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संस्कृति

कश्मीर से जुड़ी ईसा मसीह के जीवन की अनसुलझी पहेली!

Janjwar Team
10 April 2020 4:49 PM IST
कश्मीर से जुड़ी ईसा मसीह के जीवन की अनसुलझी पहेली!
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कई लोगों का यह दावा है कि ईसा मसीह सूली पर चढ़ाए जाने के बाद बच गए थे और कश्मीर में आकर रहने लगे थे.

बलविंदर कौर 'नंंदनी'

ईसा मसीह का जीवन अनोखी घटनाओं से भरा हुआ है. 33 साल की उम्र में आज ही के दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था. इस दिन को गुड फ्राइडे, होली फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है.

ईसाई धर्म की मान्यता है कि सूली पर चढ़ाए जाने के तीसरे दिन (रविवार) यीशू जी उठे थे और इस दिन को वह ईस्टर के तौर पर मनाते हैं. बता दें कि ईसाई मत के मुताबिक यीशू धरती पर 40 दिन तक रहे और इसके बाद वह स्वर्ग चले गए.

लेकिन यीशू के जीवन से जुड़ा एक दावा ऐसा भी है जिस पर पिछले सौ सालों से भी ज्यादा समय से बहस होती आई है.

दरअसल कई लोगों का यह दावा है कि ईसा मसीह सूली पर चढ़ाए जाने के बाद बच गए थे और कश्मीर में आकर रहने लगे थे. दरअसल श्रीनगर के रौजाबेल में एक मकबरा है जिसे लेकर कुछ लोग यह दावा करते हैं यह जीसस का मकबरा है.

बीबीसी के चैनल ने हिडन स्टोर ऑफ जीसस के नाम से बनाई एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म में भी इस संभावना को पेश किया है. हालांकि अधिकारिक तौर पर यह माना जाता है रौजाबेल वाली यह मजार एक मध्यकालीन मुस्लिम उपदेशक यूजा आसफ का मकबरा है. एक थ्योरी यह भी कहती है कि यूजा आसफ ही यीशू हैं.

जो लोग जीसस के कश्मीर में आने की बात को खारिज करते हैं वे कहते हैं कि यह अफवाह स्थानीय दुकानदारों द्वारा फैलाई गई है जिससे की उनकी दुकानें चल और विदेशी पर्यटक यहां अधिक से अधिक पहुंच सके.

भारत के प्रसिद्ध दार्शनिक ओशो ने भी एक जगह इस दावे का समर्थन किया है. 'बियोन्ड साइक्लोजी' नाम की किताब में ओशो ने कहा है- ईसा ही नहीं बल्कि मूसा भी भारत आए थे और दोनों की कब्र कश्मीर में मौजूद हैं. ओशो का कहना है वह खुद यह कब्रें अपनी आंखों से देख चुके हैं. हालांकि ओशो दावा करते हैं कि ये दोनों कब्रें पहलगाम में स्थित हैं.

अहमदिया संप्रदाय के संस्थापक मिर्जा गुलाम अहमद भी इस बात में यकीन करते थे कि जीसस कश्मीर आए थे. उन्होंने इस विषय पर एक पुस्तक Jesus in India भी लिखी थी. इस विषय पर एक अन्य किताब Jesus Lived in India भी लिखी गई थी जिसके लेखक थे Holger Kersten.

जीसस कश्मीर गए थे- यह दावा सच है या झूठ इस पर बहस जारी है और ये कहानी इतिहास की सबसे बड़ी अनसुलझी पहेलियों में से एक बन गई है.

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