RSS प्रचारक युद्धवीर के नाम से वायरल लिस्ट पर हुआ मुकदमा दर्ज, संघ की छवि खराब करने का लगाया है आरोप-इन नामों का किया गया है खास उल्लेख
Dehradun news : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव द्वारा बीते पांच साल में अपने प्रभाव का प्रयोग कर अपने 52 रिश्तेदारों को सरकारी नौकरी और कई को सरकारी विभागों में ठेके दिलाए दिलाए दिए जाने की सोशल मीडिया पर हो रही वायरल सूची के मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। उत्तराखंड में भर्ती घोटाले के सामने आने और इन घोटालों में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की खुली संलिप्तता होने के बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव के नाम से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस सूची को भी अधिकांश लोग सच मानकर इधर से उधर वायरल करने में जुटे थे, जबकि पहली नजर में ही यह सूची संदिग्ध लग रही थी।
बताएं चलें कि राज्य की सरकारी नौकरियों की हुई बंदरबांट के चलते सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी सहित कांग्रेस के गांधीवादी नेता तक के नाम अपने परिजनों और रिश्तेदारों को नौकरियां बांटने के मामले में सामने आए हैं। राजनैतिक दलों से अलग हटकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव तक पर अपने दो-तीन परिचितों को नौकरी दिलाए जाने का इल्जाम लगा है। बीते कई दिनों से इस मामले में आए दिन किसी न किसी नेता का नाम जोड़कर उसके द्वारा उपकृत लोगों की सूची सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
ऐसे में पहले से ही इन मामलों में संदिग्ध माने जा रहे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव के नाम से उनके 52 रिश्तेदारों को नौकरी दिए जाने की चर्चा शुरू हो गई। सोशल मीडिया पर इन सभी 52 लोगों के नाम, किस विभाग में उन्हें नौकरी मिली और युद्धवीर से उनके रिश्ते की व्याख्या करती पूरी सूची भी वायरल होनी शुरू हो गई। वायरल सूची में दावा किया जा रहा था कि युद्धवीर ने साल 2017 से 2022 (कुल पांच साल) की अवधि में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इन लोगों को नौकरियां दिलाई हैं।
हालांकि वायरल सूची को देखने भर से ही वह दो कारणों से नितांत फर्जी प्रतीत हो रही थी। पहला, सभी लाभार्थियों का एक ही यादव जाति से होना और दूसरा इन 52 लोगों की नौकरी केवल पांच साल की अवधि में ही लगी होना। सोचने की बात यह है कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में यदि एक प्रचारक ही इतनी बड़ी संख्या में नौकरी लगाने लगा तो वह संगठन के अन्य प्रचारकों को किस तर्क से संतुष्ट करेगा। लेकिन भर्ती घोटाले के सामने आने के बाद बिना कुछ सोचे इस सूची को धड़ल्ले से सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था। ऐसे में अब यह मामला पुलिस की चौखट तक पहुंच गया है।
मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत कार्यवाह दिनेश सेमवाल ने देहरादून स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पर दी एफआईआर में कई लोगों को नामजद किया गया है। शिकायत में कहा गया है कि उत्तराखंड प्रांत प्रचारक युद्धवीर यादव द्वारा वर्ष 2017 से 2022 के मध्य पद का दुरुपयोग कर सरकारी नौकरी लगाने का फर्जी, कूटरचित दस्तावेज कुछ लोगो द्वारा भ्रामक सूची बनाकर फेक आईडी द्वारा सोशल मीडिया में प्रसारित किया जा रहा है, जबकि फर्जी लिस्ट में उल्लेखित लोग न तो उस स्थान पर नियुक्त है न ही कार्यरत हैं। इस भ्रमित खबर को फैला कर समाज में घृणा और वैमनस्य फैलाया जा रहा है।
शिकायत में कुछ लोगों के नामों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह सूची राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सह प्रान्त व्यवस्था प्रमुख नीरज मित्तल को उनके वाट्सएप नम्बर पर डॉ. मुकेश गोयल से प्राप्त हुई व डॉ. मुकेश गोयल से पूछे जाने पर पता लगा कि यह सूची संजीव अग्रवाल निवासी ग्रीन पार्क बल्लूपुर देहरादून से प्रेषित की गई है। उक्त दस्तावेज एक अन्य नम्बर जो कि सुभाष जोशी का है तथा व्यापक रूप से अन्य कई नम्बर पर यह सूची प्रसारित की जा रही है। कुछ लोगों द्वारा इलेक्ट्रिक माध्यमो का दुरुपयोग करते हुये सोशल मीडिया में रखकर संघ की छवि को धूमिल किया जा रहा है।
इस मामले में पुलिस ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 501, 505 तथा आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। इधर इस मामले में मुकदमा दर्ज होने की जानकारी मिलते ही जिन लोगों ने अनजाने में इस पोस्ट को वायरल किया था, पोस्ट डिलीट करनी शुरू कर दी हैं।