उत्तराखण्ड की मंत्री ने नौकर को मोहरा बना हड़पी करोड़ों की संपत्ति
नौकर कहता है मुझे नहीं निकलने देते घर से अकेले बाहर, मुझे सेलरी नहीं देते, हजार—पांच सौ रुपए पकड़ाकर करवा लेते हैं रजिस्ट्री...
दिकदर्शन रावत की विशेष रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेशक भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रहे हैं, लेकिन उत्तराखण्ड सरकार उनकी इस मुहिम पर पलीता लगाने के मूड में है। उत्तराखंड सरकार की एक मंत्री रेखा आर्या ने एक ऐसे व्यक्ति गिरीश चंद्र जोशी से लाखों की जमीन खरीद डाली जिसकी हैसियत बेहद मामूली है। यह व्यक्ति उनके पति गिरधारी लाल साहू का घरेलू नौकर है। उसके नाम से करोड़ों की संपत्ति का लेन—देन स्पष्ट करता है कि वह किसी बड़े काले कारोबारी का मुखौटा मात्र है।
साप्ताहिक दि संडे पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह जमीन कारोबारी गिरधारी लाल साहू ही है। आयकर विभाग उसकी जांच कर रहा है, लेकिन मंत्री को इससे कोई सरोकार नहीं रहा। इससे भी बड़ा आश्चार्यजनक यह है कि जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी इसका कोई मलाल नहीं कि प्रधानमंत्री की मुहिम राज्य में क्यों फेल हो जाए। त्रिवेंद्र सरकार राज्य में रेखा आर्या के पति के भ्रष्ट कारनामों पर आंख मूंदकर बैठी हुई है। ऐसे में रेखा के खिलाफ सरकार कोई संज्ञान लेगी, इसकी उम्मीद जरा भी नहीं है।
पच्चीस दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम में कालाधन, भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति को लेकर देश संग अपने विचारों को साझा किया था। 'मन की बात' रेडियो का सर्वाधिक सुना जाने वाला ऐसा कार्यक्रम है जिसके जरिए प्रधानमंत्री मोदी अपना विजन और दर्शन जनता संग साझा करते हैं।
बरेली, उत्तर प्रदेश के घोषित भूमाफिया और हिस्ट्रीशीटर अपराधी गिरधारी लाल साहू की बेनामी संपत्तियों का खुलासा मीडिया कर चुकी है, लेकिन उत्तराखण्ड सरकार ने न तो उक्त गिरधारी साहू के खिलाफ कोई कार्यवाही करनी उचित समझी ना ही साहू द्वारा प्लॉट देने के नाम पर ठगे गए आम उत्तराखण्डियों की एफआईआर तक दर्ज होने दी जा रही है।
गिरधारी लाल साहू की पत्नी रेखा आर्या वर्तमान त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में राज्यमंत्री हैं। पत्नी के राजनीतिक रसूख का फायदा साहू को मिलता आया है। दि संडे पोस्ट के पास ऐसे साक्ष्य हैं जिनकी बिना पर उत्तराखण्ड की महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्या के तार सीधे—सीधे बेनामी संपति की खरीद—फरोख्त से जुड़ते हैं। अब देखना होगा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री के कठोर संकल्प को हकीकत में बदलने की दिशा में कार्यवाही करते हुए क्या अपनी विधायक और मंत्री रेखा आर्या पर न्यायोचित कार्यवाही करती है या नहीं।
बेनामी संपत्ति को मंत्री रेखा आर्या द्वारा खरीदने की कहानी
उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री रेखा आर्या के पति गिरधारी लाल साहू बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्तियों को खरीदने—बेचने का काम अपने यहां खाना बनाने वाले गिरीश चंद्र जोशी के माध्यम से करते हैं। गिरीश चंद्र जोशी अल्मोड़ा जिले के देवली खाम गांव का मूल निवासी है और वर्तमान में रेखा आर्या के निवास बृजानंद बिहार में रहता है। गिरीश चंद्र जोशी का एक बेहद मामूली हैसियत का होने के बावजूद करोड़ों की संपति का लेन—देन करना यह प्रमाणित करने के लिए काफी है कि वह किसी बड़े काले कारोबारी का मुखौटा मात्र है।
देहरादून स्थित आयकर विभाग की इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन इकाई द्वारा गिरीश जोशी की बाबत जांच की जा रही है और विभाग के मुख्यालय तक रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। गिरीश जोशी को भेजे गए इनकम टैक्स के नोटिसों से स्पष्ट है कि उसके पास ना तो आय का कोई साधन है, न ही आयकर नंबर है। इसके बावजूद यह व्यक्ति गिरीश चंद्र जोशी 21 जनवरी 2014 को तहसील किच्छा के गांव सिरोली खुर्द में एकता रानी पुत्री मदन मोहन मदान से 1.49991 हेक्टेयर (3.70 एकड़) जमीन एक करोड़ पैंतीस लाख रुपये में खरीद लेता है।
