जब स्कूल लगता था, तो सभी बच्चे आते थे, लेकिन पुनर्वास स्थल पर स्कूल लगने से बच्चे नहीं आ रहे हैं। जहां मूल गांव की प्राथमिक शाला में 30 बच्चे स्कूल जाते थे, वहीं पुनर्वास के स्कूल में 4—5 बच्चे ही पहुंच रहे हैं...
बड़वानी, मध्यप्रदेश। नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर के डूब प्रभावित गांवों के कुछ स्कूल पुनर्वास स्थल पर शिफ्ट कर दिए गए हैं। इसके विरोध में बाल दिवस के दिन 14 नवम्बर को नर्मदा आंदोलन की नेता मेधा पाटकर समेत सैकड़ों बच्चों—महिलाओं ने निसरपुर पंचायत पर प्रदर्शन कर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।
नर्मदा आंदोलन की मुख्य नेता मेधा पाटकर ने अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि बच्चों के स्कूलों को वापस मूल गावों में शिफ्ट किया जाये, क्योंकि अधिकांश लोग अभी भी मूल गाँव में ही रह रहे हैं, पुनर्वास योजना में बहुत कम लोग शिफ्ट हुए हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक स्कूलों को पुनर्वास स्थलों पर शिफ्ट करने देने के कारण बच्चों के घर से स्कूल की दूरी 4 से 5 किलोमीटर बढ़ गयी है, जिसे पैदल तय कर रहे हैं। शासन के द्वारा परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। ऐसे में बहुत से बच्चे स्कूल ही नहीं जा रहे हैं और वह पढ़ने के अधिकार से वंचित हो रहे हैं।
गौरतलब है कि डूब प्रभावित गांवों के बच्चों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को स्कूल वापस मूल गांव में में ले जाने को लेकर पत्र लिखा है। प्रदर्शन कर अधिकारियों से मिलने वालों में कड़माल, चिखल्दा, खापरखेडा, निसरपुर के बच्चे शामिल हैं।
बच्चों का कहना था कि गांव में जब स्कूल लगता था, तो सभी बच्चे आते थे, लेकिन पुनर्वास स्थल पर स्कूल लगने से बच्चे नहीं आ रहे हैं। जहां मूल गांव की प्राथमिक शाला में 30 बच्चे स्कूल जाते थे, वहीं पुनर्वास के स्कूल में 4—5 बच्चे ही पहुंच रहे हैं।