दिल्ली में धरना—प्रदर्शन का रेट तय, एक दिन का देना होगा 1 लाख रुपए
धरना देने में अब तक अमीरी—गरीबी नहीं थी, पर अब दिल्ली में केवल अमीर आदमी ही कर पाएगा प्रदर्शन
दिल्ली के जंतर मंतर पर नहीं कर पाएंगे कोई आंदोलन, रामलीला मैदान में मिलेगी जगह, आंदोलनकारियों को पहले कटाने होंगे 1 लाख रुपए रसीद, फिर वह मैदान के भीतर कर पाएंगे धरने के लिए प्रवेश
दिल्ली से विनयशील की रिपोर्ट
जनज्वार, दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल —एनजीटी—के आदेश के बाद जंतर मंतर से आन्दोलनकारियों को खदेड़ दिया गया है। एनजीटी ने सरकार से कहा कि अब जिनको भी धरना या आन्दोलन करना है उन्हें रामलीला मैदान में जगह दें।
एनजीटी के फैसले के बाद अब कोई भी जंतर—मंतर पर मुफ्त में धरना नहीं दे पाएगा। एनजीटी ने यह फैसला वीआईपी इलाके में शोर होने को लेकर दिया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरएस राठौर ने वरूण सेठ की याचिका पर यह फैसला सुनाया।
इस फैसले पर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। तमाम पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने इसे तुगलगी फरमान बताया है। वहीं एमसीडी का कहना है कि वह रामलीला मैदान से सालाना 2 से 5 करोड़ कमाई करती है, जिस पर असर पड़ेगा। दूसरा रामलीला के आसपास का इलाका मुस्लिम बहुल है, उससे तनाव की भी आशंका है, क्योंकि इससे पहले से ही भीड़भाड़ वाली पुरानी दिल्ली और भीड़ से तंग व खस्ताहाल हो जाएगी।
ऐसे में जनज्वार संवाददाता धरना—प्रदर्शन के लिए रामलीला मैदान बुक किए जाने की प्रकिया जानने के लिए एमसीडी दफ्तर पहुंचा। पता चला कि रामलीला मैदान की बुकिंग हॉर्टीकल्चर विभाग द्वारा की जाती है। पूछने पर मालुम हुआ कि दफ्तर कश्मीरी गेट इलाके में अंबेडकर यूनिवर्सिटी के सामने पुराने हिंदू कॉलेज के तीसरी मंजिल पर है।
वहां मिले हॉटिकल्चर विभाग के क्लर्क ने बड़ा साफ कहा कि बुकिंग केवल अंदर की होती है। बाहर प्रदर्शन करने पर पुलिस उठा के ले जाएगी।
ऐसे में हमने जानना चाहा प्रकिया क्या है, क्लर्क ने कहा — आईडी चाहिए, क्या करना है वह बताइए और एक दिन की 1 लाख रुपए की पर्ची कटाइए और जो करना है, वह कीजिए।
एक लाख पर आश्चर्य व्यक्त करने पर क्लर्क ने विस्तार से बताया कि एक दिन का एक लाख। अगर बुकिंग एक दिन से अधिक की है तो प्रतिदिन 50 हजार। और अगर एक ही डेट पर कई बुकिंग है तो दूसरे—तीसरे दिन भी 1 लाख लग सकता है।
गौरतलब है कि अब तक जंतर मंतर पर बिना किसी शुल्क के कोई भी धरना—प्रदर्शन किया जा सकता था। उसकी कोई समय सीमा नहीं थी। मगर अब एनजीटी ने इस आदेश के बाद दिल्ली में मुफ्त में धरना—प्रदर्शन की कोई जगह नहीं बची है, जहां लोग सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए धरना दे पाएं।
तमाम सामाजिक संगठनों ने एनजीटी के इस आदेश का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। वो मांग कर रहे हैं कि जंतर मंतर खाली कराने के पहले सरकार को दिल्ली में कोई एक धरनास्थल उपलब्ध करवाना चाहिए था।