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जामिया, एएमयू, नदवा और इंटिगरल यूनिवर्सिटी में हुई पुलिसिया हिंसा के खिलाफ राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन
पुलिसिया गुंडागर्दी के खिलाफ बिस्मिल और अशफाक के शहादत दिवस पर 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन और एनआरसी के खिलाफ राजधानी लखनऊ में परिवर्तन चौक से 2 बजे होगा विशाल मार्च...
लखनऊ। जामिया मिल्लिया, एएमयू, नदवा और इंटिगरल यूनिवर्सिटी में पुलिसिया हिंसा के खिलाफ अंबेडकर प्रतिमा, हज़रतगंज लखनऊ पर लखनऊ के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। मासूमों पर गोली चलना बंद करो, एएमयू जामिया, नदवा, इंटिगरल यूनिवर्सिटी से तत्काल पुलिस हटाओ, देश का विभाजन बर्दाश्त नहीं, संविधान के सम्मान में देश का नौजवान मैदान में नारे लगाते हुए सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने धरना दिया। शहीद राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के शहादत के दिन 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन और एनआरसी के खिलाफ राजधानी लखनऊ में परिवर्तन चौक से 2 बजे विशाल मार्च का आयोजन किया जायेगा।
इस मार्च में मौजूद वक्ताओं ने छात्रों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता को अक्षम्य अपराध बताते हुए कहा कि किसी लोकतांत्रिक देश में छात्रों पर इस तरह के क्रूर हमले की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जामिया मिल्लिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, नदवा और इंटीग्रल में नागरिकता संशोधन के खिलाफ शान्तिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस का हमला सुनियोजित दमनात्मक कार्रवाई थी।
जामिया में सैकड़ों छात्र-छात्राओं को हमले का निशाना बनाया गया है तो अलीगढ़ में सैकड़ों घायल छात्र इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि इसके लिए सीधे तौर पर सत्ता का शीर्ष नेतृत्व ज़िम्मेदार है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नागरिकता अधिनियम का विरोध करने वालों को कपड़ों से पहचाना जा सकता है। किसी लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री के लिए इस तरह का बयान शर्मनाक है। ऐसा बयान देकर उन्होंने यह छात्रों के आंदोलन को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, वहीं इस पूरी घटना के लिए गृहमंत्री अमित शाह सीधे तौर पर ज़िम्मेदार हैं।
वक्ताओं ने कहा कि जामिया और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्रों पर हमले में काफी समानता है। दोनों स्थानों पर पुलिस ने छात्रों पर हिंसक होने का आरोप लगाने के लिए खुद तोड़फोड़ और आगज़नी की है। दोनों ही जगहों पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने फायरिंग की है और पुस्तकालयों व छात्रावासों में घुसकर मारपीट की और आंसू गैस के गोले दागे हैं। अलीगढ़ में हॉस्टल में घुसकर कुछ कमरों आग भी लगाई है। यह सब लोकतांत्रित आवाज़ों का दमन और विधेयक के विरोध को साम्प्रदायिक रंग देने का प्रयास है। सभी ने छात्रों के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए कहा कि इस आंदोलन को और धारदार बनाया जाएगा और आंदोलन को उत्तर प्रदेश के गांव-गांव तक ले जाएगा।
धरने को पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय, एडवोकेट मुहम्मद शुऐब, नजमुस साकिब, राशिद, आनंद, आइरिन, एएएमयू के छात्र आकिब, नाहिद अकील, मीना सिंह, अरुंधति धुरू, नितिन, अमीक जामई, अब्दुल हफ़ीज़ गांधी, गुफरान सिद्दीकी आदि ने संबोधित किया।