मध्य प्रदेश में 30 दिनों में 20 किसानों ने की आत्महत्या, शिवराज के जिले में 10 की गिनती पार
हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर किसान आंदोलन को अफीमचियों और कांग्रेस की कारस्तानी का नतीजा बताया था, लेकिन हाल सामने है और साहब को शर्म नहीं आई।
जनज्वार। चार दिन पहले दैनिक भास्कर से बातचीत में शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मंदसौर आंदोलन बुनियादी तौर पर उन लोगों ने फैलाया था जो सरकार को बदनाम और प्रशासन को मुश्किल में लाना चाहते थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने दोटूक बोला कि आंदोलन अफीम माफियाओं और कांग्रेस के चंद नेताओं द्वारा नियंत्रित किया गया था।
ऐसे में सवाल यह है कि पिछले 30 दिनों में जिन 20 किसानों ने आत्महत्या की है क्या उन्होंने भी अफीम माफियाओं के कहने और कांग्रेसी नेताओं के उकसाने पर अपने लिए मौत चुनी है। या फिर मुख्यमंत्री के गृह जनपद में पिछले 30 दिनों में जिन 10 किसानों ने आत्महत्या की है क्या उन्हें भी कांग्रेसी क्लास लेकर भड़का रहे हैं।
हालत यह है कि प्रदेश में किसान आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिवराज के गृह जनपद में आज फिर एक किसान ने मौत को गले लगा लिया। राइटर न्यूज एजेंसी में कार्यरत राज पाटीदार ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा है,
'मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के दुपाडिया गांव के किसान सूरज सिंह गुर्जर ने अपने ही खेत में फांसी लगाकर की आत्महत्या। किसान कर्ज से परेशान था और उस पर 2.50 का लाख का कर्ज था। अब तक मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में 10 किसान ख़ुदकुशी कर चुके हैं।'
बुंदेलखंड में लगातार किसान मसलों को लेकर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित के मुताबिक,
'यह आत्महत्या नहीं किसान का मर्डर है। मध्य प्रदेश में किसान आन्दोलन से अब तक यह 20 वें किसान की आत्महत्या है।'
गौरतलब है किसान संगठनों ने 6 जुलाई को मंदसौर से 'किसान मुक्ति यात्रा' शुरू करने की घोषणा की है। ऐसे में फिर एक बार मध्य प्रदेश किसान आंदोलन का केंद्र बन सकता है और सरकार को किसानों को लेकर अपनी असंवेदनशीलता व्यापक विरोध के रूप में झेलनी पड़ सकती है।