रुद्रपुर, उत्तराखण्ड। प्रबन्धकों के मनमानेपन और श्रमविभाग व प्रशासन की उदासीनता के कारण मज़दूरों के बढ़ते शोषण के खिलाफ क्षेत्र के मजदूरों ने 4 जुलाई को श्रम भवन पर मजदूर महापंचायत का सफल आयोजन किया। जहाँ पूरे दिन शिफ्ट के अनुसार मज़दूूर आते रहे और अपने आक्रोश व एकजुटता प्रदर्शित करते रहे। श्रमिक संयुक्त मोर्चा द्वारा आयोजित इस महापंचायत के पंचों ऋषिपाल सिंह, दलजीत सिंह, दिनेश तिवारी, गणेश मेहरा व आशीष ने अपना फैसला सुनाया।
इस महापंचायत में एरा कम्पनी की महिलाओं से बदसलूकी पर सहायक श्रमायुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित हुआ और सहायक श्रमायुक्त को बर्खाश्त करने की माँग हेतु श्रम मंत्री को पत्र भेजने का निर्णय बना। आज 7 जुलाई को सांय 3 से मानव श्रृंखला बना डीएम कार्यालय का घेराव करने का निर्णय लिया गया। साथ ही 12 जुलाई को कुमाऊँ कमिश्नरी, नैनीताल में धरना दिया जाएगा।
मजदूर नेताओं ने कहा कि फिर भी प्रशासन नहीं चेता, संघर्षरत महिंद्रा, महिंद्रा सीआईई, एरा आदि मज़दूरों को न्याय नहीं मिला तो काबीना मंत्री अरविन्द पांडे के आवास पर मज़दूर कूच करेंगे।
मज़दूर नेताओं ने कहा कि मज़दूर अपने वेतन व सुविधाओं की जहाँ भी जायज माँग उठाते हैं, यूनियन बनाते हैं तो दमन शुरू हो जाता है। तमाम कम्पनियां सरकारी सब्सिडी और टैक्स की छूटों को खा-पचाकर मज़दूरों के पेट पर लात मार कर भाग रही हैं, जिसमें श्रमविभाग व शासन-प्रशासन की मौन सहमति साफ नजर आ रही है।
महिन्द्रा सीआईई के श्रमिकों ने माँगपत्र दिया तो प्रबन्धन ने यूनियन अध्यक्ष सहित चार साथियों को निलम्बित कर दिया, यूनियन को मान्यता देने से मना कर दिया। महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा के श्रमिकों ने वैधानिक रूप से यूनियन पंजीकृत कराई तो प्रबन्धन ने दमन बढ़ा दिया। उन पर अवैध वेतन प्रस्ताव को मानने का दबाव बनाया। यूनियन के विरोध करने पर पूरी कार्यकारिणी सहित मज़दूरों की कार्यबन्दी कर दी। अन्याय के खिलाफ महिन्द्रा ग्रुप के तीनो प्लाण्ट के मज़दूर श्रमभवन, रुद्रपुर में धरना और क्रमिक अनशन चला रहे हैं। महिन्द्रा सीआईई के मजदूर पिछले डेढ़ माह से भूखे रहकर कम्पनी में काम कर रहे हैं, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है।
मज़दूरों ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा कि एरा कम्पनी सब्सिडी व टैक्स की छूटों का लाभ उठाकर भागने की तैयारी में है। 24 जनवरी से कम्पनी की बिजली कटी हुई है, श्रमिकों का तीन माह से वेतन नहीं मिला है, दो साल से ईएसआई व पीएफ नहीं जमा है। महिलाएं बच्चे तक कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन को मजबूर हैं। मंत्री मेटेलिक्स का माँगपत्र 2013 से उलझा हुआ है, जिसे साजिशन श्रम न्यायालय भेज दिया गया। 2016 के नये माँगपत्र की भी यही गत हो रही है। यूनियन बनने से खफा डेल्फी टीविएस प्रबन्धन मज़दूरों पर विगत दो साल से अवैधानिक दबाव बनाए रखा और समस्त मज़दूरों से इस्तीफे ले लिए। एस्काॅर्ट, भास्कर, बु्रशमैन आदि कम्पनियां मज़दूरों को धोखा देकर भाग चुकी हैं और शासन-प्रशासन व श्रम विभाग मौन बना रहा।
अन्य वक्तओं ने कहा कि एलजीबी के मज़दूरों ने माँगपत्र दिया तो दमन के तौर पर पदाधिकारियों को नोटिसें दी जाने लगीं। आॅटोलाइन में यूनियन बनने के समय से ही दमन जारी है। इण्डोरेंस, व्योह्राॅक, ब्रिटानिया, कम्पनियों में यूनियनें अपने माँगपत्रों को लेकर संघर्षरत हैं। एडविक कम्पनी में स्थाई नियुक्ति पत्र की लड़ाई तो मज़दूर जीते, लेकिन प्रबन्धन मज़दूरों को फंसाने कोशिशें कर रहा है। पारले में यूनियन को बाईपास कर मनमाना वेतनबृद्धि हो गयी। थाई सुमित नील आॅटो में समझौते का अनुपालन नहीं हो रहा। रिचा कम्पनी, काशीपुर में प्रबन्धन की खुलेआम दबंगई, मज़दूरों से मारपीट, प्रतिनिधियों की अवैध बर्खास्तगी के बीच मज़दूरों का संघर्ष लम्बे समय से जारी है। इसलिए महापंचायत ने संघर्ष का फैसला लिया है।
पंचायत में मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी, गणेश मेहरा, कैलाश भट्ट, मुकुल, के के बोरा, जनार्दन सिंह, धनवीर सिंहआनन्द नेगी, संजीत विश्वास, विरेन्द्र पाल, दिनेश आर्या, पूरन पाण्डे, सुबोध चौधरी, भगवान सिंह, अभिशेक सिंह, सुरेश पाल, नन्दू खोलिया, हेम चंद, संदीप, सुरेश, महेन्द्र शर्मा, उषा देवी, हरेन्द्र यादव, प्रदीप सिंह, प्रमोद तिवारी, निरंजन समेत कई लोगों ने अपनी बातें रखीं।
मज़दूर पंचायत में महिंद्रा कर्मकार यूनियन, महिंद्रा सीआईई श्रमिक संगठन, एरा श्रमिक संगठन, ऑटो लाइन, ब्रिटानिया (दोनों यूनियनें), इंट्रक्ष, एलजीबी, परफेटी, नेस्ले कर्मचारी संगठन, पारले, राणे मद्रास, मंत्री मेटेलिक्स, थाई सुमित नील ऑटो, टाटा मोटर्स, इंडोरेंस (दोनों यूनियनें) टाटा यज़ाकी, एम के ऑटो, डेल्टा, असाल, पंतनगर से विश्वविद्यालय श्रमिक कल्याण संघ, राष्ट्रीय शोषित परिषद्, ट्रेड यूनियन संयुक्त मोर्चा आदि के आलावा इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र, एक्टू, इंटक, यूकेडी के नेतृत्व में भारी संख्या में मज़दूरों ने भागेदारी निभाई। एरा के मज़दूरों की महिलाएं, बच्चे भी महापंचायत में शामिल थे।