निर्भया केस में केंद्र की याचिका लंबित रहने के बावजूद जारी हो सकता है बलात्कार दोषियों का डेथ वॉरंट : सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने कहा निर्भया बलात्कार और हत्या मामले में दोषियों को डेथ वारंट जारी करने के लिए केंद्र की याचिका नहीं है कोई बाधा, ट्रायल कोर्ट जारी कर सकता है फांसी का आदेश...
जेपी सिंह की टिप्पणी
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने संबंधी केंद्र की याचिका लंबित रहने का ट्रायल कोर्ट द्वारा फांसी के लिए नया डेथ वॉरंट जारी करने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। शुक्रवार 14 फरवरी को अदालत ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की कोई याचिका लंबित नहीं है। राष्ट्रपति तीन दोषियों की दया याचिका खारिज कर चुके हैं और चौथे ने अब तक इसे दाखिल नहीं किया है इसलिए ट्रायल कोर्ट फांसी के लिए नई तारीख तय कर सकता है।
जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के 17 फरवरी को दिए आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी से रोक हटाने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इस तरह की याचिकाएं लंबित रहने को ट्रायल कोर्ट के फैसले में बाधा नहीं माना जा सकता। अदालत अपने विवेक से इस पर फैसला ले सकती है।
केंद्र की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोषी विनय शर्मा की तरफ से राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में लंबित थी। इस वजह से ट्रायल कोर्ट ने फांसी की नई तारीख जारी करने के लिए तिहाड़ प्रशासन की याचिका पर 13 फरवरी को सुनवाई स्थगित कर दी थी।
कोर्ट ने इस पर 17 जनवरी को सुनवाई करने की बात कही थी। इस पर पीठ ने कहा- रेप और हत्या के दोषी विनय की याचिका खारिज की जा चुकी है। अब ट्रायल कोर्ट इस मामले में कार्रवाई कर सकता है।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अदालत से कहा कि दया याचिका दाखिल करने के बाद, तीन दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुके हैं। चौथे दोषी पवन गुप्ता (25) ने अब तक क्यूरेटिव या दया याचिका दाखिल नहीं की है। मेहता ने कहा कि उन्हें लगता है कि 17 फरवरी को जब मामला ट्रायल कोर्ट के सामने आएगा, तो उच्चतम न्यायालय में एक और रिट पिटीशन फाइल हो जाएगी।
सॉलिसिटर जनरल की दलील पर पीठ ने कहा कि किसी को कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने से नहीं रोका जा सकता। मेहता ने कहा कि अनुच्चेद 21 (जीवन का अधिकार) बेहद महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, लेकिन इसे कानून से खिलवाड़ करने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस पर पीठ ने कहा कि चूंकि ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई 17 फरवरी को होनी है, इसलिए बेहतर होगा कि यह अदालत उसके फैसले का इंतजार करे। उच्चतम न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी के लिए तय कर दी।
सुनवाई के दौरान बेहोश हुईं जस्टिस आर भानुमति
इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने दया याचिका पर राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली दोषी विनय शर्मा की पिटीशन खारिज कर कर दी। इसके बाद, निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस आर भानुमति बेहोश हो गईं। डायस पर बैठे अन्य जज और स्टाफ की मदद से उन्हें तुरंत उनके चेंबर में ले जाया गया। इसके बाद सुनवाई स्थगित करते हुए बेंच ने कहा कि इस पर आदेश बाद में जारी किया जाएगा।
जस्टिस आर. भानुमति को तेज बुखार था। चैंबर में डॉक्टरों ने उनकी जांच की। दलीलें सुनते वक्त भी उनकी तबियत खराब थी और वे दवाइयां ले रही थीं। इलाज के बाद जस्टिस भानुमति को होश आ गया। इससे पहले दोषी विनय शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि राष्ट्रपति ने विनय की याचिका खारिज करने से पहले उसकी मेडिकल रिपोर्ट समेत सभी पहलुओं और दस्तावेजों का अध्ययन किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने विनय के मनोरोगी होने के दावे को भी खारिज कर दिया। अदालत ने कहा- दोषी की सामान्य मेडिकल कंडीशन दिखाती है कि वह मानसिक रूप से सामान्य है।
गौरतलब है कि सबसे पहले निर्भया के दोषियों की फांसी की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी। इसे 17 जनवरी को आगे बढ़ा दिया गया और अगला डेथ वॉरंट 1 फरवरी का जारी किया गया। ट्रायल कोर्ट ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक इस पर रोक लगा दी थी। 11 फरवरी को तिहाड़ जेल ने ट्रायल कोर्ट में एक स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की थी। इसमें प्रशासन ने कहा था कि मुकेश, पवन, विनय और अक्षय द्वारा बीते सात दिनों में किसी भी लीगल ऑप्शन को तवज्जो नहीं दी गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 5 फरवरी को कहा था कि निर्भया के चारों दुष्कर्मियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि दोषी को 7 दिन में अपने सभी कानूनी विकल्प पूरे करने होंगे। अब तक दोषी पवन ने क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का इस्तेमाल नहीं किया है। 31 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।