि यहां पर जगह नहीं बची। अलाव ताप रहे रिक्शा चालक ने बताया कि रैनबसेरे में गरीब नहीं, बाहर से आये अमीर और यहां के कर्मचारियों के रिश्तेदार ठहरते हैं।
स्वरूप नगर में बंद मिला रैनबसेरा
शहर के बीचों-बीच हैलेट अस्पताल के पास बना रैनबसेरा बंद मिला। यहां पर दूर-दराज से तीमारदार अपने मरीज को देखने के लिए आते हैं। लेकिन रैनबसेरे में ताला बन्द होने के चलते फुटपाथ में शरण लेनी पड़ी। सड़क पर सो रहे एक व्यक्ति ने बताया कि यह रैन बसेरा पिछले तीन महीने से बंद है। इसे गरीबों को ठंड, गर्मी और बरसात में आश्रय देने के लिए बनाया गया है,लेकिन ये सिर्फ अधिकारियों के मर्जी से खुलता है।
पूरा रैनबसेरा चारो तरह से खुला मिला
रात करीब एक बजे एक्सप्रेस रोड स्थित नगर निगम के रैनबसेरे का जायजा लिया गया। यहां भी ऐसा ही हाल देखने को मिला। यहां न ही कोई गार्ड था और न ही कर्मचारी। पूरा रैन बसेरा खाली पड़ा हुआ था, उसमें रजाई और गद्दा तो दूर वहां इतनी बदबू थी की खड़े होना भी मुश्किल था। अलाव ताप रहे लोगों ने बताया कि यहां शराबीयों-जुआरियों और अफीम- गांजा पीने वालों का अड्डा है।
रैनबसेरे के बाहर बैठे पप्पू कहते हैं, 'जब भीषण ठंडी पड़ती है सिर्फ तब ही यहां गरीबों के लिए सोने का लिए जगह नहीं हैं। कर्मचारी शाम को आते हैं और जो लोग पैसे देते हैं उन्हें अंदर प्रवेश करा चले जाते हैं। रैनबसेरों में अराजकतत्वों का जमावड़ा रहता है।'