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अंधविश्वास

सांप काटने पर डॉक्टरों से कहीं ज्यादा भरोसा ओझा गुनी पर!

Prema Negi
26 July 2019 5:11 AM GMT
सांप काटने पर डॉक्टरों से कहीं ज्यादा भरोसा ओझा गुनी पर!
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सांप काटने के बाद गंभीर हालत में इमरजेंसी में चिकित्सारत महिला की झाड़-फूंक के लिए परिजन पहुंच गये तांत्रिक लेकर और तांत्रिक ने शुरू कर दी इमरजेंसी के बाहर झाड़—फूंक, वहीं कालाहांडी में सांप काटने से मरे युवा की लाश को जिंदा करने के लिए परिजन पहुंच गये ओझा लेकर मुर्दाघर...

जनज्वार। आज भी हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश के मामलों में पढ़े-लिखे और अनपढ़ सभी लोगों में झाड़-फूंक पर गजब का अंधविश्वास कायम है। ज़हरीले सांप के काटने पर झाड़-फूंक के चक्कर में मरीज की जान तक चली जाती है।

रअसल जहरीले सांपों की प्रजाति दो तरह की होती है। एक वह जो नर्वस सिस्टम को ब्रेक करते हैं और दूसरा ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित कर मरीज की जान लेते हैं। मेडिकल साइंस में पीड़ित का इलाज इंजेक्शन से संभव है, जो मरीज को समय पर डॉक्टर के पास ले जाने पर लगाया जाता है। यदि मरीज जरा सा भी लेट हो जाता है तो उसकी जान भी जा सकती है। मगर ग्रामीण इलाकों में किसी भी तरह के सांप के काटने पर लोगों को झाड़फूंक को लेकर गजब का अंधविश्वास बना हुआ है। इस अंधविश्वास के कारण हर साल सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है।

सांप काटने के बाद अंधविश्वास की हाइट दर्शाता एक मामला 25 जुलाई को उड़ीसा के कालाहांडी स्थित भवानीपटना के जिला मुख्यालय अस्पताल में सामने आया। यहां 21 वर्षीय सतीश कुमार भोपाल को सांप काटने के बाद केसिंगा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। मामला गंभीर होते देख डॉक्टरों ने उन्हें यहां से भवानीपटना जिला मुख्यालय अस्पताल में रेफर कर दिया।

हां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। मौत के बाद अस्पताल ने सतीश के शव को वहां के मुर्दाघर में रख दिया तो परिजन वहां उसे दोबारा जिंदा करने के लिए एक ओझा को लेकर आये। जब डॉक्टरों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि सतीश का जिंदा होना अब नामुमकिन है तो वह उन्हीं से भिड़ गये और जबर्दस्ती ओझा को लेकर मुर्दाघर में लाश के पास पहुंचे। जहां ओझा सतीश की लाश को जिंदा करने की नौटंकी करता रहा, मगर एक मर चुके इंसान में वह कहां से प्राण फूंकता।

सा ही एक मामला सामने आया उत्तर प्रदेश में बहराइच के बैजनापुरवा गांव में। यहां एक महिला को कल गुरुवार 25 जुलाई की दोपहर को सांप ने डस लिया। परिजन उसे लेकर सीएचसी तो पहुंचे, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। मगर इस अंधविश्वास का क्या कहें कि एक तरफ परिजन गंभीर हालत में महिला को जिला अस्पताल लेकर गये जहां उसका इलाज किया गया, मगर दूसरी तरफ परिवार के लोगों ने तांत्रिक को भी बुला लिया। तांत्रिक ने इमरजेंसी के सामने ही झाड़—फूंक शुरू कर दी, जिससे चिकित्सक हैरत में पड़ गए।

