बिहार में 171 रुपए में 15 दिन तक खाना गरीब बच्चों को कहां मिलेगा नीतीश बाबू
बिहार सरकार ने फैसला किया है कि 15 दिन के मिड डे मील का पैसा बच्चों के खाते में जायेगा, लेकिन वह रकम इतनी कम है, जिसमें रोज खाना खा पाना तो दूर एक समोसा भी मिलना मुश्किल हो जाएगा...
पटना से आलोक कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार, पटना। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली नोवेल कोरोना महामारी को लेकर बिहार में थोड़ी राहत की बात है। अलर्ट के बाद सूबे में अब तक 57 संदिग्धों की वायरोलॉजी जांच करायी गयी, जिनमें एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 25 जनवरी से लेकर अब तक कोरोना से पीड़ित देशों से लौटे कुल 274 यात्रियों को सर्विलांस पर रखा गया। हालांकि, इनमें से 86 यात्रियों के 14 दिनी निगरानी टेस्ट में पास कर जाने पर उनको जांच के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
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बावजूद इसके बिहार में कोरोना का खौफ सभी जगह देखने को मिल रहा है। आज सोमवार 16 मार्च को बिहार विधानसभा सत्र शुरू हुआ। विधानसभा में भी कोरोना का खौफ देखने को मिला। बिहार विधानसभा के ‘माननीय' और अन्य कर्मियों के बीच में मास्क वितरित किया गया। एक हजार से अधिक मास्कों का वितरण किया गया। विधानसभा में विधायक और सुरक्षाकर्मी मास्क पहने नजर आये। हालांकि मास्क पहनने वालों की संख्या बहुत कम थी।
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बिहार विधानसभा के चेम्बर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मास्क पहनने वालों से कहा कि ऐसा करने से जनता के बीच भय का माहौल उत्पन होगा। वहीं विधान पार्षद रीतलाल ने सरकार से मास्क और सेनेटाइजर कैदियों को उपलब्ध कराने की मांग की।
उन्होंने सजायाफ्ता कैदियों को पेरोल पर छोड़ने की भी मांग की। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर विपक्ष गंभीर है। इस मामले में विपक्ष सरकार के साथ है, लेकिन सत्तापक्ष गंभीर नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय बैठक कर रहे हैं तो प्रेम कुमार वाटर पार्क का उद्घाटन कर रहे हैं। उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मंगल पांडेय को तुरंत बर्खास्त करने की मांग कर दी।
कोरोना वायरस से बचाव के मद्देनजर सभी सरकारी व निजी स्कूल 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं। बिहार सरकार ने स्कूलों की बंदी के दौरान भी सरकारी प्रारंभिक स्कूल के बच्चों को मिड डे मील का लाभ बंद नहीं करने का फैसला लिया है। इसको लेकर शिक्षा विभाग बच्चों को एमडीएम के बदले इसके समतुल्य राशि भेजने की तैयारी में जुटा है।
पहली से 5वीं तक के बच्चों को 114.21 रुपये और 6 से 8वीं तक के बच्चों के लिये 171.17 रुपये वितरित किये जायेंगे। इसमें चावल, दाल, तेल, मसाला, सब्जी सब शामिल होता है। मतलब यह कि इस महंगाई कर जमाने में 5वीं तक के बच्चों का एक महीने का मिड डे मील 228.42 रुपये और आठवीं तक के बच्चों का 342.34 रुपये में बन जाता है। इस राशि में लोग घपला-घोटाला भी करते हैं, अब सोचिये कि बच्चों की थाली में क्या जाता होगा। किसी मध्यम दर्जे के रेस्तरां में जाएंगे तो इस राशि में एक टाइम का खाना भी बमुश्किल मिल पायेगा। ऐसे में यह चिंतनीय है कि आखिर इतनी कम राशि में बच्चों को भरपेट भोजन कैसे मिल पायेगा।