पाकिस्तान की बड़ी चाल, बॉर्डर के युवाओं को बना रहा नशेड़ी
नशा तस्कर अफगानिस्तान से नशे की खेप पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से होते हुए तस्करों तक पहुंचती है। यहां से इसे भारत में भेजने के तरीके खोजे जाते हैं...
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। कई मोर्चों पर भारत से मात खाने के बाद अब पाकिस्तान नशे की गर्त में युवाओं को डुबाने के काम में लगे हुए हैं। तस्करों का ऐसा नेटवर्क बनाया गया है जिसके तार सीमा के इस पार और उस पार जुड़े हुए हैं। नशा आसानी से सीमा पार होता रहे, इसके लिए तस्कर सतलुज दरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। रात के वक्त वह नशे की सप्लाई के काम में लगे जाते हैं। हालांकि बीएसएफ की टीम दरिया में कड़ी नजर रखती है। इसके बाद भी नशा तस्करों व पुलिस के बीच शह और मात का खेल जारी है।
पिछले माह पकड़ा था अंतरराष्ट्रीय ड्रग रैकेट
अमृतसर में सुलतानविंड रोड पर 31 जनवरी की रात को स्पेशल टॉस्क फोर्स ने एक घर से एक हजार करोड़ रुपए की ड्रग्स पकड़ी थी। मामले में अफगान नागरिक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले 17 जनवरी को भी पंजाब में तीन जगहों से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 40 किलो हेरोइन की खेप बरामद की थी।
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अफगानिस्तान से पाकिस्तान और फिर पंजाब के रास्ते भारत में
नशा तस्कर अफगानिस्तान से नशे की खेप पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से होते हुए तस्करों तक पहुंचती है। यहां से इसे भारत में भेजने के तरीके खोजे जाते हैं। बीएसएफ के सुत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और पंजाब में तस्करों का एक बड़ा नेटवर्क है। जिसकी जड़ बहुत गहरी है। अमृतसर में जो रैकेट पकड़ा गया, इससे पूछताछ से पता चला कि देश भर में यह लोग कहीं भी नशे की सप्लाई पहुंचाने में सक्षम थे। यह गैंग नशा तस्कर नेटवर्क चला रहे हैं।
अमृतसर के एक इलाके में 31 जनवरी 2020 को 232 किलो नशीले पदार्थ और 200 किलो कैमिकल बरामदगी इस गैंग से जुड़ी है। इस गैंग के तार पंजाब, गुजरात, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान से जुड़े हैं।
नेटवर्क
अफगानिस्तान से मादक पदार्थ पहले बलूचिस्तान से होते हुए ग्वादर बंदरगाह पंहुचते हैं। यहां से किश्तियों से भारतीय तस्कर गुजरात के तटों पर लाते हैं। यहां से इन्हें सड़क मार्ग से जीरे के बीज भरे बोरों में छिपाकर पंजाब पहुंचाया जाता है।
मुख्य सदस्य
हाजी जान : पाक नागरिक (सरगना)
सिमरनजीत सिंह संधू : अमृतसर निवासी, फिलहाल इटली में हिरासत में है (सह-सरगना)
अरशद सोटा : गुजरात निवासी (गुजरात पुलिस की गिरफ्त में है)
अजीज भगाड और रफीक : सोटा के साथी
मंज़ूर अहमद मीर और नुसरत नज़ीर : संधू के साथी
अमरिंदर छीना गैंग
पिछले साल सितंबर में 115 ग्राम कोकीन, 13 ग्राम एफेडेरीन, 80 ग्राम हशीश तेल और 292 नशीले कैप्सूल पकड़े जाने के तार इस गैंग से जुड़े थे। इसके अलावा, 900 ग्राम मिक्सिंग एजेंट भी बरामद हुआ था। इन सब की कुल कीमत 2 करोड़ रुपये थी। अमरिंदर छीना गैंग का जाल मैक्सिको, अमेरिका, कनाडा, दिल्ली, गोवा और पंजाब तक फैला है।
मुख्य सदस्य
अमरिंदर छीना : अमृतसर निवासी, फिलहाल कनाडा में है। पंजाब पुलिस ने इसके प्रत्यर्पण की मांग की है।
अक्षिंदर सिंह : जालंधर का व्यापारी, जो प्रिंटर मशीनें प्राप्त करता था
योगेश कुमास धूमा : स्थानीय नशा सप्लायर
532 किलो मादक पदार्थ और आतंकवाद का गठजोड़
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पंजाब, कश्मीर और नयी दिल्ली तक इसके तार जुड़े हैं।
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नेटवर्क
जून 2019 के एक दिन अफगानिस्तान से भारत को 532 किलो हेरोइन भेजी गयी। यह अफगानिस्तान चली और पाकिस्तान के जरिये ट्रकों में वाघा सीमा पर बने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र पंहुची। इसे पहाड़ी नमक के बोरों में छिपाया गया था। यह कश्मीर और पंजाब में सप्लाई होनी थी।
मुख्य सदस्य
साहिल खान उर्फ मूसा (पाकिस्तान में)
मूसा के साथी फारूक खान और अमीर नूर
तारिक अहमद लोन (कश्मीर का हंदवाड़ा निवासी, पहाड़ी नमक व्यापारी और मादक पदार्थों की समग्लिंग में भी लिप्त)
गुरप्रिंदर सिंह बब्बर (अमृतसर का व्यापारी, पाक से आये पहाड़ी नमक के बोरे वह तारिक को भेजता था, अमृतसर जेल में उसकी मौत हो गयी थी)
रंजीत सिंह उर्फ चीता, तरनतारन के हवेलियां गांव निवासी (फरार)
रंजीत का भाई बलविंदर सिंह उर्फ बिल्ला (विशेष कार्य दल गिरफ्तार कर चुका है, बाकी 3 भाई भी नशा समग्लिंग में लिप्त हैं)
वर्तमान स्थिति : केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है।