योगी सरकार ने पावर कॉरपोरेशन में 5 अरब रुपये का बिलिंग घोटाला क्यों ठंडे बस्ते में डाला ?
उत्तर प्रदेश में 2267 करोड़ रुपए के भविष्य निधि घोटाले से हड़कंप मचा हुआ है। इस घोटाले के आरोप समाजवादी पार्टी के नेता योगी सरकार पर लगा रहे हैं तो योगी सरकार इस घोटाले के लिए अखिलेश सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है..
जेपी सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरशन लिमिटेड (UPCL) में बिजली कर्मियों की गाढ़ी कमाई का धन डीएचएफसीएल (DHFCL) में लगाने के बड़े घोटाले में अब आरोपितों पर शिकंजा कस रहा है। पीएफ घोटाले में ईओडब्ल्यू (Economic Offence Wing) ने पहली चार्जशीट दाखिल कर दी। ईओडब्ल्यू ने यूपीपीसीएल के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी मिश्रा, ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता और पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए शासन से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। बृहस्पतिवार 30 जनवरी की देर शाम अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद शुक्रवार 31 जनवरी को ईओडब्ल्यू ने विशेष न्यायाधीश संदीप गुप्ता की अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी।
गौरतलब है कि पिछले साल 1 नवंबर 2019 को हजरतगंज पुलिस ने यूपीपीसीएल कर्मियों के पीएफ की रकम निजी कंपनी डीएचएफएल में निवेश करने के मामले में एफआईआर दर्ज कर ट्रस्ट के सचिव पीके गुप्ता और यूपीपीसीएल के पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी को गिरफ्तार किया था। अगले ही दिन इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी गई थी। ईओडब्ल्यू ने 3 नवंबर को यूपीपीसीएल के पूर्व एमडी एपी मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में अब तक 17 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें चार चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं।
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इस घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने बिजली कर्मियों के पीएफ घोटाले में शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संदीप गुप्ता की अदालत में आरोपित पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्र, निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया है।
ईओडब्ल्यू ने चार्जशीट में नियमों को दरकिनार कर पीएफ की रकम के करोड़ों रुपये का निजी कंपनी में असुरक्षित निवेश कराए जाने व ऐसा करके अनुचित लाभ कमाने के आरोप लगाए हैं।डीएचएफएल में भविष्य निधि की रकम निवेश किये जाने का अप्रूवल दे दिया गया था। फर्जी ब्रोकर फर्मों के जरिये करोड़ों का कमीशन खाया गया था।
बिजली कर्मियों के पीएफ घोटाले में गिरफ्तार किये गये पावर कॉरपोरेशन के पूर्व एमडी एपी मिश्रा की कारगुजारियों की पोल अब खुलने लगी है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक उनके ही कार्यकाल में चार साल पहले यानी वर्ष 2015 में पांच अरब रुपये का बिलिंग घोटाला हुआ था। यह घोटाला एक निजी कंपनी के सिस्टम में हेराफेरी कर किया गया। इस घोटाले में भी पावर कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी की भूमिका पर सवाल उठे थे। एसटीएफ ने जोर—शोर से जांच शुरू की, लेकिन ऊपर के दबाव में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
यूपी पावर कॉरपोरेशन में 4 साल पहले पांच अरब रुपये का बिलिंग घोटाला हुआ था। इसके जरिये बिजली बिल कम करके पावर कारपोरेशन को करोड़ों की चपत लगाई गई थी। मामले का खुलासा होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आदेश पर एसटीएफ ने 17 अप्रैल 2015 को महानगर से बिलिंग सिस्टम में सेंध लगाने वाले एचसीएल के दो इंजीनियरों पंकज सिंह, परवेज अहमद और अमित टंडन समेत जालसाजों को गिरफ्तार किया था।
ये तीनों पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के मिलते-जुलते नामों से बिलिंग साफ्टवेयर की फर्जी यूजर आईडी और पासवर्ड बनाते थे। उपभोक्ताओं के बिजली का बिल कम करके पावर कारपोरेशन को करोड़ों की चपत लगा रहे थे। जांच पड़ताल आगे बढ़ने के साथ ही पावर कॉरपोरेशन के कई बड़े अधिकारियों के नाम भी आने लगे तबसे ऊपर के दबाव में मामला ठंडे पड़ा हुआ है।
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अखिलेश यादव ने कहा कि डीएचएफसीएल को किस दिन पैसा दिया गया है, एफआईआर में उसकी डिटेल्स हैं। अखिलेश यादव ने यहां तक दावा किया है कि 19 मार्च 2017 को शपथ ग्रहण करने के मात्र 5वें दिन 24 मार्च 2017 को योगी सरकार ने इतना बड़ा घोटाला कर डाला। 24 मार्च भी सही तारीख नहीं है। असल में डील तो 22 मार्च 2017 की बैठक में ही फाइनल हो गई थी, लेकिन बाद में बैठक की तारीख ओवर राइटिंग करके 24 मार्च 2017 कर दी गई थी, जिसका खुलासा हो चुका है। पूरे प्रकरण में योगी सरकार अपने आप को पाक−साफ बता रही है।