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अमीरों के फैलाये प्रदूषण की मार झेल रहे गरीब, दिल्ली—एनसीआर में हजारों मजदूरों के परिवार पहुंचे भुखमरी की कगार पर
प्रदूषण के कारण सांस सबंधित बीमारियां लगातार बढ़ रही है.घर के बच्चों के साथ बूढ़ों को भी सांस लेने में सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है. सरकार हम मजदूरों के लिए कुछ नहीं कर रही है...
जनज्वार, दिल्ली। प्रदूषण ने दिल्ली की हवा को ज़हर बना दिया है. हालत ऐसी कि दिल्ली में स्वास्थय का आपातकाल लगाना पड़ा पिछले तीन दिनों में दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 1000 से ऊपर चला गया था. इस हवा की गुणवत्ता को सीवर की श्रेणी में रखा जाता है. दिल्ली की हवा को खराब करने में पराली जलाने के अलावा फैक्ट्री और गाड़ियों से निकलने वाले धुए का भी योगदान है. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट और पीएमओ ने राज्य सरकारों को पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए थे. कोर्ट ने कहा कि, जो किसान पराली जलाते हुए मिलता है उसके ऊपर सख्त जुर्माना लगाया जाए.
अमीरों के द्वारा फैलाए गए प्रदूषण की मार गरीब और मजदूर व्यक्ति को झेलनी पड़ रही है. इसी को लेकर जनज्वार ने गाजियाबाद के कांशीराम कॉलोनी का दौरा किया इस कॉलोनी में वह लोग रहते है जो मजदूर है और जिनका प्रदूषण को फैलाने में कोई योगदान नहीं रहता है लेकिन फिर भी प्रदूषण की सबसे ज्यादा मार ये मजदूर ही झेलते है.
इसी को लेकर बिहार से आए हिंमाशु कहते है कि, 'दिल्ली समेत पूरे गाजियाबाद में प्रदूषण का कारण सड़कों पर चलने वाली गाड़ियो का है. इस समय जब हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो गई है तो सभी गाड़ियों को बंद कर के केवल ई रिक्शा, मेट्रों और रेल को चलाना चाहिए। हिंमाशु बताते है कि प्रदूषण के कारण हम जैसे मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है अमीर लोग सिर्फ धुए को फैला रहे है
प्रदूषण के मुद्दे पर रमेश नाम के एक मजदूर बताते है कि, 'गरीब आदमी कहीं से भी प्रदूषण नहीं फैलाता है वह कहते है कि अमीर आदमी छोटे से छोटा काम करने के लिए पैदल चलने की जगह गाड़ी का इस्तेमाल करता है और गरीब के पास तो ऐसा कोई साधन भी नहीं है जिसके कारण प्रदूषण फैलता हो.
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बिहार से आए चंदू बताते है कि, 'किसान और गरीब को हर जगह बदनाम किया जाता है और गरीब हर जगह पर मारा जाता रहा है. चाहे वह नोटबंदी हो या प्रदूषण हर चीज से गरीब ही परेशान है अमीर आदमी तो पैसा कमा कर बड़ी बिल्डिंग में रहता है. लेकिन एक गरीब को प्रदूषित हवा में रहने के लिए भी कोई छत नहीं है. ऊपर से प्रदूषण के कारण फैक्ट्रियों में काम भी बंद हो गया है जिस कारण हम लोगों को रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है पिछले चार दिनों से राशन पानी के लिए हम लोगों के पास पैसे नहीं है. सरकार भी हम लोगों के लिए कुछ नहीं कर रही है.
कांशीराम कॉलोनी में रहने वाली एक हेमा नाम की महिला बताती है कि, ' प्रदूषण के कारण सांस सबंधी बीमारियां लगातार बढ़ रही है.घर के बच्चों के साथ बूढ़ों को भी सांस लेने में सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है. हमारे इलाके मे प्रदूषण के साथ साफ सफाई की हालात भी काफी बदतर है जिसके कारण बुखार, हैजा जैसी बीमारी के मरीज इलाके में लगातार बढ़ रहे है.