केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान स्वीकार किया कि राज्यों में मौजूद प्रवासी मजदूरों का संयम खत्म हो गया था और वो अपने घरों के लिए पैदल चल दिए। इस संकट के दौरान कुछ अवांछित हादसे भी हुए....
जनज्वार ब्यूरो। कोविड 19 लॉकडाउन के दो महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का प्रवासी मजदूरों को लेकर बयान सामने आया है। शाह ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा कि मजदूरों का संयम खत्म हो गया था इसलिए वो पैदल चल दिए थे।
बता दें कि 25 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के मात्र चार घंटे बाद ही पूरे देश को लॉकडाउन किया गया था। इससे अपने घरों को छोड़कर दूसरे राज्यों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर फंस गए थे। उन पर आजीविका का संकट आया तो पैदल ही अपने गृहराज्यों की ओर पैदल ही निकल पड़े थे।
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शाह ने कहा कि जो मजदूर अपने राज्य लौटना चाहते थे, उनके लिए सरकार ने ट्रांसपोर्ट का इंतजाम किया। उन्होंने आगे कहा, 'हमने बस शुरू की जिससे इन मजदूरों को रेलवे स्टेशन पहुंचाया गया और फिर वहां से वो अपने घर जा सके।'
केंद्रीय गृहमंत्री ने आगे कहा कि ये सच है कि ऐसी कुछ घटनाएं हुई हैं, जो नहीं होनी चाहिए थीं। ये सब 5-6 दिन के लिए हुआ। इसके बाद हमने सुविधाएं दिन और लोगों ने उसे समझना शुरू किया। अब तक केंद्र ने राज्यों को प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था करने के लिए 11,000 करोड़ दिए हैं। 41 लाख मजदूर बसों के जरिए और 55 लाख को ट्रेनों के जरिए घर भेजा गया है।
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लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'भारत के 130 करोड़ लोग ही उनकी ताकत है और अगर ये लोग विदेशी सामान न खरीदें तो अर्थव्यवस्था में उछाल देखने को मिलेगा।' शाह ने हर भारतीय से स्थानीय सामान इस्तेमाल करने को कहा। शाह ने कहा, 'पीएम मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' को समर्थन दें। आत्मनिर्भर भारत पैकेज अर्थव्यवस्था ठीक करने में मदद करेगा।'