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सख्ती का सच! सीमाएं सील फिर भी 38 खूंखार बदमाश 'गायब'
फरार बदमाशों में दो श्रेणी के अपराधी शामिल हैं। एक तो वे जो 'कोरोना' के संक्रमण से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर जेलों से बाहर निकाले गये थे। दूसरी वे जो जमानत पर जेल से बाहर थे...
संजीव कुमार सिंह चौहान की रिपोर्ट
गौतमबुद्ध नगर, जनज्वार: शहर (जिले) की सीमाएं सील हैं। पड़ोसी जिले या राज्य से परिंदा पर नहीं मार सकता। जिले की सीमा से बाहर बिना 'कर्फ्यू-पास', किसी को पांव रखने की इजाजत नहीं है। इन तमाम अभेद्य सुरक्षा इंतजामों को बदमाशों ने मगर भेद दिया। नतीजा गौतमबुद्ध नगर जिले से 38 खूंखार अपराधी चंपत हो गये। अब पुलिस टीमें इनकी तलाश में छापेमारी कर रही हैं।
फरार दर्ज किये गये बदमाशों में दो श्रेणी के अपराधी शामिल हैं। एक तो वे जो 'कोरोना' के संक्रमण से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर जेलों से बाहर निकाले गये थे। दूसरी श्रेणी के गायब अपराधियों में वे शामिल हैं, जो जमानत पर जेल से बाहर थे। जिनका आपराधिक इतिहास लूटपाट से लेकर झपटमारी-चोरी-सेंधमारी-जेबतराशी तक में रहा है। फिलहाल इन दोनों ही श्रेणियों में जिले की सीमा से गायब बदमाशों की कुल संख्या 38 मिली है। जोकि एक बड़ी तादाद कही जा सकती है।
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फिलहाल इन फरार बदमाशों/अपराधियों की तलाश के लिए गौतमबुद्ध नगर जिले के तेज-तर्रार पुलिस आयुक्त आलोक सिंह मातहतों को दो टूक सख्त लहजे में बता-समझा दिया है। इसके लिए शुक्रवार को पुलिस आयुक्त ने, जिले के एडिश्नल पुलिस कमिश्नर, तमाम जोन डीसीपी, एसीपी के साथ एक समीक्षा बैठक भी की। समीक्षा बैठक का मुख्य उद्देश्य यही था कि, फरार अपराधियों को जल्दी से जल्दी दबोचा जाये। वरना लॉकडाउन के दरमियान या फिर लॉकडाउन खुलते ही यह सब आमजन और कानून व्यवस्था के लिए कहीं सिरदर्द न बनना शुरू हो जायें।
आईएएनएस को जिला पुलिस आयुक्त कार्यालय से हासिल आंकड़ों के मुताबिक, "फरार अपराधियों में कई ऐसे भी हैं, जो हाईवे लूटपाट कांडों में भी संलिप्त रहे थे।" जानकारी के मुताबिक, जिला जेल से कोरोना संक्रमण के चलते भीड़ कम करने के लिए 165 कैदियों को अस्थाई रुप से (पैरोल) रिहा किया गया था। पुलिस आयुक्त की समीक्षा बैठक में यह बात खुली कि, इनमें से 15 आरोपी अपने अपने दर्ज पतों से गायब हैं। जबकि 165 में से 147 जेल और पुलिस को दिये पते-ठिकानों पर ही मिल गये। जबकि इन 165 में तीन अपराधी ऐसे भी मिले जिन्हें जेल से रिहा किये जाने के बाद दुबारा जेल में भेजा जा चुका था।
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इसी तरह पुलिस आयुक्त की समीक्षा बैठक में ही इस बात से भी परदा उठा कि, जिले में लूट के अपराधों में 98 बदमाश संलिप्त थे। जिसमें से 41 अपराधी जो जमानत पर बाहर आये हुए हैं, अपने पते-ठिकाने पर मौजूद मिले। जबकि 31 अपराधी जेल में बंद मिले। इस श्रेणी में 23 मुलजिम अपने सरकारी रिकार्ड में दिये दर्ज पते से गायब मिले।
समीक्षा बैठक में मौजूद हर जोन के डीसीपी या फिर एसीपी ने अपने अपने क्षेत्र के अपराधियों का चिट्ठा जब पेश किया, तो पता चला कि, नोएडा जोन में 23 कैदी पैरोल पर जेल से बाहर आये थे। इनमें से तीन गायब हैं। जबकि 2 को पुलिस ने बाहर आते ही दुबारा जेल में भेज दिया। जबकि इस जोन में लूट के अपराधों में संलिप्त कुल 37 अपराधियों की समीक्षा के दौरान पता चला कि, इन 37 में से 10 अपने ठिकाने से ही गायब हैं। इनमें से तीन अपराधियों पर जिला बदर की कार्यवाही भी पुलिस कर चुकी है।
कमोबेश यही आलम नोएडा सेंट्रल जोन का देखने को मिला। यहां पैरोल पर जेल से बाहर आये 24 में से 7 कैदी गायब पाये गये। जबकि लूट की वारदातों में संलिप्त 26 में से 14 बदमाश जेल में बंद पाये गये। 9 बदमाश इस जोन में भी अपने दिये गये पते से गायब मिले।
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ग्रेटर नोएडा जोन में सबसे ज्यादा 118 अपराधियों को कोरोना संक्रमण से बचाव की प्रक्रिया के तहत जेल से पैरोल पर छोड़ा गया था। इनमें से 5 आरोपी फरार मिले। जबकि 112 अपने पते-ठिकाने पर पुलिस की छानबीन में मिल गये। यहां लूट के मामलों में संलिप्त 35 में से चार अपराधी घरों से गायब मिले। इस बाबत समीक्षा बैठक में मौजूद संबंधित जोन के अफसरों को पुलिस आयुक्त आलोक सिंह ने दो टूक जल्दी से जल्दी तलाशने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि, जो-जो फरार बदमाश हाथ आता जाये, उसे उसका पैरोल बीच में ही खत्म कराके कानूनी प्रक्रिया पूरी कर दुबारा तुरंत सलाखों में डाला जाये।
शुक्रवार देर रात पूछे जाने पर गौतमबुद्ध नगर जिला पुलिस मीडिया सेल प्रभारी पंकज कुमार ने भी इन आंकड़ों की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, "यह तमाम तथ्य पुलिस आयुक्त द्वारा बुलाई गयी समीक्षा बैठक में निकल कर सामने आये थे।"