Begin typing your search above and press return to search.
समाज

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कैसे माना जाए कि मंदिर के अवशेषों पर बनी थी बाबरी मस्जिद

Prema Negi
17 Aug 2019 2:12 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कैसे माना जाए कि मंदिर के अवशेषों पर बनी थी बाबरी मस्जिद
x

file photo

रामलला विराजमान ने कहा मुसलमानों में किसी भी मानव या जीव-जंतु की कोई तस्वीर एक मस्जिद में नहीं होती, जबकि बाबरी मस्जिद के भीतर की तस्वीरें और मूर्तियाँ यह दर्शाती हैं कि यह सही अर्थों में मस्जिद नहीं थी। ऐसी चीजें आमतौर पर मस्जिदों में नहीं देखी जातीं....

जेपी सिंह की रिपोर्ट

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई के सातवें दिन रामलला विराजमान के वकील ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उच्चतम न्यायालय को बताया कि भारतीय पुरात्तत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के निष्कर्षों से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि विवादित स्थल पर बड़े पैमाने पर मंदिर मौजूद था और मंदिर के ऊपर ही मस्जिद बनाई गई थी।

च्चतम न्यायालय ने हिंदू पक्षकारों से उनके इस दावे का सबूत देने को कहा था कि बाबरी मस्जिद एक प्राचीन मंदिर या हिंदू धार्मिक ढाँचे के अवशेषों पर बनाई गई थी। इस पर रामलला विराजमान ने पुरातत्व विभाग के दस्तावेज़ों को दिखाकर दावा किया कि उस विवादित जगह पर पहले से विशाल राम मंदिर था। अयोध्या ज़मीन विवाद पर रोज़ाना सुनवाई के सातवें दिन शुक्रवार 16 अगस्त को हिंदू पक्षकार रामलला विराजमान सी.एस. वैद्यनाथन के वकील से कोर्ट ने कई सवाल पूछे।

मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ में शामिल डी.वाई. चंद्रचूड़ ने वैद्यनाथन से पूछा कि पिछले दो सदियों में हमने सभ्यताओं को नदी किनारे बसते देखा है। उन्होंने पहले से मौजूद संरचनाओं पर निर्माण किया है, लेकिन यह साबित करें कि कथित रूप से ध्वस्त इमारत (जिस पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी) प्रकृति में धार्मिक थी। संविधान पीठ में शामिल जस्टिस एस.ए. बोबडे ने वैद्यनाथन से कहा कि वह अपनी दलील से यह साबित करें कि ढाँचा एक मंदिर था और वह भी भगवान राम को समर्पित था।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष देवता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने तर्क दिया कि एएसआई ने जो खुदाई की थी, उसमें कहा गया था कि यहां एक विशाल भूमिगत संरचना थी जो इंगित करती है कि वो एक मंदिर था।

वैद्यनाथन ने विवादित ज़मीन के नक्शे और फ़ोटो कोर्ट को दिखाते कहा कि खुदाई के दौरान मिले खम्भों में श्रीकृष्ण, शिव तांडव और श्रीराम के बाल रूप की तस्वीर नज़र आती है। वैद्यनाथन ने नक्शा और रिपोर्ट दिखाकर परिक्रमा मार्ग पर पक्का और कच्चा रास्ता बना था, आसपास साधुओं की कुटियाएँ थीं, सुमित्रा भवन में शेषनाग की मूर्ति मिली। उन्होंने दावा किया कि पुरातत्व विभाग की जनवरी 1990 की जाँच और रिपोर्ट में भी कई तस्वीरें और उनके साक्ष्य दर्ज हैं।

वैद्यनाथन ने कहा कि पक्के निर्माण में जहाँ तीन गुंबद बनाए गए थे, वहाँ बाल रूप में राम की मूर्ति थी। वैद्यनाथन ने कहा कि इस तरह की तस्वीरें इस्लामी प्रथाओं के विपरीत थी। मुसलमानों में किसी भी मानव या जीव-जंतु की कोई तस्वीर एक मस्जिद में नहीं होती है। बाबरी मस्जिद के भीतर की तस्वीरें और मूर्तियाँ यह दर्शाती हैं कि यह सही अर्थों में मस्जिद नहीं थी। ऐसी चीजें आमतौर पर मस्जिदों में नहीं देखी जाती हैं।

न्होंने यह भी कहा कि सिर्फ नमाज़ अदा करने से वह जगह उनकी नहीं हो सकती जब तक वह आपकी संपत्ति न हो, नमाज़ सड़कों पर भी होती है इसका मतलब यह नहीं कि सड़क आपकी हो गई। इस पर सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताते हुए कहा कि कहीं पर भी नमाज़ अदा करने की बात ग़लत है, यह इस्लाम की सही व्याख्या नहीं है।

वैद्यनाथन ने कहा कि पुरातत्व प्रमाणों से पता चलता है कि विवादित स्थल पर एक विशाल संरचना मौजूद थी, जिस पर निर्माण दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के रूप में शुरू हुआ था और पूर्वानुभव यह दर्शाता है कि यह एक राम मंदिर था। इस स्थल पर कोई इस्लामिक कलाकृतियां नहीं मिलीं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि एक कब्र भी मिली है, इसकी क्या व्याख्या की जा सकती है। वैद्यनाथन ने उत्तर दिया कि कब्र बहुत बाद की अवधि की है। उन्होंने खंभे और खंभों पर जानवरों और पक्षियों के चित्रों के बारे में भी पीठ को बताया।

स्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये पशु पक्षी हैं और इन्हें धर्म को जोड़ने के लिए कुछ भी नहीं है। वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि 'ये पुरातत्वविदों द्वारा की गई व्याख्याएं हैं। अप्रैल 1950 में विवादित क्षेत्र का निरीक्षण हुआ तो कई पक्के साक्ष्य मिले, जिसमें नक्शे, मूर्तियां, रास्ते और इमारतें शामिल हैं। परिक्रमा मार्ग पर पक्का और कच्चा रास्ता बना था। आसपास साधुओं की कुटियाएं थीं। पुरातत्व विभाग की जनवरी 1990 की जांच और रिपोर्ट में भी कई तस्वीरें और उनका साक्ष्य दर्ज है।'

च्चतम न्यायालय सोमवार 19 अगस्त को फिर से इस मामले की सुनवाई जारी रखेगा।

Next Story

विविध