जेएनयू मार्च के दौरान महिला पत्रकार के कपड़े फाड़ने वाले दो पुलिसकर्मी निलंबित
ख्यात इतिहासकार रोमिला थापर ने लगाया आरोप लगाया जेएनयू को सत्ता द्वारा अपनी चालबाजियों से किया जा रहा धीरे धीरे खत्म, आलोचनात्मक सोच को कुचला गया तो कर देगा यह विश्वविद्यालय के विचार को नष्ट
मीडिया के साथ पुलिस का यह व्यवहार है तो आम लोगों को कैसे भेड़—बकरियों की तरह ट्रीट करती होगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है
जनज्वार, दिल्ली। 23 मार्च को जेएनयू छात्रों और अध्यापकों द्वारा निकाले गए लांगमार्च के दौरान पुलिसकर्मियों ने न केवल छात्रों के साथ बदसलूकी और मारपीट की, बल्कि मामले को कवर कर रहे पत्रकारों को भी नहीं बख्शा। एक महिला पत्रकार का कैमरा फेंक कपड़े तक फाड़ डाले गए।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस मसले पर हुई छानबीन और पत्रकारों के लगातार विरोध के बाद दो पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए निलंबित कर दिया गया है। निलंबित होने वाले पुलिसकर्मियों में एक महिला कांस्टेबल और एक पुरुष हेड कांस्टेबल शामिल हैं।
जेएनयू मार्च पर पुलिस का लाठीचार्ज, लड़कियों के खींचे बाल फाड़े कपड़े
लांग मार्च में जब दिल्ली पुलिस जेएनयू छात्रों और अध्यापकों पर लाठियां, लात—घूंसे बरसा रही थी, तभी पत्रकार भी मामले को कवर कर रहे थे। जब इस मामले को एक महिला पत्रकार शूट कर रही थी, तभी पुलिसकर्मियों ने उसका कैमरा छीन कपड़े तक फाड़ डाले।
हालांकि पुलिस का कहना है कि भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान गलती से पत्रकार भी इसके शिकार बन गए, हम दोषियों के खिलाफ एक्शन लेंगे। मगर सवाल है कि जब लोकतंत्र के चौथे खंभे यानी मीडिया के साथ तक पुलिस का यह व्यवहार है तो आम लोगों के साथ किस तरह भेड़—बकरियों जैसा सलूक किया जाता है, इसके आसानी से समझा जाता है।
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प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर ने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को सत्ता द्वारा अपनी चालबाजियों से धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है। अगर आलोचनात्मक सोच को कुचला गया तो यह विश्वविद्यालय के विचार को नष्ट कर देगा। इतिहास काल्पनिक अवधारणा को समावेशित करने के खतरे का सामना कर रहा है। गौरतलब है कि जेएनयू की स्थापना के वक्त इससे जुड़ने वाले शिक्षाविदों में थापर मुख्य रूप से शामिल थीं।
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गौरतलब है कि 23 मार्च को लांग मार्च के दौरान पत्रकारों के साथ दिल्ली पुलिस द्वारा की गई बदतमीजियों के खिलाफ पत्रकारों ने लामबंद हो विरोध—प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। उसी प्रेशर में प्रशासन को यह कदम उठाना पड़ा है।
गौरतलब है कि 23 मार्च को जेएनयू छात्र संघ, जेएनयू शिक्षक संघ और जेएनयू पूर्व छात्रसंघ ने तमाम उत्पीड़नों के खिलाफ लांग मार्च आयोजित किया था। उसी के तहत ये लोग संजय पार्क में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। संजय पार्क के पास तो जेएनयू शिक्षकों और छात्रों के शांतिपूर्ण मार्च को पुलिस ने वाटर कैनन से रोकने की कोशिश की और बाद में लाठीचार्ज शुरू कर दिया।
जेएनयू में यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर अतुल जौहरी की गिरफ्तारी
इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल आठ महिलाओं को हिरासत में लेने से पहले पुलिस ने उनके साथ जमकर बदसलूकी की। उनके बाल खींचकर उन्हें घसीटा गया और उनके कपड़े तक फाड़ डाले।
डीयू छात्रा पर फेंका वीर्य से भरा कंडोम
जेएनयू में छात्र जहां अनिवार्य उपस्थिति के विरोध में आंदोलनरत थे वहीं छात्राओं को खुलेआम सेक्स के लिए आमंत्रित करने वाले यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर अतुल जौहरी की गिरफ्तारी के लिए भी थाने का घेराव कर चुके हैं। उस पर भी पुलिस और जेएनयू प्रशासन ने सिर्फ दिखावे की कार्रवाई की। यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर को मात्र एक घंटे के अंदर जमानत दे दी गई थी। जौहरी मामले में बरती गई नरमी को लेकर भी दिल्ली पुलिस सवालों के घेरे में है।