इंदौर, जनज्वार। 9 अगस्त की शाम को छात्र युवा नेता कन्हैया कुमार ने इंदौर के आनंद मोहर माथुर सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की थी। उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर उनका कालिख पुता फोटो यह कहकर वायरल हो रहा है कि भगवा गुंडों ने उनके मुंह पर कालिख पोती है। गौरतलब है कि स्थानीय हिंद राष्ट्र संगठन और कुछ भाजपा के भगवा गुंडों ने कार्यक्रम से पहले ही कन्हैया का कार्यक्रम न होने देने की चेतावनी दी थी।
इस मामले में कार्यक्रम के संयोजक विनीत तिवारी ने जनज्वार को बताया कि सोशल मीडिया पर कन्हैया कुमार की कालिख पुती जो तस्वीर वायरल रही है वह इंदौर में हुए कार्यक्रम की ही है, जिसके साथ छेड़छाड़ कर उस पर कालिख पोती गई है। कन्हैया पर कार्यक्रम के दौरान या उसके बाद या यहां रहते हुए किसी तरह का कोई हमला नहीं हुआ। न ही किसी किसी की इतनी हिम्मत हुई कि उन पर कालिख पोत पाए।
विनीत तिवारी के मुताबिक जब कन्हैया कुमार कार्यक्रम से बाहर निकलते हुए कार पर सवार हो रुकने की जगह पर जा रहे थे, उस समय कार पर जरूर पत्थर से हमला किया गया, लेकिन हमले में किसी को कोई चोट नहीं आई। उस समय कन्हैया कुमार व्यापम घोटाले का खुलासा करने वाले डॉ. आनंद राय के साथ थे। कार डॉ. आनंद राय की ही थी। व्यापम का मामला संवेदनशील होने के कारण डॉ. आनंद राय को सुरक्षा हेतु सरकार की तरफ से दो गनमैन मिले हुए थे।
जनपक्षधरता के नाम पर वायरल होने वाली फर्जी खबरों से खफा प्रगतिशील लेखक संघ (पीडब्ल्यूए) के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी कहते हैं, जब तक स्थानीय पुलिस इदौर में कार्यक्रम कराने की जिम्मेदारी निभा रही थी तब तक लग रहा था कार्यक्रम संभव नहीं हो पाएगा। क्योंकि थानाध्यक्ष स्तर के अधिकारी भाजपा नेताओं से मिले हुए थे, लेकिन जब हमारे साथियों ने इस मामले में डायरेक्टर जनरल बात की तो कार्यक्रम का मोर्चा आईपीएस अधिकारियों ने संभाला और गुंडई पर उतारू भाजपा नेता और हिंदूवादी संगठन सहमे गए, इसलिए वे वैसी बदमाशी नहीं कर पाए जैसी चाहते थे।
विनीत तिवारी आगे कहते हैं कि उस दिन भी कुछ लोगों ने कन्हैया कुमार पर बेवजह सनसनी फैलाने की कोशिश की और सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया कि उन पर जानलेवा हमला हुआ था। हां, पत्थर उन्हें लग जाता तो हमला जानलेवा या मौत का कारण बन जाता। मगर इंदौर में कन्हैया कुमार को पोतना तो दूर कोई हाथ भी नहीं लगा सका।
जनज्वार ने विनीत तिवारी से इसलिए बात की, क्योंकि वह आनंद मोहन सभागार में आयोजित इस पूरे कार्यक्रम के मुख्य कर्ताधर्ता थे। विनीत पिछले दस दिनों से इंदौर में डेरा डाले हुए थे। कार्यक्रम के लिए न सिर्फ वैचारिक स्तर पर, बल्कि हिंदुवादी गुंडों से मुकाबले के लिए भी अपने टीम को तैयार रखा था।
तिवारी कहते हैं कि माना कि यह भाजपा का गढ़ है, लेकिन प्रगतिशील और जनवादी ताकतों के इतने भी बुरे दिन नहीं आये हैं कि वह अपने नेताओं को न बचा सकें। मैं यह बहुत आहत हूं, सुनने में आया है कि सोशल मीडया पर जनवादी और प्रगतिशील भी साथी भी इस तरह के मैसेज प्रसारित कर रहे हैं।
मैं जनज्वार के माध्यम से सभी प्रगतिशील साथियों से अपील करना चाहता हूं कि वे जागरूक लोगों और भक्तों में फर्क रखें। किसी भी तस्वीर या जानकारी को शेयर करने से पहले जांचे—परखें न कि उन्मादी हो उसको शेयर करें। उन्हें समझना चाहिए कि जनपक्षधर होना विदूषक होना नहीं होता, बल्कि ज्यादा जिम्मेदार होना होता है।
वायरल के लपेटे में आए और कन्हैया के पक्ष में फेसबुक पर सक्रिय रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह ने भी कन्हैया कुमार की कालिख पोतने वाली पोस्ट को शेयर किया था। इस फोटो को शेयर करने पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश समेत तमाम जनपक्षधर लोगों ने इस पर दुख प्रकट करते हुए लिखा कि फासीवाद आ गया है। हालांकि अब शीतल पी सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट डिलीट कर दी है और उन्होंने लिखा है भक्त फैक्ट्री की करामात थी।
गौरतलब है कि कन्हैया कुमार जब कार्यक्रम में सवा छह बजे पहुंचे तो उनके साथ केरल के पूर्व मंत्री विनय विश्वम और डॉ. आनंदमोहन माथुर बैठे थे। कन्हैया कुमार की यह तस्वीर उसी वक्त की है। कन्हैया कुमार के बगल में आनंद माथुर बैठे हुए थे। उनकी फोटो से फोटोशॉप में छेड़छाड़ कर चेहरे पर कालिख पोती गई है।