जनज्वार। राम रहीम को सीबीआई कोर्ट की स्पेशल अदालत द्वारा 20 साल की सजा सुनाई गई है। सीबीआई कोर्ट ने दो अलग—अलग पीड़ितों के लिए 15—15 लाख का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा 65 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
यानी बाबा के खिलाफ अदालत ने 20 साल की सजा और 30 लाख 65 हजार जुर्माना लगाया है। हालांकि सजा की जानकारी मीडिया में पहले 10 साल के तौर पर आई पर बाद में वकीलों के जिरह के चलते सामान्य तौर पर दी जाने वाली से प्रचतिल सजा अलग सजा दी है।
अगर उपर की अदालतों में सजा कम नहीं हुई तो राम रहीम 2037 तक जेल में रहेेंगे। तब उनकी उम्र 70 साल हो जाएगी। बलात्कार के मामले में दो साध्वी अपीलकर्ता शामिल हुई थीं। दोनों ही मामले को अदालत ने सच पाया था।
इस फैसले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनोें ही बलात्कार की सजा एक साथ नहीं, बल्कि अलग—अलग चलेंगे। पहले बाबा एक बलात्कार की सजा काटेगा, उसके बाद अगले दस साल दूसरे बलात्कार में। बलात्कार के मामले में 10 साल की अधिकतम सजा है। राम रहीम को निर्धारित हुई आजीवन कारावास की सजा 14 साल से भी 6 साल ज्यादा है।
इसी के मद्देनजर मीडिया में पहले 10 साल के सजा की खबर आई।
बाबा राम रहीम के वकील लगातार यह जीरह करते रहे कि दोनों बलात्कार के मामलों में एक साथ सजा हो, जबकि सीबीआई इस बात पर अड़ी रही है कि यह जघन्य मामला है, इसमें अलग—अलग सजा हो।
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विवादों में रहने वाले राम रहीम को यह सजा साध्वियों के 15 साल पुराने बलात्कार मामले में हुई है।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार) के तहत 50 हजार का जुर्माना, 506 (डराने-धमकाने) 30 लाख
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तमाम दलीलों को खारिज करते हुए यह सजा मुकर्रर की गई है। जेल मैनुअल के हिसाब से रहना होगा। हालांकि इस मामले की अपील वो हाईकोर्ट में कर सकते हैं। अब लोग उन्हें कैदी नंबर 1997 के नाम से जाने जाएंगे।
राम रहीम कोर्ट रूम में लगातार रोकर अपने गुनाहों को स्वीकार कर रहे थे और जज से रहम की भीख मांग रहे थे। उनका वकील उनके सामाजिक कार्यों को गिनाते हुए दलील कर रहा था कि उन्हें कम से कम सजा दी जाए। बाबा का वकील कह रहा था कि उनके सामाजिक कार्यों में योगदान को देखते हुए उन्हें कम से कम सजा दी जाए। बहुत से अनाथ बच्चों का भविष्य उनके साथ जुड़ा हुआ है। मगर सीबीआई वकील अपनी दलीलों के साथ लगातार आजीवन कारावास की मांग करते रहे।
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दोषी करार दिए जाने के बाद बाबा ने बचने की कोशिश करते हुए शारीरिक अस्वस्थता के बहाने करने शुरू कर दिए हैं, कभी बीपी तो कभी पीठ दर्द, कमर दर्द या अन्य तरह की तकलीफों को वो लगातार बता रहे हैं।
जब यह बलात्कार कांड हुआ था, तब एक साध्वी नाबालिग थी, जिसके लिए सीबीआई वकील बाबा के लिए स्पेशल सजा की मांग कर रहे थे।
इस मामले का खुलासा तब हुआ था जब 'पूरा सच' के संपादक रामचंद्र छत्रपति ने 2002 में अपने अखबार में खबर प्रकाशित की थी।
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने बाबा को हुई सजा का स्वागत करते हुए कहा कि, 'दस साल की सजा का स्वागत है लेकिन अगर आजीवन कारावास की सजा मिलती तो अच्छा रहता है। उम्मीद करते हैं कि अन्य मामलों में भी उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।'
अभी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या समेत 400 साधुओं को नपुंसक बनाने समेत अनेक मामलों में फैसला आना बाकी है, जिनके सिद्ध होने पर राम रहीम को कुछ अन्य धाराओं के तहत सजा होगी।
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