रजिस्ट्री के कागजात में यह नहीं स्पष्ट है कि इसमें से कितनी धनराशि बैंक और कितनी नकद दी गई। यहां यह जांच का विषय है कि गिरीश चंद्र जोशी के पास इतनी बड़ी धनराशि कहां से आई, जबकि उसके पास ऐसी आय के कोई साधन नहीं है। इस रजिस्ट्री में गवाह के तौर पर सतेंद्र राठौर के हस्ताक्षर हैं। सतेंद्र राठौर गिरधारी साहू का करीबी होने के साथ—साथ उसके द्वारा की गई अधिकांश खरीद—फरोख्त के मामलों में गवाह रहता आया है।
मीडिया में गिरधारी साहू के बेनामी कारोबार पर खबरों के प्रकाशित होने और इनकम टैक्स विभाग द्वारा जांच होने के दौरान ही 3 अक्टूबर 2017 को इस जमीन का 0.1896 हेक्टेयर हिस्सा त्रिवेंद्र रावत सरकार में मंत्री रेखा आर्या के नाम कर दिया गया। दस्तावेजों के अनुसार रेखा आर्या ने गिरीश चंद्र जोशी से यह जमीन कुल 12 लाख बत्तीस हजार में खरीदी। इस रजिस्ट्री में भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह धनराशि किस बैंक के जरिए गिरीश जोशी के खाते में डाली गई। न ही यह स्पष्ट है कि नकद धन का आदान—प्रदान हुआ है।
यह जांच का विषय है कि कितनी धनराशि का सही में हस्तांतरण हुआ है। बकौल गिरीश जोशी उससे केवल रजिस्ट्री कराई गई है। किसी भी प्रकार का कोई लेन—देन नहीं हुआ है। इस रजिस्ट्री में भी बतौर गवाह सतेंद्र राठौर के हस्ताक्षर हैं। भाजपा सरकार में मंत्री रेखा आर्या द्वारा इनकम टैक्स के क्रिमिनल विंग द्वारा जांच के घेरे में आ चुके व्यक्ति से जमीन खरीदना गंभीर प्रकरण है।
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ऐसे में जबकि उक्त गिरीश जोशी पर गिरधारी साहू के लिए बेनामी संपत्तियों को खरीद के आरोप हों, रेखा आर्या द्वारा जमीन खरीदना स्पष्ट करता है कि गिरीश जोशी के नाम पर दर्ज संपत्तियों को अब खुर्द—बुर्द किया जा रहा है ताकि भविष्य में गिरीश जोशी का बेनामी संपत्ति कानून की पकड़ में आने से पहले ही ऐसी संपतियों को साहू परिवार अपने नाम कर सके।
यहां यह उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी रेखा आर्या ने वर्ष 2013 में गिरीश चंद्र जोशी से एक फ्लैट सात लाख सत्ताईस हजार रुपये में खरीदा था। ग्राम हरिपुर, हल्द्वानी में गिरीश जोशी ने कई फ्लैट बना कर बेचे हैं। इनमें से एक फ्लैट गिरधारी साहू की पहली पत्नी वैजयंती माला ने भी गिरीश जोशी से खरीदा है। इन दोनों रजिस्ट्री में भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि पैसों का लेन—देन कैसे हुआ है। इन फ्लैटों की रजिस्ट्री में भी बतौर गवाह सतेंद्र राठौर के ही हस्ताक्षर हैं।
गिरीश चंद्र जोशी, गिरधारी साहू और रेखा आर्या के करीबी होने का एक प्रमाण वह एफआईआर है जो थाना मुखानी, हल्द्वानी में गिरीश चंद्र जोशी ने एक जमीन विवाद की बाबत 03/05/2015 को हर सिंह पालनी के खिलाफ दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में गिरीश चंद्र जोशी ने अपना पता निवासी बृजानंद विहार, लालपुर नायक, हल्द्वानी दिखाया है। 29 जून 2013 में जिस प्लॉट की रजिस्ट्री रेखा आर्या ने गिरीश जोशी से खरीद अपने नाम कराई, उसमें उन्होंने अपना पता साहू निवास, बृजानंद विहार, लालपुर नायक हल्द्वानी ही दिया है।
संपत्तियों की इस खरीद—फरोख्त के सभी प्रमाण मौजूद स्पष्ट तौर पर इन्हें बेनामी संपति होने की तरफ इशारा करते हैं। गिरीश जोशी से हुई बातचीत से यह पूरी तरह साफ हो गया है कि वह गिरधारी लाल साहू का मुखौटा मात्र है। साहू उसका इस्तेमाल बेनामी संपत्तियों की खरीद—फरोख्त के लिए करता आया है। बकौल गिरीश जोशी उसे तो मात्र कुछ सौ रुपए ऐसे कामों की एवज में दिए जाते रहे हैं।
