फंसे हुए प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा के लिए आंखें बंद कर दी हैं और उनके मौलिक अधिकारों को लागू नहीं किया जा रहा है...
जनज्वार ब्यूरो। लॉकडाउन के बाद फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को घर लौटने की अनुमति देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संस्था (न्यायपालिका) सरकार की बंधक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी याचिकाकर्ता आईआईएम के पूर्व निदेशक जगदीप एस छोकर और वकील गौरव जैन की ओर से पेश हुए प्रशांत भूषण की टिप्पणी के बाद आई है। प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने प्रवासियों की दुर्दशा के लिए आंखें बंद कर दी हैं और उनके मौलिक अधिकारों को लागू नहीं किया जा रहा है।
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इस पर जस्टिस एनवी रमना, संजय किशन कौल और बीआर गवई की पीठ ने भूषण से पूछा कि अदालत उन्हें क्यों सुने? अगर उस व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'आपको न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है। यह संस्था सरकार की बंधक नहीं है।'
वहीं लॉकडाउन के दौरान संकट की स्थिति का सामना कर रहे प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए भूषण ने कहा कि उनमें से 90 प्रतिशत से अधिक को राशन या मजदूरी नहीं मिली है। वे हताश स्थिति में हैं और उन्हें अपने मूल स्थानों पर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
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हालांकि मेहता ने याचिकाकर्ताओं के द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर सवाल उठाए हैं। मेहता ने कहा कि ये गलत खबरें हैं। केंद्र इस मुद्दे पर राज्यों से परामर्श कर रहा है कि कितने प्रवासी श्रमिकों को ले जाया जाना है।