Begin typing your search above and press return to search.
शिक्षा

यूथ-समिट की तैयारियां पूरी, 27 को दिल्ली में जुटेंगे देशभर से युवा प्रतिनिधि

Prema Negi
23 Jan 2019 2:46 PM GMT
यूथ-समिट की तैयारियां पूरी, 27 को दिल्ली में जुटेंगे देशभर से युवा प्रतिनिधि
x

बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ युवा-हल्लाबोल का दिल्ली में होगा शंखनाद, देशभर से छात्र प्रतिनिधि और अभ्यर्थियों के समूह करेंगे सम्मेलन में भागीदारी

आंदोलनकारी केवल बेरोजगारी पर शोर और विरोध नहीं कर रहे, बल्कि सरकार को समाधान का पूरा खाका दे रहे हैं

दिल्ली, जनज्वार। बेरोजगारी के आंकड़े जब अखबारों के पन्नों से उठकर पेट पर नस्तर चलाने लगें तो संघर्ष में उतरने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता। और आज देश में वही हो रहा है। देश में 24 लाख सरकारी नौकरियों के पद खाली हैं, लेकिन युवा रोजगार के अभाव में हताश हो रहा है, आत्महत्याएं कर रहा है या फिर औने-पौने दामों पर अपना श्रम बेच किसी तरह घुट घुट के जी रहा है। पर अब ये नहीं होगा। युवा-हल्लाबोल आंदोलन के बैनर तले देशभर में रोजगार हासिल करने की रणभेरी बज चुकी है और उसी के शंखनाद के लिए 27 जनवरी को युवा दिल्ली के कान्स्टीच्यूशन क्लब में एकजुट होकर हल्ला बोलने वाले हैं।

परीक्षाओं की हालत यह है कि एसएससी, यूपीएससी, रेलवे भर्ती, शिक्षक, सिपाही भर्ती से लेकर अलग अलग राज्यों के चयन आयोगों तक हर जगह बेरोज़गार युवाओं को छला जा रहा है। सरकारी विभागों में करीब 24 लाख पद खाली हैं, लेकिन सरकारें युवाओं को नौकरियां देने के बजाय नौकरी के पदों को ही ख़त्म कर रही हैं।

दूसरी तरफ नौकरी का विज्ञापन आ भी जाए तो परीक्षा करवाने में ही सालों साल लगा दिए जाते हैं। अगर परीक्षा हो तो पेपर लीक की घटनाएं इतनी आम हो गयी हैं कि मीडिया में इनकी ख़बर भी नहीं बनती। हर भर्ती परीक्षा में छात्रों को नेताओं, अफ़सरों, मीडियावालों और वकीलों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। क़िस्मत से परीक्षा होकर यदि परिणाम आ जाए तो फिर नियुक्ति देने में भी बेमतलब देरी की जाती है। असली बात ये है कि जॉब मांगने वालों को सरकार रोजगार देने के बजाए लाठी डंडे और तरह-तरह के जुमले देती है।

ऐसे में युवा-हल्लाबोल आंदोलन ने ऐलान कर दिया है कि युवाओं को 'जॉब चाहिए, जुमला नहीं!' यूथ-समिट में एसएससी, यूपीएससी, डीएसएसएसबी, रेलवे, शिक्षक भर्ती से लेकर पुलिस भर्ती तक अभ्यर्थियों के कई समूह और यूथ फॉर स्वराज, युवा शक्ति संगठन, बेरोज़गार सेना, मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन, सुराज्य सेना जैसे कई संगठन युवा-हल्लाबोल के बैनर तले एकजुट हो संघर्ष के लिए कमर कस चुके हैं।

युवा-हल्लाबोल के नेतृत्वकर्ताओं में शामिल युवा नेता अनुपम कहते हैं, 'हम बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ सिर्फ़ शोर नहीं मचा रहे, बल्कि समस्या के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव भी दे रहे हैं। हमने रोज़गार के अवसर और ईमानदार परीक्षा प्रणाली के अलावा हमने एक 'मॉडल कोड' भी बनाया है कि कोई भी भर्ती प्रक्रिया 9 महीने में पूरी हो सकती है।'

Next Story

विविध