Begin typing your search above and press return to search.
सिक्योरिटी

रजा फाउंडेशन का गुरु-शिष्य-परम्परा आयोजन 'उत्तराधिकार 2018'

Prema Negi
4 Oct 2018 1:40 PM GMT
रजा फाउंडेशन का  गुरु-शिष्य-परम्परा आयोजन उत्तराधिकार 2018
x

जीवन से लेकर मृत्यु तक का समस्त जगत व्यवहार लीला के केंद्र में है। जीवन अनवरत चलते रहने का नाम है। वर्मा अपनी प्रस्तुति ‘लीला’ का आरम्भ कामदेव के आह्वान एवं वंदना से किया...

जनज्वार। रज़ा फाउंडेशन एवं इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की ओर से ‘उत्तराधिकार 2018’ के तृतीय संस्करण के पहले दिन 3 अक्टूबर को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सी.डी. देशमुख सभागार में उत्तराधिकार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का औपचारिक स्वागत देते हुए रज़ा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी और हिंदी के कवि अशोक वाजपेयी ने कार्यक्रम के बारे में बताते हुए सबका स्वागत किया।

उत्तराधिकार भारतीय शास्त्रीय परम्परा के शिष्यों का रज़ा समारोह है। इसका मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय कलाओं में गुरु-शिष्य-परम्परा के महत्त्व और जरूरत का रेखांकन है। रज़ा फाउंडेशन इस परम्परा पर एकाग्र दो वार्षिक समारोह करता है : उत्तराधिकार और महिमा। महिमा अगली जनवरी में होगा जिसमें वरिष्ठ शास्त्रीय कलाकार अपने गुरुओं से प्राप्त सीख और विरासत प्रस्तुत करेंगे।

पहली प्रस्तुति चर्चित सरोद वादक अयान अली बंगश ने दी। अयान सेनिया बंगश परम्परा के सातवीं पीढ़ी से सम्बद्ध हैं। वे प्रसिद्ध सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान के शिष्य और पुत्र हैं। अयान बहुत ही कम उम्र से सरोद की शिक्षा अपने पिता एवं गुरु से लेनी आरम्भ कर दी थी। अयान ने अपनी पहली एकल प्रस्तुति आठ वर्ष की उम्र में दी थी। तब से लेकर आज तक वे कई एकल प्रस्तुतियां और अपने पिता जी के साथ युगल प्रस्तुतियां दे चुके हैं। अयान ने सरोद में अपने अभिनव प्रयोगों एवं विविधताओं के माध्यम से सरोद संगीत के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान रचा है।

अयान अली बंगश का साथ बनारस घराने के युवा तबला वादकशुभ महाराज ने दिया। शुभ महाराज प्रसिद्ध तबला वादक पद्म विभूषण पंडित किशन महाराज के नाती हैं और चर्चित कत्थक नर्तक पंडित विजय शंकर के पुत्र हैं। शुभ बचपन से ही तबला की शिक्षा ले रहे हैं। वे संगीत के महत्वपूर्ण मचों पर संगत कर चुके हैं।

शाम की पहली प्रस्तुति में अयान अली बंगश पारंपरिक राग और ताल से (जो कि पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान की रचनात्मक निर्मिती है) आरम्भ किया, उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति राग ललिता गौरी में दिया। सबसे पहले उन्होंने अलाप, जोड़ और झाला से राग का स्वरूप खड़ा किया जो चौताल और द्रुत तीन ताल में निबद्ध था। उन्होंने अपनी प्रस्तुति का समापन राग गौड़ मल्हार से किया।

अगली प्रस्तुति गुरु शोभना नारायण की शिष्या शिवानी वर्मा का कत्थक नृत्य था। पेशे से वकील हुए भी शिवानी वर्मा का कत्थक प्रेम इन्हें कत्थक की और खीच लाया। शिवानी वर्मा ने सबसे पहले गुरु मनीष गंगानी और बाद में गुरु तीरथ अजमानी से कत्थक की शिक्षा प्राप्त की है। शिवानी वर्मा ने कत्थक गुरु पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज, गुरु शोभना नारायण, गुरु सास्वती सेन, गुरु सरोजा वैद्यनाथन एवं शर्मिष्ठा मुखर्जी, मुजफ्फर अली, आमिर विद्युन सिंह, आशा कोचर, अनु आहूजा, डॉ. मोहिनी गिरि और शालिनी विग वाधवा के साथ कार्य किया है।

