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आंदोलन

दंतेवाड़ा में नए पुलिस कैम्प के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन, कहा हमें नक्सलियों के नाम पर हर रोज किया जायेगा प्रताड़ित

Nirmal kant
17 Nov 2019 1:36 PM GMT
दंतेवाड़ा में नए पुलिस कैम्प के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन, कहा हमें नक्सलियों के नाम पर हर रोज किया जायेगा प्रताड़ित
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दन्तेवाड़ा के पोटाली गाँव में पुलिस द्वारा खोले जा रहे नए पुलिस कैम्प को लेकर पुलिस और ग्रामीण आमने सामने, सप्ताहभर से ग्रामीण नए कैम्प खोलने के विरोध में कर रहे प्रदर्शन, पुलिस ने ग्रामीणों को खदेड़ने के लिए भांजी लाठियां और फायरिंग की, पुलिस की दलील ग्रामीण यह प्रदर्शन कर रहे हैं नक्सलियों के कहने पर...

दंतेवाड़ा से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट

जनज्वार, नई दिल्ली। दन्तेवाड़ा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर अरनपुर थाना पड़ता है। अरनपुर थाने से 1 किलोमीटर दाईं तरफ पोटाली जाने का मार्ग है। यह क्षेत्र विकास से कोसों दूर है और अभी भी यहां के आश्रम स्कूल बंद पड़े हैं। सड़कें अब भी इन ग्रामीणों की नसीब में नहीं हैं। अब पुलिस बंदूक की नोक पर इनका विकास करना चाह रही है।

न्तेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव कहते हैं, 'ग्रामीण नक्सली दबाव में नवीन पुलिस कैम्प का विरोध कर रहे थे। विरोध कर रहे ग्रामीणों को समझाया गया, लेकिन वो टंगिया तीर धनुष लिए अपना विरोध कर रहे थे। उनको उग्र होते देख हवा में फायरिग और आंसू गैस छोड़कर उन्हें वहां से खदेड़ा गया।'

सपी आगे कहते हैं, 'हम गांव वालों से समन्वय बनाकर वहां पुलिस कैम्प खोलेंगे। कैम्प खुलने के बाद से नक्सली इस इलाके से कमजोर हो जाएंगे। दरभा डिवीजन को पोटाली कैंप से बड़ा झटका यह होगा कि मलांगीर कमेटी पूरी तरह से टूट जाएगी, इसलिए नक्सली ग्रामीणों को विरोध करने भेज रहे हैं।'

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ए पुलिस कैम्प के विरोध में उतरे ग्रामीणों का कहना है कि हमें हमारे ही हाल पर छोड़ दो। फोर्स और कैम्प के बिना ही हमारे गाँव में शांति है। ग्रामीणों ने आशंका व्यक्त की कि पुलिस कैम्प की स्थापना होने से आये दिन पूरे गाँव मे दहशत का माहौल रहेगा और फोर्स उन्हें परेशान करेगी। पुलिस खेती में काम करते समय भी नक्सली होने के आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज देगी और महिलाओं पर भी अत्याचार होगा।

नका कहना है कि हम आदिवासियों का जीवन-यापन जंगल पर ही निर्भर है, कैम्प खुलने से जंगल जाने पर भी भय बना रहेगा। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि कैम्प शासन-प्रशासन ने पट्टे की जमीन पर स्थापित किया है। जमीन मालिक से कैम्प के जमीन की अनुमति भी नहीं ली गई है।

दंतेवाड़ा कलेक्टर तोपेश्वर वर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'यह एक पहुँच विहीन क्षेत्र था, अब कैम्प खुलने से अन्य सभी शासकीय योजनाओं का लाभ क्षेत्र के ग्रामीणों को मिल सकेगा। हाट बाजारों में लगने वाले स्वास्थ्य शिविर आगामी सप्ताह से नियमित रूप से आयोजित होने लगेगा। पूर्व में एक शिविर का आयोजन किया गया था। साथ ही गांव के बेरोजगार और इच्छुक लोगों को स्वरोजगार के लिए कृषि, उद्यानिकी, मछलीपालन और पशुपालन से संबंधित शासकीय योजनाओं से लाभान्वित किया जायेगा।'

हीं आज रविवार 17 नवंबर को दरभा डिविजनल कमिटी के सचिव साईनाथ ने एक पर्चा जारी कर सुरक्षाबलों के जवानों पर संगीन आरोप लगाया है। साईनाथ ने पर्चा जारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जनसुरक्षा के बहाने कॉरपोरेट घरानों की सुरक्षा के लिए पुलिस कैम्प स्थापित किया जा रहा है।

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साईनाथ ने पर्चे के माध्यम से बीते 11 नवम्बर को कुवाकोंडा में सुरक्षाबलों द्वारा ग्रामीणों से मारपीट, हवाई फायरिंग और आंसू गैस छोड़ने का कड़ा विरोध किया। उन्होंने सुरक्षाबलों के जवानों पर ग्रामीणों के घर में घुसकर जबरन सब्जी-भाजियां लूटने का भी आरोप लगाया है। साथ ही केंद्र तथा राज्य सरकार पर जनविरोधी और दमनकारी नीतियों चलाने की बात कही है। फिलहाल इस मामले की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

गौरतलब है कि मंगलवार के बाद पूरे पोटाली क्षेत्र को सैनिक छावनी में बदल दिया गया है। ड्रोन से पूरे क्षेत्र में नजर रखी जा रही है। मंगलवार 12 नवंबर के बाद ग्रामीणों को खदेड़ने के लिए किए गए हवाई फ़ायरिग के बाद भी ग्रामीण अपना विरोध जताना चाह रहे हैं, मगर सुरक्षा बल उन्हें इकट्ठा नहीं होने दे रहे हैं। पूरे क्षेत्र में सुरक्षा बल लगातार सर्चिंग अभियान चलाया जा रहा है।

क्या हुआ था मंगलवार 12 नवंबर को

12 नवंबर को यानी सप्ताह भर पहले सीएएफ (छत्तीसगढ़ आर्म फोर्स) का कैंप खोला गया है। इसी बात को लेकर नए पुलिस कैम्प का विरोध कर रहे हजारों ग्रामीणों और पुलिस के बीच तनाव ​हो गया। इसी दिन दन्तेवाड़ा कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा और एसपी अभिषेक पल्लव विरोध कर रहे ग्रामीणों को समझाने वहां पहुंचे थे।

नके वहां से लौटते ही ग्रामीण विरोधस्वरूप नये कैम्प की ओर बढ़ने लगे। ये आदिवासी पारम्परिक तीर-कमान लिए नए स्थापित कैम्प का विरोध कर रहे थे और वहां से कैम्प हटाने की मांग कर रहे थे। पुलिस द्वारा विरोध कर रहे ग्रामीणों को खदेड़ने के लिए लाठी—डंडों का इस्तेमाल किया गया और हवाई फ़ायरिंग भी की गयी।

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