हिजबुल मुजाहिद्दीन के शीर्ष कमांडर ने बनाया टीआरएफ, अब हिजबुल और टीआरएफ के बीच छिड़ेगा संघर्ष
'तहरीक ए पीपुल्स पार्टी' ने शुक्रवार को एक पोस्टर जारी किया था, जिसमें दावा किया गया कि इसके ऑपरेशनल कमांडर अब्बास ने हिजबुल मुजाहिदीन छोड़ दिया है, क्योंकि वह कश्मीरी पुलिसकर्मियों और नागरिकों को मारने के लिए हिजबुल की नीति से असहमत था...
आरती टिकू सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी संगठनों के बीच एक नया युद्ध छिड़ गया है। इसमें नया संगठन 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ), जिसे लश्कर-ए-तैयबा का मोर्चा कहा जाता है, और हिजबुल मुजाहिदीन शामिल है। आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि हिजबुल मुजाहिद्दीन के शीर्ष कमांडर अब्बास शेख ने संगठन छोड़कर टीआरएफ का दामन थाम लिया है।
'तहरीक ए पीपुल्स पार्टी' ने शुक्रवार कौथ से लिखा हुआ एक पोस्टर जारी किया था, जिसमें दावा किया गया कि इसके ऑपरेशनल कमांडर अब्बास ने हिजबुल मुजाहिदीन छोड़ दिया है, क्योंकि वह कश्मीरी पुलिसकर्मियों और नागरिकों को मारने के लिए हिजबुल की नीति से असहमत था।
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खुफिया सूत्रों ने बताया कि अब्बास टीआरएफ से जुड़ने के बाद हिजबुल और सुरक्षाकर्मी दोनों से बचने के लिए पूरी तरह से अंडरग्राउंड हो गया है। सूत्रों ने कहा कि अब्बास के 12 सक्रिय सदस्य हो सकते हैं, वहीं उसके जमीनी कार्यकर्ता (ओजीडब्ल्यू) भी हो सकते हैं, हालांकि उनकी संख्या अज्ञात है।
उन्होंने आगे लिखा, 'हिजबुल को समझना चाहिए कि हमारी लड़ाई इंडियन ऑक्यूपेशनल फोर्स और इंडियन ऑक्यूपेशन के साथ है, न कि कश्मीरी लोगों के साथ, क्योंकि वे हमारे अपने लोग हैं और हम उनकी मदद के बिना ऑक्यूपेशनल फोर्स से नहीं लड़ सकते हैं। हमें लगा था कि हम साथ मिलकर ऑक्यूपेशनल फोर्स से लड़ेंगे, लेकिन यह हमारी बहुत बड़ी गलती थी।'
बयान में आगे कहा गया है, 'कमांडर अब्बास भाई हिजबुल छोड़ चुके हैं, क्योंकि वे भी कश्मीरी पुलिस और नागरिकों को मारने के खिलाफ थे। अब अब्बास भाई हमारे साथ हैं और जो भी हमारे कश्मीरी लोगों को नुकसान पहुंचाएगा, हम उससे लड़ेंगे। हिजबुल को आखिरी चेतावनी। हमें कड़ा रुख अपनाने के लिए मजबूर न करें। इसके बाद चेतावनी नहीं दी जाएगी, सीधे कार्रवाई होगी।'
हाल ही में कश्मीर हिजबुल के प्रमुख रियाज नाइकू ने आतंकवादी संगठनों की श्रेणी के भीतर विभाजन के अफवाहों को खारिज कर दिया था, साथ ही दावा किया था कि सभी आतंकवादी संगठन एकमत थे और वे एक साथ भारत के खिलाफ इस्लामी युद्ध में शामिल हैं।
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सूत्रों का कहना है कि आतंकवादियों के समूह से अलग होने के बाद नाइकू पाकिस्तान में हिजबुल के हाई कमान सैयद सलाहुद्दीन से बहुत खुश नहीं है। नाइकू ने एक बयान जारी कर भारत द्वारा पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का विशेष का दर्जा रद्द किए जाने के बाद सलाहुद्दीन पर 'नरम' होने का आरोप लगाया है।
एक शीर्ष सूत्र ने कहा, 'हिजबुल को पाकिस्तान में पहले की तरह अहमियत नहीं मिल रही है। संगठन को सिर्फ राजनीतिक स्कोर के साथ समझौता करने के लिए यह कहकर घटाया गया है कि उनके कैडर बीमार और कम प्रशिक्षित हैं।'
सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि टीआरएफ का निर्माण पाकिस्तान की सेना और आईएसआई द्वारा किया गया था, ताकि वे कश्मीर में घरेलू आतंकवाद को बढ़ावा दे सकें। ऐसा इसलिए कि उन पर फाइनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ), जो आतंकवाद फंडिंग पर निगरानी रखने वाली एक वैश्विक संस्था है, का दवाब था।
भारतीय जांच एजेंसियों ने पिछले महीने कश्मीर में टीआरएफ के अस्तित्व का पता लगाया था, जब सुरक्षा बलों ने उनके छह सदस्यों को भारी मात्रा में हथियारों और गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार करके उनके संगठन के एक प्रमुख मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया था। वहीं टीआरएफ के चार आतंकवादी सोपोर जिला अस्पताल में हथियारों की अवैध खेप की डिलीवरी के दौरान पकड़े गए थे।
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पूछताछ के दौरान आतंकवादियों ने खुलासा किया कि वे टेलीग्राम पर 'एंड्रयू जोन्स' नाम से एक पाकिस्तान स्थित व्यक्ति के तहत काम कर रहे थे, जिसकी व्हाट्सएप आईडी 'खान बिलाल' की थी। उन्होंने यह भी बताया कि जोन्स एक नवगठित आतंकवादी संगठन टीआरएफ का संचालन कर रहा था।
जांचकर्ताओं ने टीआरएफ को प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ा है, जिसके प्रमुख 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद है।