एक साल से संघर्षरत भगवती-माइक्रोमैक्स मज़दूरों की ललकार सभा, गैरकानूनी छंटनी-बंदी खत्म करने की उठी मांग
श्रमिकों ने कहा आज कंपनियों का यह धंधा बन गया है कि सब्सिडी और टैक्स की छूट का लाभ उठाकर मज़दूरों के पेट पर लात मारकर एक से दूसरे राज्य पलायन कर जाना, माइक्रोमैक्स हो या सितारगंज की एमकोर, मज़दूर इसी षडयंत्र का बने हैं शिकार...
पंतनगर, जनज्वार। भगवती प्रॉडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) में श्रमिकों की गैरकानूनी छंटनी-बंदी के एक साल पूरा होने पर कल 27 दिसंबर को कंपनी गेट पर मज़दूरों ने जोरदार ’ललकार सभा' की और रैली की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद कंपनी गेट सिडकुल से श्रम भवन तक रैली निकलकर संघर्ष के जज्बे का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में सिडकुल के मज़दूरों ने भरपूर भागीदारी की।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि एक साल से मज़दूरों का संघर्ष जारी है, लेकिन सरकार व सरकारी विभाग कान में तेल डालकर बैठे हैं। फिर भी मज़दूर मोर्चे पर डटे हैं और वे अपने संघर्ष को और भी ज्यादा मजबूती से आगे बढ़ाएंगे, लड़ेंगे और अपना हक लेकर रहेंगे।
मज़दूर नेताओं ने कहा कि आज कंपनियां सरकारी सब्सिडी और टैक्स की छूट का लाभ उठाकर मजदूरों के पेट पर लात मार कर राज्य से भाग रही हैं। आज कंपनियों का यह धंधा बन गया है कि सब्सिडी और टैक्स की छूट का लाभ उठाकर मज़दूरों के पेट पर लात मारकर एक से दूसरे राज्य पलायन कर जाना। माइक्रोमैक्स हो या सितारगंज की एमकोर, मज़दूर इसी षडयंत्र का शिकार बने हैं।
वक्ताओं ने कहा कि श्रम विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस और राज्य सरकार खुलकर मालिकों के पक्ष में खड़ी हैं। उल्टे मज़दूरों को डराने के लिए उनपर फर्जी मुक़दमे लगाना उनका हथकंडा है। आज की रैली की अनुमति ना देना इसका उदहारण है। मज़दूरों की दृढ़ता को देखते हुए पुलिस ने बाज़ार तक तो रैली नहीं निकालने दी, लेकिन मज़दूरों ने श्रम भवन तक रैली निकाली।
इस अवसर पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियो ने कहा कि मोदी सरकार मालिकों के हित में श्रम क़ानून को बदल रही है, इससे मालिकों के हौसले बुलंद हैं। दूसरी ओर नागरिकता बिल, नागरिकता रजिस्टर आदि के नाम पर साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करके मज़दूरों को बांटने का खेल भी तेज हो गया है। मज़दूर आन्दोलन के सामने यह बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए व्यापक एका के साथ जुझारू संघर्ष खड़ा करना होगा।
कार्यक्रम के दौरान मज़दूर वर्ग पर बढ़ाते हमलों के खिलाफ 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का भी आह्वान हुआ।
गौरतलब है कि 27 दिसंबर 2018 से माइक्रोमैक्स प्रबन्धन ने 303 मज़दूरों की गैरकानूनी छंटनी कर दी थी। कंपनी के बाकी बचे 47 मज़दूरों को गैरकानूनी ले-ऑफ के बहाने गेटबन्दी भी जारी है, जबकि यूनियन अध्यक्ष सूरज सिंह बिष्ट को गैरकानूनी रूप से निलंबित कर रखा है। यह सब श्रम विभाग और प्रशासन की मिलीभगत का परिणाम है। इस अन्याय के खिलाफ एक साल से भयानक ठंड, गर्मी व बारिश को झेलते हुए माइक्रोमैक्स के मज़दूर संघर्षरत हैं। इस दौरान कंपनी गेट पर धरना और क्रमिक अनशन लगातार जारी है। साथ ही उच्च न्यायालय, नैनीताल और औद्योगिक न्यायाधिकरण में कानूनी लड़ाई भी जारी है।
इस कार्यकम में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के दिनेश तिवारी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के दिनेश भट्ट, मज़दूर सहयोग केंद्र के मुकुल, यूकेडी के जिला अध्यक्ष आनंद सिंह असगोला, महामंत्री मोहन चंद्र, तराई मंडल अध्यक्ष भानु प्रताप मेहरा, ऑटो लाइन यूनियन के पूर्व अध्यक्ष/उत्तराखंड क्रांतिकारी दल के उत्तम सिंह बिष्ट, राकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ के गोविंद सिंह, इंट्रार्क मज़दूर संगठन के दलजीत सिंह, ब्रिटानिया से रेनू भट्ट, गुजरात अंबुजा सितारगंज से रामनरेश शर्मा, वोल्टास एंप्लाइज यूनियन के नन्दलाल, नेस्ले कर्मचारी संगठन के चन्द्र मोहन लखेडा, एलजीबी वर्कर्स यूनियन के ललित सिंह, रूप पॉलीमर्स से राहुल, सुप्रीम ऑटो से विनोद शर्मा, एडविक श्रमिक संगठन से आनंद, बजाज इम्पलाइज यूनियन से चन्दन आदि ने संबोधित किया। संचालन नंदन सिंह ने की।