एनसीआरबी मॉब लिंचिंग और पत्रकारों के साथ होने वाली हिंसा को नहीं मानता अपराध!
मॉब लिंचिंग, प्रभावशाली लोगों द्वारा हत्या, खाप पंचायत द्वारा आदेशित हत्या और धार्मिक कारणों से की गई हत्या को एनसीआरबी ने नहीं किया है अपनी रिपोर्ट में शामिल, इनके बिना प्रकाशित किये गये अपराध के आंकड़े भी हैं भयावह, यूपी अपराध में पहले नंबर पर
जेपी सिंह की टिप्पणी
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी निर्धारित समयसीमा की एक साल देरी से सोमवार 21 अक्टूबर को अपने आंकड़े जारी तो किए, लेकिन इनमें मॉब लिंचिंग, प्रभावशाली लोगों द्वारा हत्या, खाप पंचायत द्वारा आदेशित हत्या और धार्मिक कारणों से की गई हत्या से संबंधित जुटाए गए आंकड़ों को प्रकाशित नहीं किया गया है।
गृह मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कई पैमानों को शामिल नहीं किया है, क्योंकि प्राप्त हुए आंकड़े अविश्वसनीय थे। गृह मंत्रालय ने कहा कि एनसीआरबी की रिपोर्ट में भीड़ द्वारा हत्या (लिंचिंग), पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सूचना के अधिकार के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं के खिलाफ हुए अपराध जैसे पैमाने शामिल नहीं हैं। संबंधित अधिकारियों के मुताबिक एनसीआरबी ने लिंचिंग द्वारा की गई हत्या और अन्य पैमानों को शामिल नहीं किया है, क्योंकि इनसे संबंधित आंकड़े अस्पष्ट और अविश्वसनीय है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2017 के आंकडों के अनुसार देशभर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख केस दर्ज हुए, जो कि 2016 से 3.6 फीसदी ज्यादा है। इस दौरान हत्या के मामलों में 3.6 फीसदी की कमी आई है, जबकि अपहरण के मामले नौ फीसदी बढ़ गए। आंकड़ों के अनुसार 2016 में हत्या के 30,450 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2017 यह आंकड़ा 28,653 रहा, जबकि 2016 में अपहरण और फिरौती के 88,008 केस थे जो 2017 में बढ़कर 95,893 हो गए। इन मामलों में 1,00,555 लोग पीड़ित हुए। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आने वाला एनसीआरबी 1954 से लगातार अपराध के आंकड़े जारी कर रहा है।
आईपीसी के तहत देश में कुल 30,62,579 केस दर्ज हुए, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 29,75,711 था। इस तरह 86,868 केस ज्यादा दर्ज हुए हैं। राज्यों में यूपी सबसे ऊपर है जहां 3,10,084 केस दर्ज हुए जो देश का 10.1 फीसदी है। यूपी के बाद महाराष्ट्र (9.4), मध्य प्रदेश (8.8), केरल (7.7) और दिल्ली (7.6) हैं।
देश में दर्ज अपहरण के कुल मामलों में से 20.8 फीसदी केवल उत्तर प्रदेश के हैं। देश के सबसे बड़े प्रदेश में 2016 में अपहरण के 15,898 केस हुए। 2017 में यह आंकड़ा 4023 केस बढ़कर 19,921 हो गया। यूपी के बाद महाराष्ट्र (10,324), बिहार (8479), असम (7857), दिल्ली (6095) हैं। खास बात यह है कि दिल्ली में अपहरण के मामलों में कमी आई है। 2016 में यह आंकड़ा 6619 था जो 2017 में 6095 रहा।
बच्चों के खिलाफ अपराध के वर्ष 2016 में 1,06,958 केस दर्ज हुए जो 2017 में करीब 28 फीसदी बढ़कर 1,29,032 हो गए। इस मामले में भी यूपी पहले पायदान पर है, जहां ऐसे मामले 2016 की अपेक्षा 19 फीसदी ज्यादा दर्ज हुए। यूपी में 19145, मप्र में 19038, महाराष्ट्र में 16918, दिल्ली में 7852 और छत्तीसगढ़ में 6518 केस दर्ज हुए।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में हत्या के कुल 28653 मामले दर्ज किए गए। उत्तर प्रदेश में 2016 की तुलना में इनमें कमी आई है, वहीं बिहार में यह आंकड़ा बढ़ा है। हालांकि इसके बावजूद 2017 में उत्तर प्रदेश इस मामले में शीर्ष पर रहा। वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे ज्यादा हत्या के केस दर्ज हुए।
अनुसूचित जनजाति (एससी) के खिलाफ ज्यादातर राज्यों में 2017 में अपराध और उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। इस सूची में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, जबकि राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पंजाब में इनमें कमी आई है। इस दौरान देश में कुल 43203 केस दर्ज किए गए।
आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम व संबंधित धाराओं में कुल 4062 मामले दर्ज हुए। इनमें सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए। हालांकि सबसे ज्यादा बढ़ोतरी कर्नाटक में हुई। वहीं सिक्किम एकमात्र ऐसा राज्य रहा जहां एक भी केस दर्ज नहीं हुआ।
आर्थिक अपराधों की बात करें तो 2017 में कुल 148972 मामलों में सबसे ज्यादा केस राजस्थान में दर्ज किए गए, जबकि सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी तेलंगाना में दर्ज हुई। उत्तर प्रदेश में 2017 में 20717 मामले दर्ज़ हुए जबकि2016 में 15765 मामले दर्ज़ हुए थे।
वर्ष 2015-17 के बीच देशभर में 45,705 साइबर क्राइम हुए हैं। साल 2015 में देश में 11,331, 2016 में 12,187 और 2017 में 21,593 साइबर क्राइम दर्ज किए हैं। तीन सालों में साइबर क्राइम 1.7 फीसदी की दर से बढ़ा है। 2015 में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम उत्तर प्रदेश में हुए हैं जिनकी संख्या 2208 है।
वहीं, 2017 में में यूपी में सबसे ज्यादा 4971 साइबर क्राइम हुए हैं। 2015-17 तक साइबर क्राइम में सबसे ज्यादा यानी 5 फीसदी की वृद्धि कर्नाटक में दर्ज की गई है। इन तीन सालों में सबसे कम साइबर क्राइम नागालैंड में हुआ है, जिसकी संख्या सिर्फ 2 है, वहीं केंद्र शासित प्रदेश में अधिक साइबर क्राइम दिल्ली में (874) हुए हैं। जबकि केंद्र शासित प्रदेश में से लक्षद्वीप में साल 2015-17 के बीच कोई साइबर क्राइम हुआ ही नहीं है।