जोशी ने यह भी स्वीकारा है कि इनकम टैक्स विभाग की जांच के बाद से ही उसके बैंक खाते, जो साहू संचालित करता था, अब बंद कर दिए गए हैं। जिस जमीन को मंत्री रहते रेखा आर्या ने खरीदा है उसका कोई भी भुगतान गिरीश जोशी को नहीं दिया जाना सबसे बड़ा प्रमाण है कि ये सब संपत्तियां जोशी की न होकर गिरधारी लाल साहू की ही हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि रेखा आर्या ने रजिस्ट्री में 12 लाख बत्तीस हजार रुपए दिए जाने की बात कही है। जबकि गिरीश जोशी का कहना है कि उसके पास वर्ष 2015 के बाद से कोई बैंक खाता है ही नहीं। उसके अनुसार इस रजिस्ट्री को कराते समय कोई भुगतान नहीं किया गया है। बेनामी लेन—देन (निषेध) कानून स्पष्ट कहता है कि जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर संपत्ति खरीदता है तो वह बेनामी संपति कहलाती हैं।
अब यह देखा जाना बाकी है कि उत्तराखण्ड सरकार और भाजपा प्रदेश संगठन अपने एक मंत्री द्वारा बेनामी संपति खरीदने पर क्या कार्यवाही करता है। चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विषय पर अपना कड़ा रुख कई बार दर्शा चुके हैं। इसलिए उत्तराखण्ड सरकार और भाजपा संगठन अब शायद ही अपने मंत्री का बचाव कर पाए।
इस मसले पर उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहते हैं, उत्तराखण्ड बेनामी संपत्ति कानून का टेस्ट बेस है। जहां पर लोगों ने अपने नौकरों के नाम बेनामी संपत्ति रखी है। उसमें मंत्री व पूर्व मंत्री हैं। इस मामले में हम चाहेंगे हाईकोर्ट की देखरेख में (एसआईटी) बनाई जाए। जो इसकी जांच करे। करप्शन के खिलाफ टॉलरेंस चेरिटी विजन एट होम होना चाहिए। सबसे पहले मुख्यमंत्री, मंत्रियों, पूर्व मुख्य मंत्रियों फिर विधायकों पर हो। बेनामी संपत्ति कानून पहले भी था।
कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता उत्तराखण्ड सरकार मदन कौशिक कहते हैं, बेनामी संपत्ति का कानून उत्तराखण्ड और केंद्र दोनों जगह एक समान चलता है। सरकार के संज्ञान में कोई मामला आता है तो कार्यवाही की जाती है और आगे भी की जाएगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट कहते हैं कि सरकार सभी लोगों की बेनामी संपत्तियों की जांच कर रही है। जिसमें समाज के हर वर्ग के लोग नेता अभिनेता या समाज का बड़ा आदमी शामिल है। अभी तक देश भर में लगभग ३००० करोड़ की बेनामी संपत्ति जब्त की गयी है। जिसमें पास भी बेनामी संपत्ति के साक्ष्य हों वो सरकार एवं संबंधित जिलाधिकारी को भी साक्ष्य प्रेषित करे।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इस मुद्दे पर मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। आप साक्ष्य दीजिए तब कुछ कह पाऊंगा, कहकर पल्ला झाड़ लिया, वहीं जब मुख्यमंत्री से इस मसले पर बात करने की कोशिश की गई तो उनके मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने कहा, मैंने आपका अप्वाइंटमेंट रिकॉर्ड कर लिया है। जब मुख्यमंत्री आयेंगे तो बता दूंगा।
रेखा आर्या से उनका पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार फोन किया, लेकिन वे फोन पर उपलब्ध नहीं हुई।
वहीं इस रिपोर्टर से अलग—अलग समय पर हुई दूरभाष वार्ता में गिरीश जोशी ने स्पष्ट किया है कि उसके नाम से सारा बेनामी कारोबार गिरधारी लाल साहू करता आया है। गिरीश जोशी ने यह भी बताया है कि उसे तीन नंबर कोठी, बृजानंद विहार, लालपुर, हल्द्वानी में रखा गया है जहां चौबीसों घंटे मंत्री रेखा आर्या को मिली सीआईएसएफ की सुरक्षा रहती है। संडे पोस्ट पहले ही यह आशंका जता चुका है कि गिरीश जोशी की जान को खतरा है और उसे तत्काल सरकारी सुरक्षा दी जानी चाहिए, ताकि उत्तराखण्ड में बेनामी संपत्तियों के सबसे बड़े कारोबारी का पर्दाफाश हो सके और एक गरीब की जान बचाई जा सके।
'मुझे तीन नंबर कोठी से बाहर नहीं जाने देते'
गिरधारी लाल साहू के मुलाजिम और बेनामी संपत्तियों के मुखौटा गिरीश जोशी से बातचीत
आपने 2015 में एकता रानी से सिरोही खुर्द गांव में जमीन खरीदी थी वह कितने का सौदा हुआ था?
