Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

हार्दिक पटेल ने पूछा जेएनयू में सब आतंकवादी हैं, ये दिव्य ज्ञान कैसे हासिल हुआ?

Prema Negi
24 Nov 2019 6:26 AM GMT
हार्दिक पटेल ने पूछा जेएनयू में सब आतंकवादी हैं, ये दिव्य ज्ञान कैसे हासिल हुआ?
x

जेएनयू में एक छात्र साल की औसतन 10 हजार रुपये से लेकर 50 रुपये तक फीस देता है, जबकि नेताओं को हर साल भत्ता जिसमें बिजली, पानी, फोन, रेल एवं हवाई यात्रा शामिल होती है लगभग 60 लाख से ऊपर मिलता है, जो इस पर क्यों नहीं उठता सवाल....

जनज्वार। पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल ने जवाहरलाल नेहरू छात्रावास शुल्क बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों को समर्थन दिया है। सोशल मीडिया पर संदेश जारी कर पटेल ने कहा कि 'ये छात्र सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। जेएनयू को खत्म करने की साजिश चल रही है। सरकार धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर युवाओं को गुमराह कर रही है।'

हीं अपने फेसबुक एकाउंट पर पटेल ने कहा है कि 'आवाज उठाई जा रही है कि जेएनयू बन्द होना चाहिए लेकिन क्यों? क्योंकि वहाँ ग़रीब का बच्चा पढ़ता है, वहाँ का विद्यार्थी पढ़ लिखकर देश की सेवा कर रहा हैं, वहां का विद्यार्थी इंक़लाब ज़िंदाबाद बोलता हैं, आदि आदि। लेकिन आसाराम, राम रहीम, रामपाल से लेकर नित्यानन्द और चिन्मयानंद आदि तक कितने बाबाओं के आश्रमों में यौन शोषण हुआ है बावजूद इसके तमाम आश्रम बन्द नहीं किए गए हैं ऐसा क्यों?'

यह भी पढ़ें : हार्दिक पटेल बोले गुजरात मॉडल दिखा पूरे देश को हथिया चुकी भाजपा राज में नर्मदा का एक बूंद पानी नहीं मिलता कच्छ के किसानों को

हार्दिक कहते हैं, 'कितने मंदिरों में आज भी अत्याचार और भेदभाव होता है, लेकिन बन्द नहीं हुए क्यों? जबकि इनका देशहित में भी कोई योगदान नहीं है तो इनमें ताले क्यों नहीं लगाए जा रहे हैं?'

क्या ये कह रहे हो कि सरकार ये सरकारी पैसों से नहीं चलते हैं? लेकिन सरकारी सब्सिडी तो हजम कर रहे हैं? कुंभ को ले लीजिए 4 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं इतने पैसों में तमाम सरकारी स्कूलों की फीस माफ हो सकती थी। मंदिरों और आश्रमों में अरबों की सम्पत्ति होने के बावजूद भी सरकार को टैक्स नहीं देते हैं, विज्ञान का गला घोंटकर पाखण्ड फैलाते हैं सो अलग। फिर तर्क दे रहे हो कि सब आश्रम, सभी मन्दिर व सभी बाबा ऐसे नहीं है? तो फिर जेनएयू में सब अय्याश हैं? जेएनयू में सब आतंकवादी हैं? ये दिव्य ज्ञान कैसे हासिल हुआ?

हार्दिक पटेल ने सवाल उठाया है, 'कितना दुष्प्रचार और कितना बड़ा माहौल खड़ा किया गया है कि वहां टुकड़े टुकड़े गैंग रहती है। जबकि देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जैसे लोग वहीं से पढ़े हैं। नोबल पुरस्कार विजेता से लेकर देश के तमाम बड़े पदों पर आसीन लोग जेएनयू से पढ़े हुए हैं। इतना ही नहीं आज भी सबसे अधिक शोध जेएनयू द्वारा ही किये जाते हैं। सबसे अधिक गरीब बच्चे वहां पढ़ते हैं, सबसे अधिक तर्क-वितर्क इसी विश्वविद्यालय में होते है, भारत में अच्छी शिक्षा देने में सबसे टॉप पर जेएनयू ही है यह सब अनदेखा क्यों?'

कौल हार्दिक पटेल, 'पहले अपने सीमित मस्तिष्क से अलग सोचने की कोशिश करें। उत्तराखंड का देहरादून एक एजुकेशन हब है, लेकिन देहरादून के पास मसूरी एक टूरिस्ट पैलेस है जो केवल और केवल देहरादून और उसके आसपास के स्कूली बच्चों व बड़े बड़े कॉलेज के छात्रों की बदौलत चल रहा है। मसूरी, धनोल्टी, टिहरी आदि के जंगलों में यही बच्चे घूमते और ऐश करते हुए मिलते हैं। जेएनयू में भी ऐसे लोग अवश्य होंगे, इस पर कोई दोराय नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि जो गलत चीजें हैं उन्हें ठीक करने की बजाय शासन और प्रशासन या फीस बढ़ाती है, या बदनाम करती है, या उल—जुलूल फरमान जारी करती है।'

यह भी पढ़ें — डीसीपी राठौड़ मुझे कहता है मार दूंगा : हार्दिक पटेल

हार्दिक कहते हैं, 'जरूरत है विश्वविद्यालय प्रतिनिधियों से बात करके ठोस कदम उठाने की। हालांकि जेएनयू में जितने गलत लोग होंगे, उससे कहीं ज्यादा सरकार में बैठे हैं इसलिए समाधान सम्भव नहीं है। जेएनयू में एक छात्र साल की औसतन 10 हजार रुपये से लेकर 50 रुपये तक फीस देता है, जबकि नेताओं को हर साल भत्ता जिसमें बिजली, पानी, फोन, रेल एवं हवाई यात्रा शामिल होती है लगभग 60 लाख से ऊपर मिलता है।'



देश के सत्तासीनों पर सवाल उठाते हुए हार्दिक कहते हैं, 'भारत में कुल बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा केवल सैलरी देने में जाता है और बाकि 20 प्रतिशत में से 15 प्रतिशत भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। केवल 5 प्रतिशत में इस देश का विकास हो रहा है।

कुल मिलाकर बात यह है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए मुफ्त का इंतजाम होना चाहिए। यह देश के प्रत्येक नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है। जो जेएनयू को बंद करने के समर्थन में हैं, असल में वह सरकार की गलत नीतियों के साथ हैं और अपना दिमाग लगाए बिना वे फीस बढोत्तरी या अनर्गल आरोप का भी समर्थन कर देते हैं।'

हार्दिक के मुताबिक, 'संसद भवन की कैंटीन पर गौर कीजियेगा कभी तो आंखे खुल सकेंगी। यह सच में जनता के पैसों से ही चलती है। इसके अलावा देश के कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, संस्थान भी जनता के पैसों से ही चलते हैं। गलत को सही करो, सबको नष्ट न करो।'

Next Story

विविध