हम्पी उत्सव से लेकर लेक्मे फैशन वीक जैसे पारम्परिक और गैर-पारम्परिक मंचों पर भी इन्होने कत्थक की प्रस्तुतियां दी हैं। अभी हाल में चंपारण से बापू, निधि वन, ये शहर नहीं महफ़िल है, अग्निवेश द्रौपदी और दृश्भा शीर्षक इनका काम लोगों ने काफी पसंद किया है।

शिवानी वर्मा के साथ आज संगत पर पंडित ज्वाला प्रसाद (जो की संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित चर्चित गायक और संगीतकार हैं) ने संगीत रचना और निर्देशन का काम किया और गायन एवं हारमोनियम पर साथ दिया। तबला पर उस्ताद बिस्मिलाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित योगेश गंगानी ने संगत किया। योगेश गंगानी कत्थक के गंगानी घराने से ताल्लुक रखते हैं। पखावज और बोल पढ़ंत पर महावीर गंगानी जी ने साथ दिया।

सारंगी पर किराना घराने से सम्बन्ध रखने वाले उस्ताद आसिफ अली खान के पुत्र और शिष्य अहसान अलीने साथ दिया। सितार पर उस्ताद शाहिद परवेज के शिष्य और इटावा घराने से संबद्ध सलीम जी ने साथ दिया। तकनीक एवं प्रकाश संयोजन मनीष हलधर का था। मनीष शर्मिष्ठा मुखर्जी, अमल अल्लाना, सोनम कालरा, मुजफ्फर अली के साथ भी काम कर चुके हैं। शिवानी वर्मा का परिधान संयोजन हाउस ऑफ़ कोटवारा के सौजन्य से था।

प्रस्तुति से पूर्व शिवानी वर्मा ने अपने गुरु शोभना नारायण को गुलदस्ता देकर उनको सम्मानित किया। शिवानी वर्मा की यह प्रस्तुति ‘लीला’ पर केन्द्रित थी। जीवन से लेकर मृत्यु तक का समस्त जगत व्यवहार लीला के केंद्र में है। जीवन अनवरत चलते रहने का नाम है। वर्मा अपनी प्रस्तुति ‘लीला’ का आरम्भ कामदेव के आह्वान एवं वंदना से किया। ‘लीला’ की यह प्रस्तुति तीन ताल में निबद्ध थी।

रज़ा फाउंडेशन का अगला कार्यक्रम 4 अक्टूबर को सावनी मुद्गल के गायन एवं हिमांशु श्रीवास्तव का भरतनाट्यम से हुआ। 5 अक्टूबर को डॉ. सरिता पाठक यजुर्वेदी का गायन और अरुषि मुद्गल का ओड़िसी का आयोजन इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर के सी.डी. देशमुख सभागार में होना है। 8 अक्टूबर को शाम 6:15 वजे से इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर के सी.डी. देशमुख सभागार में गांधी जयंती के 150वें वर्ष में रज़ा फाउंडेशन द्वारा शुरू किये जा रहे गांधी मैटर्स का उद्घाटन व्याख्यान प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो. आशीष नंदी का गांधी एज अ डिसेंटर विषय पर होना है।

वहीदा अहमद द्वारा संयोजित ब्लर्ड पैरामीटर्स शीर्षक से उत्तर-पूर्व के कलाकारों के कलाओं का प्रदर्शन इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमला देवी काम्प्लेक्स के गैलरी में 27 अक्टूबर 12 बजे से 10 नवम्बर तक होना है। 29 अक्टूबर को कुमार गंधर्व स्मृति व्याख्यानमाला में प्रो. सुमंगला दामोदरन का हिस्ट्री, मेमोरी एंड इमोशन इन अंडरस्टैंडिंग म्यूजिक एस पॉलिटिक्स विषय पर इंडिया हैबिटाट सेंटर के गुलमोहर सभागार में शाम साढ़े छह बजे से होना है।

Next Story

विविध