Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

Owaisi पर हमले की कहानी में क्यों जुड़ रहा झूठ, झोल और संदेह, जिसका लाभ उठाकर जमानत ले सकते हैं आरोपी

Janjwar Desk
6 Feb 2022 3:53 PM IST
upchunav2022
x

(संदेह के घेरे में ओवैसी पर हमले की पूरी कहानी)

Firing On Owaisi: जब मामला कोर्ट में आएगा तो संदेह का लाभ हमलावरों को मिलना तय है। और इसी संदेह का लाभ राजनीतिक दल उठाने का प्रयास कर रहे हैं...

Firing On Owaisi: लोकसभा सांसद असदुद्दीन औवेसी पर हुए हमले की परतें खोलने की बजाए पुलिस मामले को उलझाए जा रही है। घटनास्थल से बरामद सीसीटीवी फुटेज अलग कहानी कह रहे हैं, ओवैसी के बयान और ट्वीट की अलग कहानी है। तो दूसरी तरफ पिलखुआ थाने में पूरे 12 घंटे बाद दर्ज दूसरी एफआईआर में जो कहानी है वो बिल्कुल ही जुदा है।

हैरानी की बात यो कि इन कहानियों की एक भी कड़ी कहीं से आपस में नहीं जुड़ रही। मतलब सभी की कहानी विरोधाभास समेटे है। ओवैसी के ट्वीट में एक पिस्टल मौके पर गिरी दिखाई गई थी, जबकि पुलिस ने रिकॉर्ड में लिखा कि दोनों हमलावरों से पिस्टल बरामद की गई है। ऐसे में, जब मामला कोर्ट में आएगा तो संदेह का लाभ हमलावरों को मिलना तय है। और इसी संदेह का लाभ राजनीतिक दल उठाने का प्रयास कर रहे हैं।

क्या है सीसीटीवी फुटेज की तस्वीरों में?

घटना के वक्त की सीसीटीवी फुटेज

घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज के अनुसार पहली गोली शुभम ने चलाई, बाद में सचिन ने दूसरी गाेली गाड़ी पर चलाई। घटना के दो फुटेज सामने आए हैं। दोनों के मुताबिक, हमलावर बूथ के आगे थे और ओवैसी की गाड़ी पीछे। सबसे पहले रेड हुडी में शुभम गोली चलाता दिखता है, जिसे बाद में सफेद रंग की गाड़ी टक्कर मारती दिखती है। यह गाड़ी ओवैसी की नहीं है। उसके बाद सफेद हुडी में सचिन गोलियां चलाता है, वह भी किसी दूसरी गाड़ी पर। यह ओवैसी की गाड़ी हो सकती है। उसके बाद दोनों भाग जाते हैं।

ओवैसी का बयान क्या है?

ओवैसी ने कहा, बैरियर से पहले गोलियां चलीं, धमाके हुए तो पूछा क्या हुआ, तो यामीन ने कहा- भाई हमला हुआ है। देखा रेड हुडी वाला गोली चला रहा था। यामीन ने आगे की गाड़ी को टक्कर मारी और हमारी गाड़ी आगे भगाई। सफेद हुडी वाले ने हमारे पीछे आ रही फॉर्च्यूनर पर गोलियां चलाईं। ओवैसी ने 9 बजे हमले का ट्वीट किया, 9.49 पर दूसरे ट्वीट में टोल बूथ के मौके पर गिरी हुई पिस्टल बताई, जिस पर कलावा नहीं था।

Police की दूसरी FIR में पिस्टल बरामद की गई

यामीन ने 3 फरवरी की रात 9.35 बजे हमले की FIR (0045) दर्ज कराई। जांच करने वाले अफसर अभिनंदर पुंडीर ने 12 घंटे बाद सुबह 9.32 बजे अपनी ओर से दूसरी FIR (0046) दर्ज की। इसके मुताबिक रात 11 बजे सचिन को पकड़ा गया, तब उसके कब्जे से कलावा बंधी पिस्टल जब्त की। बाद में, सुबह 4 बजे शुभम पकड़ा गया तो उसने गन्ने के खेत में छुपा रखी अपनी पिस्टल बरामद करवाई। दोनों ने साथ गोलियां चलाईं, सचिन को गोली चलाते हुए ओवैसी ने देख लिया था, इसलिए वे नीचे झुक गए तब सचिन ने नीचे फायर किए।

नीचे समझिए कहानी का पूरा झोल

वैसी कहते हैं कि हमले की जानकारी उन्हें धमाके सुनने व यामीन के बताने से हुई। यानी, उन्होंने सचिन को गोली चलाते हुए नहीं देखा और न ही वे नीचे झुके, लेकिन पुलिस की कहानी कहती है कि ओवैसी ने सचिन को गोली चलाते हुए देख लिया था।

वैसी ने घटना की रात 9.49 बजे एक ट्वीट किया जिसमें घटनास्थल दिखाया गया था, इसमें मौके पर एक पिस्टल पड़ी हुई दिखाई दे रही है, लेकिन पुलिस ने सचिन को रात 11 बजे व शुभम को सुबह 4 बजे गिरफ्तार कर दोनों से पिस्टल बरामद करना बताया तो मौके पर दिखने वाली पिस्टल पुलिस रिकॉर्ड से गायब कैसे हो गई।

पुलिस की FIR के मुताबिक, सचिन का फेसबुक पेज देशभक्त सचिन हिंदू के नाम से है और वह हिंदू विरोधी भाषणों के कारण ही ओवैसी को मारना चाहता था इसलिए सचिन ओवैसी की पार्टी से धौलाना में चुनाव लड़ने वाले आरिफ से लगातार संपर्क में रहता था। कहानी यह कहती है कि ओवैसी की पार्टी के आरिफ और देशभक्त सचिन हिंदू के बीच दोस्ती थी।

वैसी पर हमले की पहली FIR जो यामीन ने दर्ज कराई है, उसमें उसने घटना के गवाहों के नाम भी लिखे हैं, लेकिन पुलिस की दूसरी FIR में जब सचिन और शुभम की गिरफ्तारी, साथ ही वारदात में इस्तेमाल हथियार बरामद करने का दृश्य लिखा जाता है, तो कभी रात बता कर और अल सुबह ठंड बता कर स्वतंत्र गवाह नहीं मिलने की मजबूरी लिखी गई है।

पुलिस की FDR में सचिन कहता है कि उसने जनवरी 22 को गाजियाबाद में हमले की योजना बनाई थी। वह घटना के दिन मेरठ, किठौर की सभाओं में भी गया था, लेकिन वहां भीड़ थी इसलिए मौका नहीं मिला। उसे मौका टोल बूथ पर ही नजर आया, लेकिन किठौर से टोल बूथ के बीच 70 किलोमीटर में 3 जगह ऐसी आती है, जहां गाड़ी टोल बूथ से भी धीमी होती है। वहां न CCTV लगा हुआ है न ही लोग मौजूद रहते हैं।

चिन ने कितनी गोलियां चलाईं, इसमें भी विरोधाभास है। शुभम ने एक गोली चलाई, फिर फायर नहीं हुआ, उसके पास 10 गोली थी, 9 बरामद हो गईं। सचिन के पास 12 गोली थीं, बरामद 7 हुईं। यानी उसने पांच गोली खर्च की। ओवैसी की गाड़ी पर तो 2 गोलियां लगीं, बाकी 3 कहां लगीं? पुलिस के पास इसका जवाब नहीं है।

Next Story

विविध