गुजरात में सामने आया सचिवालय भर्ती घोटाला, पेपर कैंसिल करने के लिए हजारों छात्र आंदोलनरत
गुजरात की रूपाणी सरकार कर रही छात्रों के आंदोलन को खत्म करने की हरसंभव कोशिश, आंदोलनकारी छात्रों पर पुलिस बल का प्रयोग, छात्रों को धरनास्थल पर पहुंचने से रोकने के लिए आंदोलन में घुसा रही असामाजिक तत्व और छात्रों के परिजनों में पैदा किया जा रहा है पुलिस केस हो जाने का भय....
गुजरात से जनज्वार टीम की रिपोर्ट
भाजपा राज अब हत्या, लूट और भ्रष्टाचार का राज बन गया है। इस दौर में गरीब, नौजवान, किसान हर कोई हैरान और परेशान है। अब मोदी और शाह के गृहराज्य गुजरात में बिन सचिवालय भर्ती परीक्षा में करप्शन का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिससे गुजरात की सियासत हिली हुई है।
इसीलिए पिछले 5 दिनों से शाह संसदीय क्षेत्र गांधीनगर में दिन-रात परीक्षा को रद्द करने के लिये छात्रों का आन्दोलन चल रहा है। बिन सचिवालय परीक्षा को रद्द करने के लिए पिछले 5 दिनों से गांधीनगर में हजारों की संख्या छात्र दिन-रात प्रदर्शन कर रहे हैं। अपने लिए इंसाफ की गुहार कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
पिछले 17 नवम्बर को बिन सचिवालय क्लर्क परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों पर जो धांधली खुलकर नजर आयी, वह शर्मनाक, दुःखद और चौंकाने वाला था। 1100 क्लर्क के पदों को भरने के लिए पूरे गुजरात से लगभग 6 लाख लोगों ने परीक्षा दी थी। इसी उम्मीद के साथ एक दिन अपने माँ-बाप का सपना सच कर सकेंगे।
आंदोलनरत छात्र कहते हैं, 'ऑर्गनाइजड करप्शन के इस खेल में हम मेहनती, जहीन छात्रों जोकि ज्यादातर सामान्य गरीब वंचित परिवार से आते हैं, के सपनों को बड़ी आसानी से बलि दे दी गयी। हमारा सपना अब एक दुःखद घटना में परिवर्तित हो चुका है। यह करप्शन की कोई सामान्य घटना नहीं है। इसे गुजरात का व्यापम कहा जा सकता है, जिसमें गुजरात सरकार के कई बड़े आला अधिकारी और नेताओं के सीधे शामिल होने की आशंका है।'
आन्दोलनरत छात्रों का मानना है कि इस तरह पहले भी कई बार नौकरी संबंधित प्रतियोगिता में धांधली का मामला सामने आया है, जिसमें किसी न किसी वज़ह से परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हुए हैं। लेकिन गुजरात की बीजेपी सरकार ने अपनी सही भूमिका नहीं निभाई है। पहली बार ऐसा हुआ है कि छात्र इतनी बड़ी संख्या में ऑर्गनाइजड करप्शन के खिलाफ खुलकर मैदान में हैं।
4 दिसम्बर से आन्दोलन का रुख और तेज हो गया है। विपक्ष की सभी पार्टियां मुख्य रूप से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसमें शामिल हो गयी हैं। कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठनों द्वारा गुजरात भर में विभिन्न जिलों में स्थित कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को बंद कराया गया। इस आंदोलन के पहले दिन से ही गांधीनगर में स्थित गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों का समर्थन मिलना शुरू हो गया था, जो अभी तक जारी है। इसे छात्रों को न्याय को लेकर गुजरात में एक बड़े आंदोलन के तौर पर देखा जा रहा है।
आंदोलन को तोड़ने की साजिश
एक तरफ आंदोलन को शुरू से तोड़ने के लिए बीजेपी/आरएसएस के लोग लगातार लगे हुए हैं। आंदोलनरत छात्र कह रहे हैं कि हमारे आंदोलन में ABVP के गुंडों ने घुसकर गुंडागर्दी की। माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। शुरुआत में वे थोड़ा सफल हुए, लेकिन जब से गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने आंदोलन का मोर्चा संभाला है तब से आंदोलन अपने स्वरूप में थोड़ा बहुत परिवर्तन के साथ अनवरत जारी है। लगातार कीर्तन, भजन और इन्कलाबी नारों से आंदोलन में उत्साहपूर्ण माहौल बना हुआ है।
दूसरी तरफ गुजरात की रुपाणी सरकार भी आंदोलन में शामिल छात्रों को गुमराह करने में लगी हुई है। आन्दोलन को तोड़ने के लिए हर हथकंडे अपना रही है। आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्रों को लालच देकर अपनी गिरफ्त में लेने, आंदोलन के दौरान पुलिस बल का प्रयोग, छात्रों को धरनास्थल पर पहुंचने से रोकने, आंदोलन में असामाजिक तत्वों को घुसाने, धरने में शामिल छात्रों के परिवारों में पुलिस केस हो जाने का डर पैदा करने और परीक्षा रद्द करने की बजाय आंदोलन को कमजोर करने लिए SIT गठन करने जैसी कोशिशें शुरू हो चुकी हैं।
आंदोलन को किसका मिल रहा है समर्थन
छात्रों के आंदोलन में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी सहित कई युवा नेता शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी की पूरी प्रदेश कार्यकारिणी प्रदेश संयोजक किशोर भाई देसाई के नेतृत्व में आंदोलन में शामिल है।
इस मामले पर हार्दिक पटेल ने ट्वीट किया है, 'गुजरात के नौजवान सचिवालय की भर्ती परीक्षा को रद करने की माँग के साथ धरने पर बैठे हैं। सरकार की इस परीक्षा में घोटाला हुआ है। आज मैं धरनास्थल पर नौजवानों से मिला। यह लड़ाई सम्मान की है। अब यह नौजवान भाजपा सरकार को जगाने के लिए नहीं, उखाड़ने के लिए एकजुट हुए हैं।'
कांग्रेस की तरफ़ से प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा, इंद्रविजय सिंह गोहिल, शाहनवाज शेख सहित कई बड़े नेता आंदोलन में शामिल हुए। NSUI-गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष महिपाल गढ़वी के आवाह्नन पर और यूथ कांग्रेस के समर्थन से बिन सचिवालय स्कैम के विरोध में पूरे गुजरात के हर जिले में कॉलेज और यूनिवर्सिटीज को बंद कराया गया।
आंदोलनरत छात्रों को मिला युवा नेता जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल का साथ
वहीं पिछले तीन दिनों से दिन-रात विपक्ष के नेता परेश धनाणी लगातार धरने में शामिल हैं, जो हर तरह से छात्रों की मदद करने में लगे हुए हैं। छात्रों के साथ संघर्ष की हर प्रकिया में पूरी तन्मयता से शामिल हैं। गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय की तरफ़ से मनसुख जपाडिया, सियाराम मीणा और उनके साथियों की इन्कलाबी टोली इस आंदोलन में बड़ी सक्रिय भूमिका निभा रही है।
छात्रों की क्या है माँग
आंदोलनरत छात्रों की एक ही माँग है कि कैसे भी यह सरकार बिन सचिवालय की परीक्षा को रद्द करे। वहीं कुछ ही दिनों गुजरात विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है, जिसमें मुख्य रूप से यह मुद्दा गूँजने वाला है। उससे पहले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ने 9 दिसम्बर को बिन सचिवालय के मुद्दे को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन का आवाहन किया है। इसमें मुख्य रूप से विधानसभा भवन का घेराव होना है।