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अंधविश्वास

अंधविश्वास पर टिकी है रामदेव की इलाज पद्धति, अब सरसों के तेल से कोरोना वायरस मारने का दावा

Manish Kumar
27 April 2020 12:31 PM IST
अंधविश्वास पर टिकी है रामदेव की इलाज पद्धति, अब सरसों के तेल से कोरोना वायरस मारने का दावा
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बाबा रामदेव के कोरोना वायरस को लेकर किए गए दोनों दावे भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ द्वारा दी गई जानकारियों के खिलाफ हैं....

नई दिल्लीः, जनज्वारः योग गुरू बाबा रामदेव ने सरसों के तेल से कोरोना वायरस के इलाज का दावा किया है. इसके साथ ही उन्होंने कोरना वायरस को टेस्ट करने पर भी तरीका बताया. वैज्ञानकों और डॉक्टरों ने इन दोनों ही दावों को सच्चाई से दूर और गलतफहमी फैलाने वाला बताया है. ध्यान देने की बात यह है कि इन दोनों दावों को भारत सरकार और WHO पहले ही खारिज कर चुके हैं.

बाबा रामदेव के दो दावे

न्यूज चैनल आजतक से बातचीत में बाबा रामदेव ने कहा, 'अगर आप सरसों का तेल नाक में डाल दें तो पूरी सांस नली में कहीं भी कोरोना हो तो वह पेट में चला जाएगा. और वहां पेट के कैमिकल उसे मार देंगे.

बाबा ने कहा, 'जैसे हैंड वॉश, सेनेटाइजर और साबुन का घोल कोरोना को मारता है. वैसे ही पेट के नैचुरल कैमिकल कोरोना को मार देंगे.'

इसी बातचीत में बाबा रामदेव ने कोरोना से जुड़ा एक दूसरा दावा भी किया. उन्होंने कहा, 'जिन्हें क्रॉनिक हायपरटेंशन, दिल की बीमारी, डायबिटीज है और जो बुजुर्ग हैं. वे 30 सेकंड तक और जो जवान हैं वे एक मिनट तक सांस रोकें. ऐसा कर लेते हैं तो पता चल जाएगा कि आपको कोरोना वायरस नहीं है. फिर चाहें लक्षण हो या न हो.'

जानकारों ने दावों को बताया बकवास

मशहूर वैज्ञानिक गौहर रजा ने जनज्वार से बातचीत में कहा- वह आधी-अधूरी जानकारी को वह फैला रहे हैं. सांस रोकने को फेफड़ों में इंफेक्शन को चेक करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर फेफड़े का इंफेक्शन है तो जाहिर है कि आप सांस 30 सेंकेड तक आसानी से नहीं रोक पाएंगे. अगर खांस, जुकाम, नजला है तो आपको सांस रोकने में मुश्किल होगी तो अगर कोरोना है तब भी मुश्किल होगी, क्योंकि करोना इसी फैमिली से आता है.

जहां तक नाक में सरसों का तेल डालने का दावा यह पूरी तरीके से निराधार है, इसका कोई प्रमाण नहीं है. इस तरह के दावे पहले भी किए जा चुके हैं जैसे लोगों ने गोमूत्र से भी कोरोना को ठीक करने का दावा किया है. जब तक वैज्ञानिक प्रमाण न हो जनता में यह भ्रांतियां नहीं फैलानी चाहिए.

गौहर रजा ने कहा इस देश के बाबा जनता के बीच भ्रंतियों फैलाने का काम कर रहे हैं उन्होंने राजनीतिक समर्थन हासिल हैं. ऐसे बाबाओं से लोगों को बचना चाहिए.

जनस्वास्थ्य चिकित्सक डॉ. एके अरुण ने बाबा के दावों पर कहा- वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद शरीर में जो बदलाव होते हैं उनमें एक वायॉलॉजिकल चेंज होता है सांस की गति का कम होना, यह सिर्फ एक पक्ष है लेकिन इसको सरलीकृत करके बता देना बिल्कुल गलत है. यह कुछ ऐसा है कि कोई 25 पैसे देकर आपसे कहे कि आपको एक रुपये दे दिया है.

उन्होंने कहा- दुनिया 21वीं सदी के सबसे बड़ी चुनौती को झेल रही है. वैज्ञानिक भी अभी भी कोरोना वायरस के बारे में बहुत नहीं जानते हैं. ऐसे में बाबा रामदेव की यह अवैज्ञानिक बातें भारत के वैज्ञानिकों का अपमान ही कही जाएगी.

उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव एक व्यापारी हैं और वह अपने व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए ही ऐसे अवैज्ञानिक बातें कर रही हैं. वह सरसों का तेल बनाते हैं, एलोवेरा का जूस भी बनाते हैं इसलिए उनकी बातों को इसी अर्थ में ही लेना चाहिए.

भारत सरकार भी खारिज कर चुकी है सरसों के तेल से कोरोना ठीक होने का दावा

भारत सरकार के प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने भी 25 मार्च को एक ट्वीट कर कहा था कि सरसों के तेल से कोरोना के इलाज की बात पूरी तरह से गलत है और कृप्या ऐसे संदेशों के झांसे में न आए.



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सांस रोकने से कोरोना टेस्ट की बात WHO खारिज कर चुका है.

WHO सांस रोक कर कोरोना टेस्ट करने के दावे को गलत बता चुका है

डब्ल्यूएच और भारत सरकार के निर्देशों के बावजदू बाबा रामदेव अवैज्ञानिक दावे करने में लगे हैं.

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