रिहाई मंच ने की बजरंग दल कार्यकर्ताओं के हाथों पिटे मदरसा छात्रों से मुलाकात, कहा भाजपा-संघ के दबाव में पुलिस ने बदल दिये अभियुक्त
मदरसा के प्रधानाचार्य का कहना है कि हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े आदित्य शुक्ला को पुलिस ने उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था। सरकार और हिंदुत्वादी संगठनों के दबाव में केस को पलट दिया गया और दूसरे दिन शुक्रवार 12 जुलाई को उसे छोड़ दिया गया। पुलिस की विवेचना में चार नए नामों को शामिल किया गया...
लखनऊ। रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल ने उन्नाव के मदरसा दारुल उलूम फ़ैज़-ए-आम के पीड़ित बच्चों जिन्हें बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जय श्रीराम का नारा न लगाने पर पीटा था और प्रधानाचार्य मौलाना निसार अहमद मिस्बाही से मुलाकात की। इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल पुलिस इन्वेस्टिगेशन के आधार पर पकड़े गए संकेत भारती के परिवार से भी मिला। रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल में शकील कुरैशी, रॉबिन वर्मा, शाहरूख अहमद और मोहम्मद परवेज़ शामिल थे।
प्रतिनिधि मंडल को बजरंग दल कार्यकर्ताओं द्वारा पीटे गये पीड़ित बच्चों ने बताया कि वो सभी गुरुवार 11 जुलाई को शहर में ही रेलवे स्टेशन के करीब स्थित जीआईसी मैदान में दोपहर दो बजे के करीब क्रिकेट खेलने गए थे। एक मैच पूरा हो जाने के बाद साढ़े तीन बजे के आसपास वो दूसरा मैच खेल रहे थे। तभी दो बाइकों से चार लड़के पहुंचे और उन्होंने खेल रहे बच्चों को धर्म सूचक गालियां दीं और जबरदस्ती जय श्री राम के नारे लगाने को कहा।
मना करने पर स्टंप और बैट से मारना शुरू कर दिया। कुछ बच्चे वहां से भागे तो कुछ साइकिल और अन्य सामान रह जाने के कारण भाग नहीं सके। उन्हें घेरकर पीटा गया। किसी के हाथ तो किसी के पैर और सर में चोट आई। आज भी उनके शरीर पर चोट के निशान मौजूद हैं।
पीड़ित बच्चों ने बताया कि उनकी साइकिल को भी तोड़ दिया गया और उनके पैसे भी छीन लिए गए। घटनास्थल से किसी तरह भाग निकले बच्चों ने बताया कि वे मदद के लिए स्टेशन स्थित रेलवे पुलिस के पास भी गए और 100 नंबर भी डायल किया, पर वो लगा ही नहीं। रेलवे पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की। उलटे पिट रहे बच्चों को देखकर हंसते रहे।
मदरसा वापस आने पर उन्होंने प्रधानाचार्य को घटना की जानकारी दी। इसके बाद इलाके के लोगों की मदद से फेसबुक के जरिये हमलावर लड़कों की शिनाख्त हुई और इस आधार पर प्रधानाचार्य ने 3 नामजद अभियुक्तों- आदित्य शुक्ला, क्रांति और कमल और एक अज्ञात पर एफआईआर करवाई।
वहीं मदरसा के प्रधानाचार्य का कहना है कि आदित्य शुक्ला को पुलिस ने उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था। सरकार और हिंदुत्वादी संगठनों के दबाव में केस को पलट दिया गया और दूसरे दिन शुक्रवार 12 जुलाई को उसे छोड़ दिया गया। पुलिस की विवेचना में चार नए नाम को शामिल किया गया।
मदरसा छात्रों को पीटने वाले चारों लड़कों में से तीन को पीड़ित बच्चों ने फेसबुक के माध्यम से पहचान लिया। उसमें से एक लड़का क्रांति सिंह है, जो भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा का जिला मंत्री, दूसरा आदित्य शुक्ला और तीसरा कमल राजपूत है। इनमें से एक ने उन्नाव के विवादास्पद सांसद साक्षी महाराज के साथ अपनी फेसबुक प्रोफाइल फोटो भी लगा रखी है।
रिहाई मंच के मुताबिक इससे प्रतीत होता है कि तीनों नामजद बीजेपी और हिंदुत्वादी संगठनों से जुड़े हुए हैं। जनदबाव में प्रशासन ने उनमें से आदित्य शुक्ला को पकड़ा, पर दूसरे ही दिन हिंदुत्वादी संगठनों ने थाने में बावाल कर उसे छुड़वा लिया। आनन-फानन में पुलिस ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में तीनों नामजद को सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन के नाम पर बेगुनाह साबित कर चौथे अज्ञात के रूप में संकेत भारती को घटना में शामिल बताया। मदरसे के बच्चों ने बताया कि हमलावरों में संकेत भारती शामिल नहीं था।
वहीं मदरसा छात्रों को पीटने के आरोप में पकड़े गये संकेत भारती के परिवार का कहना है कि संकेत अभी लगभग 16 साल का है। कोचिंग के लिए घर से दो बजे निकला था। पुलिस ने उन्हें बताया कि वह साढ़े तीन-चार बजे के आसपास हुई घटना में शामिल था और उसे कानपुर से पकड़ा गया है। परिवार ने कहा कि सत्ता के इशारे पर उनके बच्चे को फंसाया गया है।
मदरसा प्रधानाचार्य मौलाना निसार अहमद मिस्बाही कहते हैं, मदरसे के बच्चों पर हमला, उनके साथ मार पिटाई, जय श्री राम के नारे लगवाने, बच्चों के पैसे छीनने और उनकी साइकिल तोड़ने की घटना को सोची-समझी साजिश के तहत अंज़ाम दिया गया। घटना के बाद से मदरसे के बच्चे डरे-सहमे हुए हैं। वे कहते हैं कि अब कभी क्रिकेट या कोई और खेल खेलने भी नहीं जाएंगे। उन्होंने इसकी सीबीआई जांच की मांग करते हुए मदरसे और बच्चों की सुरक्षा की मांग की।