हां, दो सौदे हुए थे। एक करोड़ पैंतीस लाख और दूसरा नब्बे लाख का। पैसा मेरे एक्सिस बेंक के खाते से दिए गए। इसी खाते पर इंकमटैक्स का नोटिस आने के बाद साहू जी ने इसे 2015 में बंद करा दिया था। उसके बाद से मेरा कोई खाता नहीं है। सब काम नकद में हो रहा है।
2013 के बाद से जो जमीन आप बेच रहे हैं, उसका पैसा कहां जाता है?
सतेंद्र राठौर जब कहता मैं रजिस्ट्री कर देता हूं। पैसा राठौर ही लेता है साहू जी के लिए। मुझे हजार—पांच सौ रुपए दे देते हैं। पैसा भी वे लगाते थे मेरे नाम से अपना काम चलाते थे।
आपने रेखा आर्या जी को जो जमीन बेची है उसमें आपको खाते में या नकद पैसा दिया गया?
नहीं, नहीं कुछ भी नहीं। कह रखा है एक हजार रुपये देंगे।
तो जो रजिस्ट्री में लिखा है, 12 लाख बत्तीस हजार, कुछ भी नहीं आपको दिया?
नहीं, नहीं। मेरे खाते 2015 से बंद हैं।
आपसे 2013 में प्लॉट खरीदा और 2017 में सिरोही खुर्द में जमीन खरीदी। इसका कुछ भी पैसा नहीं दिया गया?
नहीं मुझे कुछ नहीं दिया गया।
जो जमीनें आपसे खरीदते रहे हैं, उसका भुगतान कैसे करते थे?
नकद—कैश में होता था। अगर चैक देते थे तो किसी ओर के नाम से, सतेंद्र राठौर के नाम से देते थे। ऐसा हुआ मेरा एक्सिस बैंक में खाता था। उसमें ट्रांजेक्शन ज्यादा हो गया था तो साहू जी (गिरधारी लाल साहू) ने कहा कि इसे बंद करा दो ताकि कल के दिन दिक्कत ना हो। इसका कोई खाता ना खोलना। बाकी जो भी होगा आगे देख लेंगे।
अब आपकी इनकम टैक्स में जांच चल रही है तो आप कैसे बचेंगे?
यही तो सर! मुझे तीन नंबर कोठी से बाहर नहीं जाने देते हैं। साहू जी ने मुझे तीन नंबर फार्म से बाहर नहीं जाने दिया। उन्होंने मना कर दिया कि तू कहीं मत जाना, कहीं कांग्रेस वाले तुझे ना पकड़ लें। जब मैं कहूंगा, जहां भी भेजूंगा तभी जाना। ये मुझे बाहर नहीं जाने देते क्योंकि ये समझते हैं कि कहीं मेरी प्रोपर्टी न खतरे में पड़ जाए।
मोदी जी ऐसे मामलों में बेहद सख्त हैं, आप देख लो?
वही तो। आप बताओ क्या करूं। न तो सेलरी देते हैं, मेरा पैंतीस हजार फंसा है। साहू जी यह भी कह रहे थे कि यदि गिरीश घर जाएगा तो हम अपने एक उत्तराखण्ड पुलिस वालों को साथ भेज देंगे। ताकि कोई कांग्रेस वाला इसे हाथ ना लगाए। एक सैकेंड के लिए भी नहीं छोड़ते हैं। (साप्ताहिक अखबार द संडे पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट का संपादित अंश)