जानकारी के मुताबिक बहराइच के रिसिया थाना अंतर्गत बैजनाथपुरवा गांव निवासी अब्दुल खालिक की 45 वर्षीय पत्नी जाकरुकन कल 25 जुलाई की दोपहर में किसी काम से घर से बाहर निकली थी। इसी दौरान सांप ने उसे डस लिया। परिवार के लोग उसे सीएचसी ले गए। यहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला मुख्यालय पर स्थित मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में महिला का इलाज शुरू हुआ। इसी दौरान परिजन झाड़फूंक के लिए तांत्रिक को ले आए।

हैरत की बात तो यह है कि जिंदगी और मौत से लड़ रही महिला का जब इमरजेंसी में डॉक्टर इलाज कर रहे थे तो तांत्रिक के कहने पर परिजनों ने पीड़ित महिला को इमरजेंसी से बाहर निकलवाया और वहीं पर डॉक्टरों के सामने झाड़—फूंक शुरू कर दी। इमरजेंसी के सामने तांत्रिक को झाड़—फूंक करते देख वहां पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी। इस दौरान तांत्रिक ने 10 मिनट तक झाड़फूंक की, जिसके बाद परिजन तांत्रिक पर अंधविश्वास कर महिला को अपने साथ घर वापस ले गये।

सांप काटने के एक अन्य मामले में एमपी के दमोह में 15 जुलाई की रात में जिला अस्पताल के महिला वार्ड में पीड़ित महिला की तांत्रिक ने जमकर झाड़फूंक की। करीब एक घंटे तक अस्पताल में झाड़—फूंक का ड्रामा चलता रहा। इस बीच न तो अस्पताल प्रबंधन ने कोई टोका-टाकी की और न ही पुलिस ने।

हैरानी की बात यह है कि तांत्रिक अपने साथ में एक थाली और पत्थर के टुकड़े लेकर आया था, जो महिला के पीठ पर बड़ी देर तक रखकर घिसता रहा। बटियागढ़ के बछिया निवासी रूप सिंह लोधी की पत्नी त्रिवेणी को 14 जुलाई की रात को घर में सोते समय सांप ने डंस लिया था, हालात बिगड़ने पर त्रिवेणी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालात में सुधार देखते हुए डॉक्टरों ने महिला को वार्ड में शिफ्ट कर दिया था, लेकिन परिजनों को विश्वास नहीं हुआ और वे अपने साथ देर रात 11 बजे झाड़-फूंक कराने वाले तांत्रिक को लेकर पहुंचे और एक घंटे तक झाड़ फूंक करवाया।

से मामले ग्रामीण भारत में अक्सर सामने आते रहते हैं। 2014 में बिहार में गोपालगंज के नगर थाना क्षेत्र कोन्हवा गांव की एक युवती को रात में ही सांप ने डंस लिया था, मगर परिजन बजाय अस्पताल ले जाने के तांत्रिक को बुला उसकी झाड़—फूंक शुरू कर दी। जब तांत्रिक के तंत्र मंत्र के बाद भी युवती की हालत लगातार खराब हुई तब जाकर परिजन अस्पताल की तरफ भागे। मुश्किल से युवती की जान बच पायी।

ह तो कुछ उदाहरण है, न जाने हर रोज ऐसी कितनी घटनायें घटती हैं, जिनमें अंधविश्वास के कारण कई लोग बेमौत काल के गाल में समा जाते हैं, जबकि अगर समय पर उन्हें डॉक्टर का इलाज मुहैया करा दिया जाता तो उनकी जान बच जाती।

गौरतलब है कि ऐसे मामलों में अंधविश्वास और झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ने की सलाह समय समय पर डॉक्टर देते रहते हैं। डॉक्टर साफ—साफ बताते हैं कि सर्पदंश से पीड़ित लोगों को सिर्फ इलाज पर ही भरोसा करना चाहिए। इलाज से ही उनकी जिंदगी बचेगी। झाड़फूंक पर विश्वास करना अंधविश्वास है, मगर लोगों के अंदर अंधविश्वास इस कदर पैठा हुआ है कि उन्हें समझाना बहुत मुश्किल है।

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