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जनज्वार विशेष

अमेरिका में अब तक नोबेल विजेता रहे 280 वैज्ञानिकों में से सिर्फ 10 महिलाएं, इनमें से एक भी नहीं है अश्वेत

Prema Negi
12 Oct 2019 4:49 PM IST
अमेरिका में अब तक नोबेल विजेता रहे 280 वैज्ञानिकों में से सिर्फ 10 महिलाएं, इनमें से एक भी नहीं है अश्वेत
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विज्ञान के क्षेत्र में मिलने वाले प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार में हावी लिंगभेद और रंगभेद को लेकर पर्यावरण मामलों के विशेषज्ञ लेखक महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

र्ष 2019 के विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है। चिकित्सा विज्ञान में अमेरिका के विलियम क्रायलिन और ग्रेग सेमेन्जा तथा ब्रिटेन के पीटर रेटक्लिफ को संयुक्त रूप से कोशिकाओं के मेटाबोलिज्म पर ऑक्सीजन के स्तर के प्रभाव पर अध्ययन के लिए दिया गया है। इससे भविष्य में एनीमिया और कैंसर के उपचार की नई रणनीति बनाई जा सकेगी।

भौतिक शास्त्र का नोबेल पुरस्कार कनाडाई-अमेरिकन जेम्स पीबल्स को ब्रह्माण्ड विज्ञान में सैद्धांतिक खोज के लिए और स्विट्ज़रलैंड के दो वैज्ञानिकों, मिशेल मेयर और डिडिएर क्वेलोज को एक सौर प्रकार के तारे की परिक्रमा करने वाले एक्सोप्लैनेट की खोज के लिए दिया गया है। रसायन शास्त्र में अमेरिका के जॉन गुडनफ़, ब्रिटिश-अमेरिकन स्टेनली व्हिटीन्घम और जापान के अकीरा योशिनो को लिथियम आयन बैटरी के आविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है। यही बैटरी स्मार्टफोन, लैपटॉप, नोटबुक और यहाँ तक कि इलेक्ट्रिकल वाहनों में इस्तेमाल में आती है।

कुल 9 लोगों को वर्ष 2019 में विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला है, पर इसमें एक भी महिला वैज्ञानिक नहीं है, एक भी अश्वेत नहीं है, दो वैज्ञानिकों की दाढ़ी है और पांच वैज्ञानिक चश्मा पहनते हैं। इन 9 वैज्ञानिकों में से 3 अमेरिका के, 1 ब्रिटिश-अमेरिकन, 1 कनाडाई-अमेरिकन, 1 ब्रिटेन के, 2 स्विट्ज़रलैंड के और 1 जापान के हैं।

जॉन गुडनफ़, जिनकी उम्र 97 वर्ष है, अमेरिका के हैं और इन्हें रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला है, इसे प्राप्त करने वाले सबसे अधिक उम्र के हैं। बीबीसी में वर्ष 2012 में प्रकाशित एक लेख में बताया गया था कि सभी क्षेत्रों में नोबेल प्राइज प्राप्त करने वाले लोग औसतन कैसे होते हैं। इसके अनुसार इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले औसतन 61 वर्षीय अमेरिकन पुरुष होते हैं जो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े होते हैं, विवाहित, चश्मा नहीं लगाने वाले और दाढ़ी नहीं रखने वाले होते हैं।

नसाइड साइंस नामक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित एक लेख के अनुसार नोबेल प्राइज के लिए भाग्य, राजनीति और तत्कालीन कमेटी की नीतियाँ बहुत महत्व रखती हैं। विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के सन्दर्भ में महिलाओं की स्थिति का आकलन इस उदाहरण से लगाया जा सकता है कि अब तक भौतिक विज्ञान में केवल तीन महिलाओं को यह पुरस्कार मिला है। इसकी तुलना में जॉन नाम के 8 वैज्ञानिक, रोबर्ट नाम के 6, जेम्स नाम के 5, विलियम नाम के 5, चार्ल्स नाम के 5, मैक्स नाम के 4 और जॉर्ज नाम के 4 वैज्ञानिकों को भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।

विज्ञान के सभी नोबेल पुरस्कार में से 80 प्रतिशत से अधिक अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, रूस और स्वीडन के वैज्ञानिक हैं। अकेले अमेरिका में कुल 280 वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। इसमें से केवल 10 महिलायें हैं और अश्वेत (अफ्रीकन-अमेरिकन) महिला एक भी नहीं है। अमेरिका में अश्वेत महिलाओं की विज्ञान में स्थिति का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि भौतिक विज्ञान में अब तक 100 से भी कम अश्वेत महिलाओं को

डॉक्टरेट की उपाधि मिली है।

हली अश्वेत महिला वैज्ञानिक, एडवर्ड बोउचेड, को 1876 में येल यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी। दूसरी अश्वेत महिला, विली होब्ब्स मूर को लगभग 100 वर्षों बाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन से 1972 में भौतिक विज्ञान में डॉक्टरेट की डिग्री मिली। वर्ष 2000 तक केवल 25 अश्वेत महिलाओं को इस क्षेत्र में डिग्री मिली थी और इसके बाद लगभग 65 महिलाओं को यह डिग्री मिल चुकी है।

हाँ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2017 में ही सभी अमेरिकी यूनिवर्सिटीज से भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में कुल 1700 डॉक्टरेट की डिग्री दी जा चुकी है। इनसाइड साइंस के लेख में विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिकों के औसत चहरे को भी बताया गया है। इस चहरे को ऐसे अलोग्रिथ्म्स के माध्यम से तैयार किया गया है, जो हरेक फोटो से चेहरे की विशेषता पड़ता है और फिर उसे दूसरी आकृति पर ओवरलैप कर देता है।

सके लिए चिकित्सा विज्ञान के 199 वैज्ञानिकों, भौतिकी में 201 और रसायन शास्त्र के 165 वैज्ञानिकों के चित्रों को चुना गया। इस विधि से जो एक औसत चेहरा उभरा, वह अधेड़ उम्र के गोरे पुरुष का था। विज्ञान के क्षेत्र में जिन वैज्ञानिकों को नोबल पुरस्कार मिला है उनकी औसत उम्र 58 वर्ष है और इसमें से 95 प्रतिशत से अधिक श्वेत वर्ण के ही हैं।

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