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ट्रस्टी बेचना चाहते हैं अस्पताल को, आरोपितों का नाम आ चुका है काले धन और विदेशी खातों से जुड़े मामलों में भी...
दिल्ली। मायानगरी मुंबई के सुप्रसिद्ध अस्पताल लीलावती को संचालित करने वाले ट्रस्टियों द्वारा 500 करोड़ रुपए का घोटाला किए जाने का एक मामला सामने आया है। लीलावती वही प्रसिद्ध अस्पताल है जहां जाने—माने फिल्मी सितारों सहित देश के दिग्गज हस्तियों का इलाज होता है।
लीलावती अस्पताल के मैनेजिंग एवं परमानेंट ट्रस्टी निकेत मेहता ने ट्रस्ट के अन्य ट्रस्टियों और इसके मैनेजमेंट पर 500 करोड़ रुपये के घपले का आरोप लगाते हुए जांच किए जाने की मांग की है। निकेत मेहता ने इस मामले को देख रहे अपने वकील तनवीर निजाम के माध्यम से इस सम्बन्ध में मुंबई के पुलिस कमिश्नर दत्ता पड़सालगीकर से मुलाकात कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस को इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए एक पत्र लिखा है।
निकेत मेहता कहते हैं कि कुछ वर्षों पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के 300 लोगों की टीम ने लीलावती अस्पताल के ट्रस्टियों पर छापामारी की थी और इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक एसआईटी भी गठित की गयी थी। हालांकि अभी तक इस बारे में एसआईटी ने इस सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में कोई रिपोर्ट पेश नहीं की है।
निकेत बताते हैं, “मैंने कई बार बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी एवं मैनेजमेंट को अस्पताल के बहीखातों की बाहरी ऑडिटरों से जांच करवाने के लिए कहा था, जिससे की संस्थान में हो रहे घपले का पता लगाया जा सके, अव्यवस्थाओं को दूर किया जा सके और इस बात को निश्चित किया जा सके की आने वाले दिनों में ऐसे घपले न हों, लेकिन इस बात को सभी ट्रस्टियों ने कई बार नज़रअंदाज़ किया।”
इस मामले को देख रहे निकेत मेहता के वकील तनवीर निजाम कहते हैं कि ट्रस्टियों के दो पक्ष अस्पताल को बेचना चाहते हैं और हजारों करोड़ मूल्य की संपत्ति हज़म करना चाहते हैं। अगर ऐसा होता है तो लीलावती के संस्थापक स्वर्गीय विजय मेहता के सपनों को चकनाचूर होते देर नहीं लगेगी, क्योंकि उनका सपना था कि उच्च स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं इस देश में सभी को उपलब्ध हों।
निजाम के मुताबिक मुंबई, पुणे, रायगढ़, नई दिल्ली और कोलकाता में ट्रस्ट के पैसों से खरीदी गयी करोड़ों की संपत्तियां आज किसी और के नाम से पड़ी हुयी हैं। ये सारी संपत्तियां ट्रस्ट के पास वापस आनी चाहिए, किन्तु लीलावती के अन्य ट्रस्टियों ने अपनी सांठगांठ से इस मुद्दे को कई कई बार नज़रंदाज़ किया है।
लीलावती के मैनेजिंग एवं परमानेंट ट्रस्टी निकेत मेहता ने यह भी कहा की उन्होंने आज तक ना तो कभी किसी चेक पर हस्ताक्षर किये और ना ही कभी ट्रस्ट से किसी प्रकार का वेतन लिया है।
निकेत मेहता कहते हैं कि वे सिर्फ मानद तौर पर ट्रस्ट में सेवा करते हैं। जुलाई 2010 में मुझ पर एक बार जानलेवा हमला भी हो चुका है, जिसके सदमे से अगले ही दिन लीलावती अस्पताल के संस्थापक और मेरे पिता विजय मेहता की मृत्यु हो गयी थी।
आरोपित ट्रस्टियों की सूची में प्रबोध मेहता और उनके पुत्र चेतन मेहता, किशोर मेहता, चारू मेहता, प्रशांत मेहता, रश्मि मेहता, भाविन मेहता इत्यादि शामिल हैं, जिनका नाम पहले भी कई बार काले धन और विदेशी खातों से जुड़े मामलों में आ चुका है।
निकेत मेहता के वकील तनवीर निजाम कहते हैं कि इन ट्रस्टियों ने सर्वोच्च न्यायालय से इस बात को छुपाया की लीलावती अस्पताल सरकारी ज़मीन (MHADA) पर बना हुआ है और नियमों के अनुसार इसके किसी भी हिस्से को किराये पर नहीं दिया जा सकता है। इसके बावजूद उनके मुवक्किल को अस्पताल से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य से सर्वोच्च न्यायालय से उनके खिलाफ प्रतिकूल आदेश भी प्राप्त किया।