हिजाब के खिलाफ आंदोलन कर रही 20 साल की युवती को कोर्ट ने दी 24 साल की सजा, कहा हिजाब हटाने से बढ़ेगी वेश्यावृत्ति
महिलाओं पर थोपे गये हिजाब के खिलाफ अभियान चलाने का जहां स्वागत किया जाना चाहिए था, वहीं रिवोल्यूशनरी कोर्ट के जज ने उसे सजा सुनाते हुए कहा कि महिलाओं का हिजाब उतरवाकर सबा अफशरी ने भष्टाचार और वेश्यावृत्ति को दिया है बढ़ावा ...
जनज्वार। आज जहां दुनिया महिलाओं के कदम से कदम मिलाने के तमाम दावे करती है, उनके सशक्तीकरण के कसीदे गढ़ती है, वहीं असलियत यह है कि उन पर होने वाली हिंसा और अत्याचार की घटनाओं में कहीं ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली महिलाओं को हमारा समाज सहन नहीं कर पाता, यहां तक की न्याय व्यवस्था तक उनकी दुश्मन बन जाती है।
अगर वाकई महिलाओं को बराबरी के अधिकार मिल चुके होते, तो ऐसा न होता कि उन्हें बुरका-हिजाब पहनने को आज 21वीं सदी में भी बाध्य किया जाता। और ऐसा भी नहीं होता कि जो लड़की हिजाब के खिलाफ अभियान चला रही हो उसे कैद कर लिया जाये।
जी हां, ईरान की रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने हिजाब की बाध्यता खत्म करने के लिए अभियान चलाने वाली 20 वर्षीय लड़की सबा अफशरी को मंगलवार 27 अगस्त को 24 साल की सजा सुनाई है। बुर्के के खिलाफ 'व्हाइट वेडनसडे' कैंपेन चलाने वाली सबा अफशरी को तेहरान की रिवोल्यूशनरी कोर्ट द्वारा इस तरह की सजा सुनाए जाने की दुनियाभर में खूब भर्त्सना हो रही है।
फेसबुक पर ईरानी कोर्ट के इस तानाशाही फैसले की निंदा करते हुए शिक्षक पुनीत शुक्ला लिखते हैं, 20 साल की ईरानी युवती सबा अफ़सरी को तेहरान कोर्ट ने हिजाब का विरोध करने पर 24 साल की कैद की सज़ा सुनाई है। सबा और सबा की माँ पिछले कुछ दिनों से हिजाब की अनिवार्यता का विरोध कर रही हैं। जज साहब ने अफ़सरी को सज़ा सुनाते हुए फ़रमाया है कि इन्होंने हिजाब उतारकर आपने देश में वेश्यावृत्ति को बढ़ावा दिया है। अब इन जज साहब की बुद्धि पर हँसा जाये कि रोया जाये।'
महिलाओं पर थोपे गये हिजाब के खिलाफ अभियान चलाने का जहां स्वागत किया जाना चाहिए था, वहीं रिवोल्यूशनरी कोर्ट के जज ने उसे सजा सुनाते हुए कहा कि महिलाओं का हिजाब उतरवाकर सबा अफशरी ने ईरान में भष्टाचार और वेश्यावृत्ति को बढ़ावा दिया है। इसलिए 24 में से 15 साल की सजा सबा को इन दो अपराधों के लिए दी जा रही है।
सबा अफशरी अपनी मां राहीला अहमदी के साथ
सबा अफशरी और उनकी मां राहीला अहमदी ईरान में बड़े पैमाने पर महिलाओं की आजादी के लिए चलाए जा रहे व्हाइट वेडनसडे कैंपेन के प्रमुख हैं। इससे पहले भी सबा अफशरी को पिछले साल अगस्त 2018 में तेहरान में गिरफ्तार किया गया था। तब उन्हें एक साल की सजा सुनाई गई थी, मगर वैश्विक दबाव में ईरान सरकार को उन्हें इस साल फरवरी में रिहा करना पड़ा था।
गौरतलब है कि ईरान में सोशल मीडिया पर हिजाब के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें महिलाओं से बिना हिजाब पहने तस्वीर शेयर किए जाने की अपील की जा रही है। इसे महिला सशक्तीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। कैंपेन के पहले दो हफ्ते में 200 वीडियो ईरानी महिलाओं ने पोस्ट किये, जिन्हें 5 लाख लोगों ने देखा।
ईरानी महिलाओं की भारी पैमाने पर बिना हिजाब की फोटो शेयर करना ईरान सरकार और कानून व्यवस्था को रास नहीं आया तो तेहरान की रिवोल्यूशनरी कोर्ट ने आदेश जारी कर दिया कि सोशल मीडिया पर बिना हिजाब की तस्वीरें या वीडियो पोस्ट करने वाली महिलाओं को 1 से 10 साल तक की कड़ी सजा दी जाएगी। व्हाइट वेडनसडे कैंपेन में हिस्सेदारी करने वाली सैकड़ों महिलाओं को अब तक ईरान सरकार जेल भेज चुकी है। हिजाब की पैरोकार सरकार ने इस हफ्ते भी तकरीबन 1 दर्जन से ज्यादा महिलाओं को सलाखों के पीछे डाला है, क्योंकि इन महिलाओं ने अपनी बिना बुर्के की पोस्टें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं।
ईरान में अगर कोई महिला सार्वजनिक स्थल पर बिना हिजाब के नजर आती है, या हिजाब पहनने के कानून का उल्लंघन करती दिखाई देती है तो उसे भारी जुर्माना और सजा काटनी पड़ती है। ईरान के कट्टरपंथी समाज में सहज स्वीकार्य इस कानून के तहत सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर बिना हिजाब दिखाई देने वाली महिलाओं को 10 दिन से दो महीने तक का कारावास या 50 हजार से पांच सौ रिया की सजा हो सकती है।
अब जब महिलायें हिजाब के खिलाफ सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर उतर आयी हैं, तो सबा को 24 साल की सजा सुना सरकार ने उन्हें डराने का काम किया है कि अगर कोई भी हिजाब उतारने की जुर्रत करेगा तो उसका हाल 20 साल की इस युवती की तरह किया जायेगा। उसे अपनी पूरी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे बितानी होगी।