सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड कर रहा #GDPkeBureDin, लोग बोले भाजपा का नौकरी मुक्त भारत और पकौड़ायुक्त भारत का सपना हो गया पूरा
असफल मोदीनॉमिक्स और पकोड़ा इकोनॉमिक विजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गहरे आर्थिक मंदी में डुबो दिया है...
जनज्वार। देश की अर्थव्यवस्था 6 साल बाद एक बार फिर सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। जीडीपी 4.5 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर पहुंची गयी है। जीडीपी के इतने बुरे हाल को देखते हुए सोशल मीडिया खासकर ट्वीटर पर लोग इसे लेकर खासी चिंता व्यक्त कर रहे हैं और मोदी शासन को कोस रहे हैं।
सपा विधान परिषद सदस्य सुनील सिंह यादव ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा है, 'तो #GDPgrowth का मानक बदलने, आकंड़े छुपाने के बाद भी मोदी सरकार देश की बर्बाद हो रही अर्थव्यवस्था का सच नहीं छिपा सकी। विकास दर 6 साल पीछे पहुंच गई है, तेजी से बढ़ती इकोनोमी तेजी से गिरती इकोनोमी में बदल गई है। #जुमलानामिक्स के विनाशकारी परिणाम दिखने लगे हैं।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया है, 'असफल मोदीनॉमिक्स और पकोड़ा इकोनॉमिक विजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गहरे आर्थिक मंदी में डुबो दिया है। कई रेटिंग एजेंसियों के रूप में वर्ल्ड बैंक, IMF, मूड्स, फिच, RBI, SBI ने भी इसकी भविष्यवाणी कर दी थी। अब जीडीपी ग्रोथ क्वार्टर 2 में 4.5% के ऐतिहासिक निम्न स्तर तक गिर गया है, जो पिछले 6 सालों के दौरान सबसे खराब स्थिति है।'
हालांकि गिरती जीडीपी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पहले ही कह चुके हैं कि अर्थव्यवस्था को रंगीन सुर्खियों से मैनेज नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील जयवीर शेरगिल ने ट्वीट किया है, अब टैक्स का आतंक और भय के वातावरण को देखें जब उनकी नाव डूब रही है और घर में आग लगी हुई है। मगर कॉर्पोरेट इंडिया आर्थिक संकट पर काफी हद तक चुप है। भाजपा का प्रोजेक्ट 'नौकरीमुक्त भारत' और 'पकौड़ा युक्त युवा' पूरा होने की कगार पर लग रहा है।'
वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा ने ट्वीट कर चुटकी ली है, 'सुनिए सरकार। Economy की बोले तो वाट लग गयी।'
वेस्ट बंगाल कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, 'मोदी-शाह की जोड़ी के लिए "अच्छे दिन" का परिणाम पूरे देश के लिए #GDPkeBureDin हैं। राष्ट्रीय आर्थिक विकास नये निम्न स्तर पर है, लेकिन सरकार हैरानी जता रही है।'
गौरतलब है कि जीडीपी इतनी बुरी स्थिति में तब पहुंची है जबकि प्रधानमंत्रीModi मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण के कुछ दिन बाद कहा था कि हम देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर कर देंगे, मगर जिस तरह से देश की आर्थिक वृद्धि में गिरावट का सिलसिला जारी है, उससे यह मुंगेरीलाल के हसीन सपनों की तरह ही लगता है।
विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर मात्र 4.5 प्रतिशत पर रह गई, जोकि पिछले छह साल के न्यूनतम स्तर है।
आर्थिक विश्लेषक कहते हैं भारत के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य नौ साल दूर है, अगर जीडीपी विकास दर 4.5% रही तो धीमी गति से भारतीय अर्थव्यवस्था विकसित होगी।