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सिक्योरिटी

चीन में नेता का दौरा कुछ यूं बदल देता है गांव की तकदीर

Janjwar Team
7 Oct 2017 8:03 PM IST
चीन में नेता का दौरा कुछ यूं बदल देता है गांव की तकदीर
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राष्ट्रपति शी जिंगपिंग का मकसद ग्रामीणों के जीवन स्तर को करीब से देखना था। उनके दौरे के बाद गांव में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। कई युवा शहरों से लौटकर गांव में ही काम करने लगे हैं...

चीन के माओ पिंग गांव से जय प्रकाश पांडे की रिपोर्ट

चीन में किसी नेता का दौरा सालभर में गांव की तस्वीर बदल सकता है। ऐसे एक गांव में मुझे जाने का मौका मिला। माओ पिंग नाम का यह गांव चियांगशी राज्य का किनारा शहर से दूर पहाड़ी पर है। इस तरह के गांव हमारे यहां दूरस्थ या फिर दुर्गम गांव के नाम से जाने जाते हैं।

पिछले साल फरवरी 2016 में यहां राष्ट्रपति शी जिंगपिंग गए थे। उन्होंने यहां न कोई सभा की और न ही उनके दौरे के लिए हमारे देश की तरह भीड़ जुटाई गयी थी। वह घरों में गए, लोगों से जीवन के पहलुओं पर बातचीत की और उनकी समस्याएं जानी। उन्होंने रसोई से लेकर शौचालयों को भी देखा। शी का मकसद ग्रामीणों के जीवन स्तर को करीब से देखना था। उनके दौरे के बाद गांव में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। कई युवा शहरों से लौटकर गांव में ही काम करने लगे हैं।

माओ पिंग गांव में 55 परिवार हैं जिनमें से 21 परिवारों को गरीबी की रेखा में चिन्हित किया गया था। चीन में गरीबी का मानक पर्याप्त खाना, कपड़े, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच से है। कोई परिवार इन सुविधाओं से वंचित हैं तो उसे गरीबी की सूची में शामिल किया जाता है। ऐसे लोगों को चिन्हित करने के लिए कमेटियां बनी हैं। वर्ष 2020 तक गरीबी उन्मूलन चीन सरकार के कोर एजेंडे में भी शामिल है। माओ पिंग के इन 21 परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए आर्थिक, मकान दिलाने और सामाजिक सुरक्षा तीन मोर्चों पर काम किया गया।

आर्थिक हालात सुधारने के लिए गांव की भौगोलिक और जलवायु स्थिति का अध्ययन करने के बाद आड़ू और चाय की बागवानी विकसित करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए कोऑपरेटिव तरीका चुना गया। 260 मू (एक मू 666 स्क्वायर मीटर के बराबर) में आड़ू और 200 मू में चाय के पौधे लगाए गए हैं। कोऑपरेटिव में ग्रामीणों के शेयर हैं। इससे जुड़े प्रत्येक किसान को जमीन का साल में 3300 युआन भाड़ा मिल रहा है।

इसके अलावा वे सेलरी पर भी बगीचे में काम कर रहे हैं। आमदनी में सहायक के तौर पर पशुपालन को बढ़ावा देने के उपाय किये गए हैं। सरकार ने गरीबों को सब्सिडी में मकान दिए हैं। सामाजिक सुरक्षा के तहत स्थानीय सरकार ग्रामीणों को स्वास्थ्य और फसल के बीमे की सुविधा मुहैया कराती है। इसके अलावा बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था सहित अन्य सब्सिडी भी दी जा रही हैं।

इन योजनाओं का लाभ उठाकर अब गांव के 21 परिवार गरीबी की रेखा से बाहर आ गए हैं। पिछले साल इस गांव की प्रति व्यक्ति आय 12000 युआन थी, जबकि गरीबी उन्मूलन के लिए चिन्हित परिवारों की 7000 युआन। काम करने में अक्षम लोगों को सरकार पेंशन दे रही है।

माओ पिंग को पर्यटन सर्किट से भी जोड़ा गया है। पर्यटकों में आकर्षण पैदा करने के लिए चीनी क्रांति में गांव के योगदान के बारे में बताया जाता है। बताते हैं कि इस गांव के दस लोग लाल सेना में शामिल हुए थे। क्रांति के दौर में गांव से दो किलोमीटर की दूरी पर जड़ी बूटी दवाओं की फैक्ट्री थी इसमें तैयार दवाएं लाल सेना के काम आती थी। इसके अलावा यहां में टैक्सटाइल फैक्ट्री भी थी जिसमें लाल सेना की ड्रेस और कंबल तैयार होते थे।

ये दोनों फैक्टियां भी ग्रामीण पर्यटन में शामिल हैं। पिछले साल इस गांव में 98 हजार पर्यटक गए। इनमें मुख्यत देसी पर्यटक ही शामिल हैं। गांव में 16 रेस्टोरेंट हैं, यहां आॅर्डर पर ही खाना तैयार किया जाता है। हैंडीक्राफ्ट का सामान भी मिलता है। गांव में सड़क, पानी और बिजली की सुविधा भी है।

चीन में प्रत्येक स्तर की सरकार के पास गरीबी उन्मूलन का बजट है। चिंगकांगशान काउंटी की सरकार हमारी नगर पालिकाओं के स्तर की है। इस काउंटी में पिछले साल गरीबी उन्मूलन के लिए 46 करोड़ युआन खर्च किया गया। काउंटी पार्टी कमेटी के सचिव लीऔउ शिआओछी युआन बताते हैं कि नगरपालिका के पास इस बार गांव से 12 प्रस्ताव स्वरोजगार लोन के लिए आए हैं। रोजगार के लिए 50 हजार युआन तक का लोन मिल जाता है।

चैउ शीऔफा कहते हैं कि राष्ट्रपति के गांव में आने से पहले उनका परिवार खेती करता था। अब वे खेती के अलावा कुटीर उद्योग भी चला रहे हैं। बड़ा बेटा घर पर ही होटल चलाता है और बांस से सामान भी बनाता है। छोटा बेटा चावल के केक बनाता है। फंग शीयायचिंग बताती हैं कि राष्ट्रपति शी जब उनके घर पर आए तो वह उस समय चावल का केक बना रही थी। उन्होंने राष्ट्रपति को भी केक खिलाया।

शी ने रसोई शौचालय और तालाब को देखा। टीवी पर आने वाले कार्यक्रमों के बारे में पूछा। राष्ट्रपति के आने के बाद गांव में रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। उनका बड़ा बेटा शहर से लौटकर घर पर रेस्टोरेंट चला रहा है। दूसरा बेटा अभी शहर में काम करता है। वह गांव में कॉटेज बनाने की सोच रहा है। पिछले साल उसके परिवार ने 90 हजार युआन कमाए थे।

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